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Monday, March 12, 2012

राहुल शर्मा


 राहुल शर्मा जब दंतेवाड़ा में एस.पी. थे तब हम हफ्ते में एक बार जरुर मिलते थे | जब सलवा जुडुम द्वारा जला दिये गये नेन्द्रा गांव को हमारी संस्था ने दोबारा बसाया| तब हमने तो एक गांव बसाया पर उसे देखकर आस-पास के गांव भी बसने लगे | हमारे आदिवासी कार्यकर्ताओ ने नक्सलियों से कहा कि यदि अब इन दोबारा बसाये गये गांवों में कोई हिंसक वारदात होती है तो आदिवासियों की जिंदगी फिर बिखर जायेगी | इसके बाद अगले छह महीने तक नक्सलियों की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई | मैं राहुल शर्मा से लगातार सम्पर्क में था | मैंने उन्हें समझाया कि देखिये आपने हमें इन गांवों को दोबारा बसने देने में रोड़ा नहीं अटकाया तो इसके फलस्वरूप पिछले छह महीने में आपके एक भी जवान की जान नहीं गई |
खैर सलवा जुडुम तो अलग ही मकसद से शुरू किया गया युद्ध था | इस युद्ध को एक एस.पी. या एक सामाजिक कार्यकर्ता समाप्त कहाँ कर सकते थे? राहुल शर्मा का ट्रांसफर होना तय हो गया | राहुल शर्मा ने मुझसे कहा हिमाँशु जी जैसे श्रीलंका में सैन्य कार्यवाही की गई है वैसी ही कार्यवाही सरकार दंतेवाड़ा में करेगी| उस वक्त आपको हम यहाँ नहीं रहने देंगे | आनेवाला वक्त आपके लिये बहुत खतरनाक होते जायेगा | मेरी आपको सलाह है आप दंतेवाड़ा छोड़ दें | मैं हँस पड़ा, मैंने कहा कि आप श्रीलंका माडल को बस्तर के जंगल में दोहरायेंगे तो अगले पचास साल में भी आप इन घने जंगलो में नहीं जीत पायेंगे और इस युद्ध काल में जो आदिवासी बच्चे पैदा होंगे वो पक्के लड़ाके बनेंगे | आप एक परमानेंट समस्या के बीज बो रहे हैं | खैर राहुल शर्मा के पास मैं कभी-कभी अपनी बेटी के साथ भी जाता था | मेरी बेटी तब छठवीं कक्षा में ऋषि वैली स्कूल में पढती थी | राहुल शर्मा का बेटा तब पहली कक्षा में था | राहुल शर्मा चाहते थे कि वो अपने बेटे को भी मेरी बेटी वाले स्कूल में ही पढ़ायें | हमलोग अक्सर जे कृष्णमूर्ती के दर्शन, कविताओं और शायरी की बातें करते थे |
   हालाकिं जब हम सिंगारम नरसंहार के मामले को अदालत में ले गये ! तो हम और राहुल शर्मा आमने सामने आ गये थे ! लेकिन मतभेदों के बावजूद हम अच्छे दोस्त बने रहे | मैं अपना फोन देख रहा था उसमे राहुल शर्मा के दंतेवाड़ा से बाहर निकलने पर मैंने उन्हें बधाई दी थी और उसमे राहुल शर्मा का “धन्यवाद हिमाँशु जी” का मुझे भेजा गया उनका अंतिम मैसेज सहेजा हुआ है | अलविदा दोस्त !  

3 comments:

  1. एक सुलझे हुए अफसर ने ऐसा कदम क्‍यों उठाया यह सवाल महत्‍वपूर्ण है.......
    श्रध्‍दांजलि.......

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  2. यह आत्महत्या अकारण तो हो नहीं सकती.एक सहृदय पुलिस उच्चाधिकारी का यह आत्मघाती कदम उचित जांच की मांग करता है.श्रद्धांजलि.

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  3. निश्चचित ही राहुल जी के द्वारा उठाया गया यह कदम ....भविष्य के लिए कुछ न कुछ रहस्य है जिसका खुलासा होने पर ....अच्छा ही होगा...... पारिवारिक विवाद तो ऐसे सुलझे हुए अधिकारी के लिए संभव ही नहीं है ....निश्चित ही उच्च अधिकारियों का दबाव या राजनैतिक माहौल के कारण ही ऐसा हुआ होगा ....जाबांज सैनिक के जज्बे को सलाम .......

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