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Saturday, September 10, 2011

ये क्या किया अन्ना ?

कल आपका साक्षात्कार एक टी वी वाले दिखा रहे थे ! उसमे आप बोल रहे थे कि कसाब को बीच सड़क पर फांसी दे दो ! कसाब ने जिस नफरत के वशीभूत होकर दूसरों का खून बहाया ! ठीक वही नफरत और उतनी ही नफरत आपके दिल में भी ये बात बोलते हुए दिख रही थी ! अन्ना, एक गांधीवादी में और कसाब में कोई तो फर्क होना चाहिए या नहीं ?
अन्ना आपको गांधी का कलकत्ता के हिंदू मुस्लिम दंगों के दौरान हुआ वो वाकया याद है ! जब एक हिंदू गांधी से कहता है मुसलमानों ने मेरे बच्चे को मार डाला और फिर मैंने एक मुसलमान बच्चे का सर दीवार से पटक कर मार डाला ! तब गांधी ने कहा कि तुम्हारा प्रायश्चित यही है कि एक ऐसा मुसलमान बच्चा ढूंढो जिसके माँ बाप को मार डाला गया हो ! और उसे उसी तरह पालो जैसे उसे उसके अपने घर में मुसलमान की तरह पाला जाता !
गांधी के आस पास किसी के लिए नफरत और क्रोध था ही नहीं ! बदला था ही नहीं! आजादी के बाद के दंगों के बाद गांधी ने कहा था कि मैं हिंदुस्तान से हिंदुओं को वापस उनके घर पाकिस्तान ले जाऊंगा और मुसलमानों को वापिस उनके घर हिंदुस्तान ले कर आऊँगा !... कितना विशाल ह्रदय ? जिसमे सारा संसार समा सकता है !
आप खुद को गांधीवादी कहलाते हैं और कितनी हिंसक भाषा बोलते हैं ! जो कि आर एस एस के बड़े नेता भी खुले आम टी वी पर बोलने में परहेज़ करेंगे ! कि सड़क के बीच में फांसी पर लटका दो ! आप देश के क़ानून को ना मानने का आवाहन कर रहे हैं ? क्या भीड़ को खुश करने के लिए अब आप इस तरह की क्रूर कृत्यों के लिए भी अनशन करेंगे ? क्या लोकतंत्र का स्थान भीडतंत्र को दिलाने का आपका स्वप्न तो नहीं है ? लोकतंत्र भीड़ तंत्र नहीं है अन्ना ! लोकतंत्र का अर्थ है एक लंबे विकास क्रम में मानवजाति ने जिन सामाजिक मूल्यों , जैसे समता ,सहिष्णुता, बराबरी , न्याय का विकास किया है और तय किया है कि समाज और शासन उनके आधार पर चलाया जाए !
आपको याद है गांधी का वाक्य जिसमे गांधी कहते हैं कि आँख के बदले आँख और दांत के बदले दांत, अगर यही न्याय होगा तो सारी दुनिया में लोग काने और बिना दांत वाले होंगे !
अन्ना मुझे याद है (और मैं इसे आप को दिखा भी सकता हूँ ) जब कसाब को अदालत द्वारा फांसी की सजा दी गए तो मैंने अनेकों लोगों को फोन पर एस एम् एस भेजा कि कसाब को मुझे सौंप दो मैं इसे अपने आश्रम में रखूंगा और इसके दिल से भारत के विषय में गलतफहमियां और नफरत दूर कर दूंगा ! और एक साल के बाद ये भारत के लोगों की सेवा करता हुआ मिलेगा मैं वादा करता हूँ ! इस पर चिदंबरम का जवाबी एस एम् एस आया था कि ये आपने क्या लिख कर भेजा है ? मैंने दृढता से कहा कि मैंने जो कहा है मैं उस पर अडिग हूँ ? मेरे फोन में वो दोनों मेसेज अभी भी हैं !
अगर हमारे दिल में इंसान की भीतरी अच्छाई पर भरोसा नहीं है और हर व्यक्ति के ह्रदय परिवर्तन पर हमारा विश्वास नहीं है ! तो हम कैसे खुद को गांधीवादी माने ? आप उपवास से पहले राजघाट पर गए थे ! आपने दो घंटे चिंतन किया ! क्या गांधी ने आपको इस तरह की क्रूर प्रेरणा दी थी ?
अन्ना दुनिया को इस समय बदला नहीं क्षमा चाहिए! बराबरी और न्याय के लिए हमारे प्रयत्न चाहियें ! हिंसा में डूबे लोगों के नफरत के कारण को सहानुभूति से समझने वाले लोगों की ज़रूरत है ! तब आयेगी शांती तब बनेगा वो समाज जो इस परमाणु युग में जीवित बचेगा ! आपकी क्रूरता तो कुछ ही दिन में परमाणु युद्ध करवाने के लिए काफी है !
और ये भी मत भूलिए कि जिस नफरत के कारण कसाब ने ये कृत्य किया ! यही नफरत भारत के बहुत से हिंदुओं के दिलों में भी पाकिस्तान और मुसलमानों के लिए है ! और वो भी कसाब जैसे ही कृत्य करते हुए पकडे गए हैं और जेलों में हैं ! लेकिन जेल में इन हिंदू आतंकवादियों के भोजन पर होने वाले खर्च पर आपको बेचैनी नहीं होती ! पर कसाब के भोजन पर होती है ! ये कैसा गांधीवादी करूणा से भरा हृदय है !
अन्ना ये एक गांधीवादी का दुसरे गांधीवादी को पहला पत्र है ! लिखता रहूँगा ! आशा है आप अपने इस बयान को वापिस लेंगे ! और ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे करोड़ों युवकों का गांधी के बारे में मोहभंग हो जाये !
हिमांशु कुमार

