Pages

Saturday, October 22, 2011

"इंडिया गेट के पास राज पथ पर लोकतंत्र नाच रहा है बंदूकों के साए में "

मजदूरों वाली पार्टी
दुकानदारों वाली पार्टी
खादी वाली किसानो की पार्टी ,
अब सब साथ आ गए हैं ,
'देश के विकास के मुद्दे पर'

विकास के लिए
आदिवासी को मारना है
दलित को लताड़ना है
मुसलमानों को एक बड़ा राक्षस बता कर
अपने हाथ में और ज्यादा हथियार
जमा कर लेने हैं ,

तुम कहते हो
अगर आदिवासी
अगर दलित
अगर अल्पसंख्यक
देश नहीं हैं ?
तो कौन देश है ?
और किसका विकास करना है ?

तो हम समझ गए
तुम ये सवाल इस लिए उठा रहे हो
क्योंकि तुम नक्सली हो
तुम्हारा सम्बन्ध आई एस आई से है
और ज़रूर तुम्हे
चीन से हथियारों की आपूर्ति होती है !

ठीक है हम तुम्हारी भी
'जांच' करवा लेते हैं
तब तक फिलहाल तुम पर
निगरानी रखी जा रही है
तुम्हारे विकास विरोधी और राष्ट्र विरोधी
रुझान और गतिविधियों के संदेह में,

मलाई चाटने वाले शहरी लोग खुश हैं
क्रिकेट का मैच जीता
इंग्लॅण्ड को हराया
सरकार खुश है
भ्रष्टाचार पर शोर मचवाया
बाकी के आंदोलनों पर से
सबका ध्यान हटाया
लो सिद्ध कर दिया भारत एक जीवित लोकतंत्र है

कौन सुनेगा अब तुम्हारी बात ?
लो अब उठाओ उस डेढ़ साल के
आदिवासी बच्चे का सवाल
जिसका हाथ काट दिया था
इस देश की सरकार ने ,

दिल्ली में दिवाली है
देश में शांती है
कुछ लोग मस्त हैं
बाकी के व्यस्त हैं

गरीब हमारे लिए
एक ग्लैमरस और सेक्सी शब्द है
मज़ा खराब मत करो बेकार की गंदी बाते कर के
वाह गरीब के नाम पर मिली संसद की गद्दी वाली कुर्सी,

गरीब के विकास के लिए व्यस्त सारी सरकार
लग्ज़री कारें ,
अमेरिकी ढंग की अंग्रेज़ी में बतियाती लडकियां ,
गरीबों के कल्याण के लिए दिनभर मीटिंगे,
शाम को सुस्ताने के लिए स्कॉच,

व्यस्त है मजदूरों वाली पार्टी
व्यस्त है दुकानदारों वाली पार्टी
व्यस्त है खादी वाली किसानो पार्टी
मस्त हैं सारी पार्टियाँ

फिर तुम क्यों गुस्से में हो ?
याद रखना गुस्सा होना अब देशद्रोह है !

1 comment: