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Friday, April 27, 2012

" ये लोग दुर्दान्त माओवादी नहीं हैं "


करटम जोगा

सुकमा के कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन के अपहरण के बाद माओवादियों ने कुछ लोगों कि छोड़ने की मांग की है | नक्सलियों के मांग पत्र में दो तरह के लोगों के नाम शामिल है | पहला, सभी पार्टियों के राजनीतिक कार्यकर्त्ता, और दूसरे, नक्सलियों की अपनी पार्टी के लोग | इनमे से नक्सलियों के अलावा जो दूसरे राजनैतिक कार्यकर्ता हैं वे सी.पी.आई. तथा कांग्रेस से सम्बन्ध रखते हैं एवं लगभग सभी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में काम करने वाले निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं | अपने दंतेवाड़ा के सामाजिक कार्य के दौरान मैं अक्सर ही इन सभी लोगों के संपर्क में आता था एवं मैं अच्छी तरह जनता हूँ कि इनमें से किसी का भी नक्सलियों से अथवा किसी भी हिंसक गतिविधी से कभी कोई संबंध नहीं रहा है | इन सभी को स्थानीय ठेकेदारों, प्रतिद्वंदी राजनैतिक नेताओं और भ्रष्ट पुलिस ने आपस में सांठगांठ करके फर्जी मामलों में फसाकर जेलों में डाला हुआ है | इन कार्यकर्ताओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी आप सभी के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ –
१.      करटम जोगा –
करटम जोगा एक वरिष्ठ सी.पी.आई. नेता हैं | वे कोंटा जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष हैं | उन्होंने सलवा जुडूम के जुल्मों का विरोध किया तो उन्हें बहाने से थाने में बुलाकर एस.पी.ओ. ने उल्टा लटकाकर पीटा |
     वे सलवा जुडूम के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे मुकदमे में नंदनी सुंदर व मनीष कुंजाम के साथ सह आवेदक हैं | जब सर्वोच्च न्यायालय में करटम जोगा ने यह सिद्ध कर दिया कि दंतेवाड़ा जिले में बच्चों की पढ़ाई इसलिये बंद है क्योंकि स्कूलों पर सुरक्षाबलों का कब्ज़ा है, तो छत्तीसगढ़ सरकार घबरा गई | छत्तीसगढ़ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में झूठ बोला कि सुरक्षाबलों ने सभी स्कूलों को खाली कर दिया है एवं मुकदमे के आवेदक स्वयं जाकर इस बात की तसदीक कर सकते हैं परन्तु तीन दिन बाद ही सरकार ने घबराकर मुकदमे के आवेदक करटम जोगा को जेल में डाल दिया |
        उन्हें जेल में डालने वाले तत्कालीन एस.एस.पी. कल्लूरी ने झूठा बहाना बनाया कि करटम जोगा सी.आर.पी.एफ. के छिहतर जवानों पर हमले की घटना में शामिल थे, जबकि करटम जोगा उस दिन घटना स्थल से सौ किलीमीटर दूर सुकमा कसबे में सारे शहर के लोगों के सामने अपने घर में मौजूद थे |
     अंग्रेजी के “द हिन्दू” समाचार पत्र के पत्रकार ने एस.एस.पी. कल्लूरी से पूछा कि आपने करटम जोगा को किस आधार पर गिरफ्तार किया है तो एस.एस.पी. कल्लूरी ने कहा कि हमें दो गवाहों ने करटम जोगा का नाम बताया है | जब उस पत्रकार ने उन दोनों गवाहों के घर जाकर बात की तो उन दोनों ने कहा कि वे तो कभी पुलिस से मिले ही नहीं और ना ही उन्होंने कभी करटम जोगा के खिलाफ कोई गवाही दी है | इस पूरे फर्जी मामले का खुलासा होने के बावजूद करटम जोगा जेल में हैं |अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन अम्नेस्ती इंटरनेशनल ने भी करटम जोगा की रिहाई के लिये अंतर्राष्ट्रीय अभियान चलाया था ! 
२.      विजय सोरी –
विजय सोरी कांग्रेस कार्यकर्ता हैं एवं कांग्रेस पार्टी के किसान कांग्रेस के पदाधिकारी हैं तथा कोंटा विधानसभा क्षेत्र के विधायक कोवासी लखमा राम के निकट हैं | विजय सोरी भी सलवाजुडूम के पक्ष में नहीं थे | दंतेवाड़ा के एस.एस.पी., श्री एस.आर.पी.कल्लूरी ने विजय सोरी को परेशान करना शुरू किया | एक दिन विधायक कवासी लखमा और विजय सोरी ने एस.आर.पी.कल्लूरी से बात-त चीत करने का निश्चय किया तथा विजय और लखमा एस.आर.पी.कल्लूरी से मिलने उनके ऑफिस दंतेवाड़ा गये | एस.आर.पी.कल्लूरी ने विधायक लखमा से कहा कि तुम मेरे आफिस से बाहर जाओ और मैं विजय को जेल भेजकर ही रहूँगा | बाद में विजय सोरी को उतरप्रदेश से आये एक राजपूत कांग्रेस नेता जो पहले पुलिस में था एवं ठेकेदारी करता है, जिसकी पुलिस अधिकारीयों से पक्की सांठगांठ है, एवं जिसका नाम अवधेश गौतम है, के घर पर हुए नक्सली हमले में फर्जी मुकदमा लगा दिया | अभी हाल ही में विजय सोरी की जमानत याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा है कि अवधेश गौतम इस मामले को लम्बा खीचनें के लिये अदालत में आकर अपना बयान नहीं दे रहा है इसलिये अगर अवधेश गौतम तीन महीने के अंदर अपना बयान अदालत में नहीं देता है तो विजय सोरी व अन्य आरोपियों की ज़मानत याचिका दोबारा पेश की जाए |

