Wednesday, January 2, 2013

वही क्रान्ति का अंतिम पड़ाव भी होगा

समाज का जो तबका मकान नहीं बनाता पर बड़े मकान में रहता है ! जो लोग अनाज नहीं उगाते पर जिनके अन्न भण्डार भरे हुए ही रहते हैं ! जो गाय नहीं चराते पर दूध मक्खन से तर रहते हैं ! जो ताल में जाल नहीं फेंकते लेकिन सबसे बढ़िया मछली खाते हैं ! जो कारखाने में मशीन नहीं चलाते लेकिन सारा उत्पादन जिनके उपभोग के लिये होता है ! 
यही तबका राजनीति की दिशा तय करता है ! वही तय करता है कृषी नीति क्या होनी चाहिये ! वही बताते हैं कि मजदूरों को कितने अधिकार दिये जा सकते हैं ! यही लोग तय करते हैं कि गरीब की अधिकारों की लड़ाई कितनी नैतिक और कब अनैतिक है ! यही तबका तय करने की कोशिश कर रहा है कि गरीब कैसे और किन हथियारों से लड़े !
यही तबका कांग्रेस का नेता है यही भाजपा के शीर्ष पर है , यही वामपंथी पार्टियों के नेता हैं , यही नक्सली दलों में चोटी पर बैठे हैं ! यही तबका गांधीवादी हैं ! यही धार्मिक और सांस्कृतिक तबका है ! यही कवि है ! संसद के मालिक यही , अदालत में जज इसी तबके के , सेना में अफसर भी यही हैं , बुद्धिजीवी भी इसी तबके के हैं , सारे एनजीओ इसी तबके के लोगों के हैं ! 
सरकार इनकी , मोदी इनका , मोदी के विरोधी भी यही !
राष्ट्र इनका , देशभक्त भी यही ! 
इनके चंगुल से मुक्ति ही असली मुक्ति है ! वही क्रान्ति का अंतिम पड़ाव भी होगा ! जहां मेहनत का फल मेहनती को ही मिलेगा ! जहां एक की मेहनत से दूसरा मज़े नहीं उड़ा पायेगा ! जहां बुद्धी झूठ को सच नहीं कहेगी !

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