जिन्हें लड़ना नहीं है ! वो क्रांतिकारियों का मंदिर बना कर चढावा खाते रहते हैं ! और
यथास्तिथी को ही चलाते रहते हैं ! पहले ये काम ब्राह्मणों ने किया ! बुद्ध जैसों को भी विष्णु बता दिया !
गांधीवादियों ने गांधी के साथ किया !
भगत सिंह के साथ यही किया ! अब यही काम अम्बेडकर के साथ किया जा रहा है ! बनाओ मंदिर, खतम करो परिवर्तन की लड़ाई को ! मंदिरवादी खुश ! अब कोई पारम्परिक विशेषधिकार नहीं छोडना पड़ेगा !
लो पब्लिक को लूटने में तुम भी शामिल हो जाओ ! दलित पहले की ही तरह सिर पर चप्पल रख कर निकलते रहें , मजदूरी मांगने पर गोली से
उड़ा दिये जाएँ !
खौफनाक यह भी है कि हमारी फोजों द्वारा की गयी सारी हत्याएं खुद ब खुद जायज़ मान ली
जाती हैं ! क्योंकि हम पुलिस हैं और जो पुलिस नहीं हैं वो निश्चित तौर पर चोर ही होंगे !बचपन से हम चोर पुलिस ही
खेलते हुए बड़े हुए हैं !
पर अब बालिग होने का वख्त है ! शहीद वो भी माने जा सकते हैं जो पुलिस नहीं थे , और कातिल वो भी हो सकते हैं जो पुलिस थे !
सवाल हिंसक विकास का है ! हम पुलिस की बंदूकों के दम पर दूसरों के संसाधन छीन लेंगे ! और जिनकी ज़मीन छीनेगे उन्हें
गरीबी में धकेल देंगे !
कोई मुंह खोलेगा तो फिर पुलिस भेजेंगे फिर पुलिस उन्हें मारेगी , फिर उनकी लड़कियों से हमारी
पुलिस बलात्कार करेगी ! फिर उन पीड़ितों को न्यायालय न्याय नहीं देगा , मीडिया उनकी बात नहीं सुनेगा !
और हम सोचते हैं शांती हो जायेगी ! क्यों ?
हाँ अगर पैसे वाले इस लूट का समर्थन
करेंगे तो हिंसा बढ़ेगी ! और हिंसा का नुक्सान तो सभी को होता है !समाज में कहीं
दीवारें तो हैं नहीं जिन दीवारों के पीछे हम खुद को छुपा कर सुरक्षित हो जाएँ !
एक बार अपने मेहमानों को लेकर मैं बैलाडीला में घूमाने गया ! एक अधिकारी यारी दोस्ती में शान से बताने लगा कि ये वाली खदान टाटा को, ये जिन्दल को, ये वाली मित्तल को, दी जानी है ! तब मुझे खेल समझ में आया ! कि बैलाडीला की इन खदानों के आसपास के
सारे गावों को सलवा जुडूम ने हमला कर के क्यों खाली करवाया था ! इसीलिये विश्वरंजन भी अपने इंटरव्यू में बोलता था कि
हम आदिवासी ग्रामों को
पुनर्व्यवस्थित करेंगे ! मतलब खान क्षेत्र से
आदिवासियों को हटाने के लिये हमारी पुलिस इन सेठों के नौकरों की तरह काम करेगी !खनिज
तो अंतर्राष्ट्रीय हैं ! कुछ भी कर लो हम इन खनिजों को नहीं बचा सकते !
अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में इनके शेयर बिक चुके हैं ! इन्हें निकालने के लिये पूरी दुनिया की
सेना भी लगाने की ज़रूरत पडेगी तो लगाई जायेगी !कितने भी
लोगों को मारना पड़े मारा जाएगा !
गरीबों के लड़के कर्ज लेकर पुलिस ,सी आर पी एफ , बी एस एफ में नौकरी में लगते
है ! इन्हें उद्योगपतियों के व्यापार के लिये ज़मीने छीनने के लिये आदिवासियों को मारने के लिये भेजा
जाता है ! बेचारे अपना कर्ज का पैसा वापिस करने के लिये आदिवासियों के घरों में घुस कर लूट पाट करते हैं ! इस चक्कर में
कई बार मारे भी जाते
हैं ! फिर शहर में रहने वाले अमीर लोग देश भक्ति का नाम लेकर अपनी छाती पीटते हैं ! छाती पीट पीट कर ये
हमें ना रोने के लिये कोसते भी जाते हैं !
मेरी पत्नी को आमिर खान, धर्मेन्द्र, हेमा मालिनी ,कमल हासन , सारिका , जावेद अख्तर , शबाना आज़मी ,वगैरह से चिढ़ है ! उसका कहना है कि 'इन सब ने पहली पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी की है और इन औरतों ने किसी ना किसी का बसा हुआ घर उजाडा है, इसलिये मुझे इनके चेहरे देखना भी अच्छा नहीं लगता !' मैं समझाने की कोशिश करता हूं तो मुझ से
ही उलझ जाती है कि ऐसे लोगों की तुम तो
तारीफ़ करोगे ही ताकि तुम्हारा रास्ता साफ़ हो ! इसके बाद मुझे भी उसकी हाँ में हाँ मिलानी ही पडती है !
चुनाव हार कर अस्सी करोड की रिश्वत देकर चुनाव परिणाम बदलवा कर चुनाव जीता हुआ गृह
मंत्री ! चुनाव हारा हुआ प्रधान मंत्री हम लोगों को लोकतन्त्र का पाठ पढ़ा रहे है ! ये देश के संविधान में वर्णित
समाजवाद के वादे को रौंद रहे
हैं ! समाज की सामूहिक संपत्ति को पूंजीपतियों को लुटा रहे हैं ! रोकने की कोशिश करने वालों पर पुलिस से
हमला करवा रहे हैं ! इसे हमारा शहरी वर्ग लोकतन्त्र मान रहा है !हद है ?