३.      लाला राम कुंजाम
    लाला राम कुंजाम एस्सार कंपनी में कम करते थे | उन्होंने किरंदुल में एस्सार कंपनी के पाइप लाइन के लिये जमीन भी दी थी, परन्तु बाद में एस्सार कंपनी ने लाला राम कुंजाम का वेतन का पैसा दबा लिया एवं एस्सार में स्थानीय बेरोजगारों को जितनी नौकरियाँ देने का वादा किया था वह भी झूठ साबित हुआ | इसके कारण लाला राम कुंजाम ने धुरली एवं भांसी गांव में एस्सार कंपनी द्वारा जबरन जमीन लेने के विरुद्ध आदिवासियों के आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया| इसपर नाराज होकर स्थानीय नेता व ठेकेदार लालाराम कुंजाम से चिढ़ गये एवं इन्हें भी कांग्रेस नेता अवधेश गौतम ने पुलिस के साथ साठगांठ करके फर्जी मामले में जेल में डाल दिया | लालाराम कुंजाम को भी बातचीत करने के बहाने थाने में बुलाया गया था एवं वहीं से पकडकर जेल में डाल दिया गया |
४.      सुदरू कुंजाम
सुदरू कुंजम किरंदुल के पास कड़मपाल गांव के रहने वाले हैं एवं सी.पी.आई. पार्टी से दंतेवाड़ा जिला पंचायत के सदस्य है | चुनाव के दौरान राजपूत कांग्रेसी नेता अवधेश गौतम से इनका विवाद हो गया था | इस कारण पुलिस और अवधेश गौतम ने मिलकर इन्हें भी फर्जी मामले में जेल में डलवा दिया |
५.      सन्नू मंडावी –
 सन्नू मंडावी कुआकोंडा ब्लाक पंचायत के पूर्व अध्यक्ष हैं | स्थानीय ठेकेदार व राजपूत नेता अवधेश गौतम भी इस ब्लाक में रहता है | अवधेश गौतम पंचायत के समस्त कार्यों का ठेका स्वयं लेना चाहता था परन्तु सन्नू मंडावी जैसे तेजस्वी युवा आदिवासी नेता के रहते इस भ्रष्ट ठेकेदार की दाल नहीं गल रही थी इसलिये उसने भ्रष्ट पुलिस अधिकारी तत्कालीन एस.एस.पी. एस.आर.पी.कल्लूरी के साथ साठगांठ करके सन्नू मंडावी को फर्जी केस में फंसाकर जेल में डलवा दिया | मुकदमे का फ़ैसला ना हो जाये इसलिये यह राजपूत नेता कोर्ट में जाकर गत दो वर्षों से अपना बयान दर्ज नहीं करवा रहा है एवं पुलिस से साठगांठ के कारण अदालती समन को वापस भेजवा देता है | अपराधी चरित्र का यह राजपूत नेता पहले पुलिस विभाग में काम करता था परन्तु भ्रष्टाचार के मामले में इसे पुलिस विभाग से निकल दिया गया था उसके बाद इसने ठेकेदारी करनी शुरू की तथा गुंडागर्दी के बल पर एक बड़े क्षेत्र में अपना दबदबा कायम कर लिया है | यह राजपूत नेता अपने क्षेत्र में किसी भी आदिवासी राजनैतिक कार्यकर्त्ता को पनपने नहीं देता है व उन्हें फर्जी मामलों में फंसाकर जेल में डलवा देता है |

इस प्रकार स्पष्ट है कि जेलों में बंद उपरोक्त सभी आदिवासी युवा राजनैतिक कार्यकर्त्ता हैं तथा भ्रष्ट बाहुबली बाहरी नेताओं व भ्रष्ट पुलिस के अपवित्र गठबंधन के कारण जेलों में डाल दिये गये हैं | इनमे से किसी को गिरफ्तार करते समय किसी पुलिसवाले ने जान नहीं गवाईं है | इसलिये जिस प्रकार का माहौल बनाया जा रहा है कि ये लोग दुर्दान्त नक्सली हैं तथा इन्हें पकड़ने के लिये पुलिस वालों ने अपनी जान गवाई है, सत्य से परे है |

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