Pages

Thursday, March 29, 2012

लिंगा कोडोपी अभी भी जेल में क्यों है ?



    लिंगा कोडोपी एक आदिवासी पत्रकार है ! वो दंतेवाड़ा जेल में बंद है ! सरकार के मुताबिक दो साल पहले वो विशेष पुलिस अधिकारी था ! दंतेवाड़ा के एस पी अमरेश मिश्रा ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय को यही बताया था !बाद में जब लिंगा की बुआ सोनी सोरी ने कोर्ट में पुलिस के खिलाफ मुकदमा किया! कोर्ट ने लिंगा को पुलिस के चंगुल से आज़ाद करा दिया !
   लिंगा के आज़ाद होते ही सरकार कहने लगी ये तो नक्सली है ! अरे कल तुम कह रहे थे ये पुलिस है , अब कह रहे हो कि वह नक्सली है ? अजीब बात् है ?
    अब उसे जिस एस्सार के झूठे मुकदमे में फंसाया गया ! उस मामले में बाकी जिन लोगों को उसके साथ जेल में डाला था सब के सब बाहर आ गये ! सिर्फ लिंगा को जेल में डाला हुआ है ! क्यों ? कोई जवाब नहीं देगा छत्तीसगढ़ में ! मीडिया ये सवाल उठाएगी भी नहीं !
   इस बीच जेल में रहते रहते लिंगा पर एक और ईल्जाम लगा दिया गया है ! और वो इलज़ाम लगाने का आधार है एक कांग्रेसी नेता का एक मात्र एक खत ! पत्र में पुलिस के किसी कार्यालय की कोई मुहर नहीं है ना आवक नंबर है ! जालसाज़ी साफ़ दिख रही है ! इस खत में वो कांग्रेसी नेता कहता है “महोदय मेरे सूत्रों से मुझे पता चला है कि मेरे घर हुए हमले का मुख्य आरोपी समेली का रहनेवाला लिंगाराम कोडोपी है जो पिछले साल से दिल्ली गुजरात में संदिग्ध रूप से रहकर कुछ ट्रेनिंग ले रहा है | मैं यह भी जनता हूँ कि लिंगाराम कोडोपी का संबंध वनवासी चेतना आश्रम के संचालक हिमांशु कुमार से है मेरे घर पर  हुए हमले की वीडियो रिकार्डिंग करने के लिए नक्सलियों ने किसी जावेद नामक व्यक्ति को भी अपने साथ हमले में शामिल किया था, यह बात भी पता चली है | नक्सलियों के द्वारा क्षेत्र के भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं एवं नेताओं की हत्या कर कम्युनिष्ट पार्टी की विचारधारा को बढाने के उद्देश्य से एवं मेरी कम्युनिष्ट पार्टी से राजनैतिक प्रतिद्वान्दिता के चलते नक्सलियों ने मुझ पर हमला किया !”
    लिंगा कभी गुजरात नहीं गया ! दिल्ली में वो पत्रकारिता की पढाई पढ़ रहा था ! जावेद देश का जाना माना पत्रकार है ! मुंबई में रहता है ! उसके पिता आई पी एस और आई ए एस रहे हैं ! उसने दंतेवाड़ा में कई जले हुए गाँव में जाकर रिपोर्टिंग की है ! उसने नक्सलियों की हिंसा के खिलाफ भी खूब लिखा है ! लेकिन सरकार के खिलाफ लिखा इसलिये इस खत के जरिये उसे भी फंसाने की कोशिश की गयी थी ! हमने लिंगा की बुआ को अदालत का रास्ता दिखाया था इसलिये हमें भी फंसाने की कोशिश की गयी थी ! खैर बाकी इतिहास काफी लंबा है और सब जानते हैं सरकार ने किस तरह इस मामले में थूक कर चाट लिया था !
    अब इस तरह के पत्र के आधार पर किसी को जेल में डाला जा सकता है क्या ? किसी पर मामला बनाया जा सकता है क्या ? नहीं , नहीं बनाया जा सकता ! लेकिन जो कहीं नहीं हो सकता वो छत्तीसगढ़ में हो सकता है ! लिंगा पर इस खत के आधार पर एक नया मुकदमा शुरू हो गया है ! अब मैं अगर एक खत दे दूं ! कि “ मेरे विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि रमन सिंह ने उद्योगपतियों से पैसा खाकर आदिवासियों के गाँव जलवाये हैं इसलिये उसे गिरफ्तार कर लीजिए तो रमन सिंह को जेल में डाल दोगे क्या ? नहीं डालोगे ! क्योंकि क़ानून इसकी इजाज़त नहीं देता !

फिर लिंगा जेल में क्यों है ? ये एक हिम्मत वाले पत्रकार को जिंदगी भर जेल में सड़ा कर उस इलाके के दुसरे पत्रकारों को डराने की कोशिश है ! कहाँ है इस देश का मीडिया ?  कहाँ हैं मीडिया के दिग्गज ? कहाँ हैं आदिवासियों के सिपाही राहुल गांधी ? आदिवासियों पर कितना ज़ुल्म करेगा ये देश ? इन पर रहम करो ! ये भी नागरिक हैं इस देश के !

     

No comments:

Post a Comment