20 comments:

  1. अत्यन्त चिंतनीय! क्या अन्दाज है! सुन्दर। भारत के लोगों में जो नफ़रत है, वह भी कसाब वाली ही है, रंग अलग होने से घर नहीं बदलता। जरा शब्द पुष्टिकरण हटा दें। टिप्पणी करने में आसानी होती है।

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    1. नहीं इन हिँजडोँ को यह कतई स्वीकार नहीं है ISI वाले इन के बाप है! और हाँ नाथूराम गोडसे और मोदी की तुलना इनसे ना करें!
      हिमांशु जी औकात है तो इस बात का भी जवाब दें कि गाँधी इतना ही विशाल हृदय और निष्पक्ष था तो उसने मुसलमान से भी प्रायश्चित करने को क्यों नहीं कहा? सारा हिँजड़ापन हिंदू को ही पढ़ाना था? और हाँ जाते जाते एक हिंदू आतंकवादी का नाम बता दो जिसे फाँसी हुई हो और उसे कसाब की तरह पाला जा रहा हो?

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    2. I am not the supporter of KASAAB. Whatever the punishment given to him is not enough. According to Quran” If you kill an innocent human you killed all human kind and if you save a Human it is like you saved humankind”. KASSAB and his companion killed 100s of innocent people and he deserves the punishment more than this…
      Do you remember that Hindu extremists DARA SINGH and his companion burning alive Australian missionary with his 2 two children in Orissa in 2009 and her wife forgive the assassin… I am not aware (No NEWS) what punishment had given to him by our government!!! Do you have any update??

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  2. हिमांशु जी ...........एक बात वह है जो आपने कही जो शायद किसी को हजम ही न हो.गाँधी के रास्ते पर चलना न उस समय आसान था और न आज है. दुसरी ओर अन्ना हजारे जी की बात है जो सामान्यतः लोगो को आकर्षित करती है.यह आतंकवादी है.इसने इतने लोगो को मारा और इसे और इस जैसे और आतंकवादीयों को छुडाने के लिए आतंकवादी और लोगो को मार रहे है, मार सकते है.इसे सार्वजनिक स्थान पर फांसी दे जाए ताकि दूसरों को भी सबक मिले.तीसरी बात हमारे देश का कानून सम्मत संविधान सम्मत रास्ता है जिसमे किसी भी अपराधी को दोष सिद्ध न होते तक अपराधी न मानते हुए बचाव के और अपील के पुरे अवसर दिए जाते है.एक भी निर्दोष को सजा न मिले और उसे भी सुनवाई और अपील का का पूरा अवसर दिया जाए.इस प्रक्रिया मे समय लगना स्वाभाविक है और लगता भी है.इसी की अन्ना हजारे जी जैसे लोग आलोचना करके सार्वजनिक स्थान मे फांसी जैसे बात कर रहे है जो आपके अनुसार गांधी के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है.यह देश हमारा समाज आखिरकार किसके रास्ते पर चले ? विकल्प.१-गांधी के क्षमा के रास्ते पर जिसकी आप बात कर रहे हैलेकिन पहले भी उसकी आलोचनाये होती रही है.आपकी इस बात की भी होंगी.विकल्प.२-गांधी टोपी पहनने वाले और गांधीवाद-सत्याग्रह के सिद्धांतों पर अमल करने का दावा करने वाले और गांधी के सिद्धांतों के ठीक विपरीत सलाह देने वाले, मांग करने वाले और आचरण करने वाले अन्ना हजारे जी के रास्ते पर.विकल्प-३ बाबा साहेब अम्बेडकर के द्वारा बनाए गए, अधिकांशतः देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से बनी और राष्ट्रवादी भावनाओ से ओत-प्रोत उस समय देश मे उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ विषय विशेषज्ञों से बनी संविधान सभा मे लंबी चर्चाओं के बाद स्वीकृत संवैधानिक रास्ते पर.हर रास्ते के पक्ष-विपक्ष मे बहुत सी बाते है.तर्क है.आइये इस चर्चा की शुरुआत करे.......

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  3. himanshu ji, achhi pratikriya likhi hai aapane. main anna ke bhrashtachar andolan ka samarthan kiya par anna ne jo tippani kee hai wah theek naheen. hum log to mrityudand ke viroshi hain.

    suresh nautiyal
    himalayan peoples forum
    new delhi

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  4. हिमांशु जी ,यदि ऐसा ही है ,तो आप लोगो को नरेन्द्र मोदी और नाथूराम गोंडसे को भी माफ़ करदेना चाहिए ......है किसी में इतना नैतिक साहस

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    1. नहीं इन हिँजडोँ को यह कतई स्वीकार नहीं है ISI वाले इन के बाप है! और हाँ नाथूराम गोडसे और मोदी की तुलना इनसे ना करें!
      हिमांशु जी औकात है तो इस बात का भी जवाब दें कि गाँधी इतना ही विशाल हृदय और निष्पक्ष था तो उसने मुसलमान से भी प्रायश्चित करने को क्यों नहीं कहा? सारा हिँजड़ापन हिंदू को ही पढ़ाना था? और हाँ जाते जाते एक हिंदू आतंकवादी का नाम बता दो जिसे फाँसी हुई हो और उसे कसाब की तरह पाला जा रहा हो?

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  5. "गांधी ने कहा कि तुम्हारा प्रायश्चित यही है कि एक ऐसा मुसलमान बच्चा ढूंढो जिसके माँ बाप को मार डाला गया हो ! और उसे उसी तरह पालो जैसे उसे उसके अपने घर में मुसलमान की तरह पाला जाता !" sayad essliye congress abhi tak Kasab ko bacche ki tarah paal rahi hai..

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  6. हिमांशु जी,

    नमस्कार.

    आपके साहस, लगन,और करुण हृदय कि मैं इज्ज़त करता हूँ.

    आपके बहुत सारे कार्य हैं जो वाकई प्रशंशनीय हैं और मैं दिल से उन सब कार्यों के लिए आपको सलाम करता हूँ.

    इन सबके साथ-साथ क्या हमें इस बात पर ध्यान देने कि बिलकुल जरुरत नहीं है कि ...एक विमीय गति ....विकास...सोच...हमेशा बहुत खतरनाक होते है. आपके विचार बहुत अच्छे हैं लेकिन ए कितने व्यावहारिक हो सकते हैं?

    माफ कीजियेगा मुझे तो लिखने में ही बहुत दर्द हो रहा है..किन्तु सवाल विचारों के अतिरेक का है इसलिए लिखना पड़ रहा है..

    आपकी याचिका पढ रहा था उसी को लेते हैं...
    क्या उन महिलाओं द्वारा उन नर पिशाचों को माफ कर देना चाहिए...?
    क्या आप उन पिशाचों का हृदय परिवर्तित कर सकते है....?
    यदि हाँ तो आपने अभी तक क्यों नहीं किया...?
    आपने अभी तक कितने अपराधियों का हृदय परिवर्तन किया है..?
    सवाल बहुत हैं आशा है आप हमारे विचारों को समझेंगे..आपका ख्वाब वाकई बहुत हसीन है मगर दुर्भाग्य वश यह एक दिवा स्वप्न से अधिक कुछ नहीं है.

    सामाजिक जिंदगी और काल्पनिक जिंदगी में बहुत फर्क है.......................प्रेम बहुत श्रेष्ठ संभावना है ............किन्तु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उसकी दुनिया वहां से शुरू होती है जहाँ ए तथाकथित दुनिया खत्म होती है.


    आशा करता हूँ सच्चाई स्वीकार करेंगे...

    संजय कुमार द्विवेदी

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  7. बिल्कुल, हमने सलवा जुडूम से जुड़े लोगों को गाँव वापिस जाने और उनके साथ किसी तरह की हिंसा न हो इस पर गांव मे हिंसा का शिकार आदिवासियों से और नक्सलियों से भी की दौर की कई जगह बातचीत की और कई बार लड़ कर भी इस तरह की हिंसा को टलवाया !इसके लिये पदयात्राएं , नक्सलियों के साथ कई रातें बिताईं !पहली बार बता रहा हूं मेरे कार्यकर्ताओं मे कई पुराने एस पी ओ भी थे !हमारी लड़ाई उन आदिवासी लड़कों के खिलाफ नहीं है ! समाज के साथ है जो गरीब को हथियार पकड़ा कर अपने हित के लिये हिंसा करने की मजदूरी पर लगा देता है !

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  8. madarchod kasab kya tera damad hai .

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  9. madfarchod behen ke laude blog likhta hai kasab ne kya teri amma ko condom lagake choda tha jo uska support kar raha hai ...

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  10. saale madarchod katwon ki jaban bol raha hai tu katwa hai.

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  11. useless post.....I think You r the real enemy of Hindustan......

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  12. baat to sahi kahi aapne bhaai, kaash us din kasaab ke banduk se nikli koi goli apke pariwar walo ko lag jati aur tab bhi ye bat aap kahte to mai apke charan chhune aajata. kamine log saale !

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    1. I am not the supporter of KASAAB. Whatever the punishment given to him is not enough. According to Quran” If you kill an innocent human you killed all human kind and if you save a Human it is like you saved humankind”. KASSAB and his companion killed 100s of innocent people and he deserves the punishment more than this…
      Do you remember that Hindu extremists DARA SINGH and his companion burning alive Australian missionary with his 2 two children in Orissa in 2009 and her wife forgive the assassin… I am not aware (No NEWS) what punishment had given to him by our government!!! Do you have any update??

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  13. Let Kasab be the spark that guides INDIA to adopt the "ONE CHILD IS ENOUGH" policy. If the world would have followed China today we would be at 5B nad not 7B. Let us not loose all forests to farms and all biodiversity to our tradition of large families. Let India be the first country to make CONDOMS available to all above 18 years age for free. Why not? Condoms are much cheaper than the burden extra people on already crowded India. If China's population density is about one third of India's, then why do we not get the message?

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  14. अरे सर ये अन्ना मोहन दास करमचंद्र गाँधी वाले गाँधीवादी नहीं, बल्कि संजय गाँधी वाले गांधीवादी है, नाहक इतनी मेहनत की...

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