लिंगा कोड़ोपी ने जेल से ख़त भेज कर ये तो साबित कर दिया है की एक बढ़िया पत्रकार
कहीं से भी रिपोर्टिंग कर सकता है ! और इसके लिए पत्रकार को किसी ख़ास सुविधा की कोई ज़रुरत नहीं है !
वर्तमान की क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने के बजाय अतीत के क्रांतिकारियों की जीवनियों पर चर्चा करना अधिक
सुरक्षित है !
आदिवासी पत्रकार लिंगा कोडोपी की बनाई एक विडियो देख रहा था ! छह साल का बच्चा बता
रहा है कि हमने अपने घर की छत इसलिये उतार दी है ताकि पड़ोसी गाँव ताड़मेटला की तरह हमारा घर भी सरकार ना जला दे !
सोचिये ये बच्चा बड़ा होकर
किसकी तरफ होगा ! सरकार की तरफ या सरकार के खिलाफ लड़ने वालों की तरफ ? हमें इस छह साल के माडवी हिड़मा
से डरना चाहिये ! बस्तर के लड़ाकों की अगली पीढ़ी तैयार हो रही है !
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने सोनी को आज सुबह रायपुर जेल से अपने कब्ज़े में लिया ! लेकिन आज शाम
तक उसे दिल्ली के अ
.भा. आ .संस्थान में भर्ती नहीं किया ! वह सार दिन छत्तीसगढ़ पुलिस के कब्ज़े में रही है और आज की रात भी उसके
छत्तीसगढ़ पुलिस के कब्ज़े में रहने का खतरा है !
छत्तीसगढ़ में सच का गला घोंटने का काम अधिकारियों से ही करवाया जा रहा है ! अनेकों पत्रकार किसके दमन के कारण बस्तर
से बाहर आ गये या जेलों
में सड़ रहे हैं ? पत्रकार असित सेन गुप्ता , प्रवीण झा पर मामले सुनकर हंसी
आती है ! सैंकडों लड़कियों के साथ बलात्कार कर के उनका मुंह बंद करने के लिये जेलों में डाल दिया गया
है ! किसी से भी मिल लीजिए आपको पुलिस , सरकार , और अधिकारियों पर गुस्सा
आयेगा ! अनेकों युवा आदिवासी सामाजिक व् राजनैतिक कार्यकर्ता जेलों में हैं ! भयंकर दमन का माहौल है
!अगर सरकार बहुत भली है तो बाहर से आकर पत्रकारों को आदिवासियों से मिलने क्यों नहीं देती ? बाहरी पत्रकारों को क्यों डराया जाता है ? लेकिन जवाब कौन देगा ? सवाल पूछने वाले को ही जेल में डाल दो !
कोल्कता के नन्दंगा बस्ती पर पुलिस ने फिर से हमला किया है ! २१ महिला , बच्चों और मर्दों को गिरफ्तार किया है ! इस्न्हे फर्जी मामलों में फंसा दिया है !
समझ में नहीं आ रहा ! ये लोग कहाँ जाएँ ?
हम अपनी बेटियों की इस दुर्गति के बाद भी फ़रियाद कर रहे हैं ! सरकार कहती है वह
हथियारबंद लोगों से बात् नहीं करेगी ! हमने अपनी बेटियों कों इस तरह कुचले जाने के बावजूद अभी तक हथियार नहीं उठाये हैं ! सरकार में साहस है तो हम निहत्थों से बात्
करे ! हमारी बेटियों पर ये अत्याचार क्यूं ?
तहलका के स्टिंग आपरेशन में रिश्वत लेते पकडे गये भाजपा के अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण
कों जेल जाना पड़ा ! लेकिन सोनी सोरी के मामले में स्टिंग आपरेशन में पुलिस वाला कहते हुए पकड़ा गया है कि "हाँ हमने तुम्हें और लिंगा कों फंसाया है !" लेकिन इस स्टिंग के बावजूद क्रूर पुलिस अधिकारी कों भारत की राष्ट्रपति ने वीरता
पुरस्कार देने का निश्चय किया ? क्या संदेश दिया जा रहा है ?
ये सभी आदिवासी युवा राजनैतिक कार्यकर्त्ता हैं तथा भ्रष्ट बाहुबली बाहरी नेताओं व भ्रष्ट पुलिस के अपवित्र गठबंधन के कारण जेलों में डाल दिये गये
हैं | इनमे से किसी को गिरफ्तार करते समय किसी पुलिसवाले ने जान नहीं गवाईं है | इसलिये जिस प्रकार का माहौल बनाया जा रहा है कि ये लोग दुर्दान्त नक्सली हैं तथा इन्हें पकड़ने
के लिये पुलिस वालों ने अपनी जान गवाई है, सत्य से परे है |
सुबह जब चाय के साथ बिस्कुट की जगह रात की रोटी मिलती है , तब मैं समझ जाता हूं महीना खत्म होने वाला है !
जिन आदिवासियों कों नक्सली कह कर जेलों में बंद किया गया है ! मैं उनमे से ज्यादातर कों व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं ! हास्यास्पद बहाने बना कर पुलिस ने इन्हें
जेल में डाला हुआ है !अभी उनमे से कुछ लोगों के नाम नक्सलियों ने कलेक्टर कों छोड़ने के बदले छोड़े जाने वाले लोगों की अपनी सूची में शामिल किये हैं ! इस पर
छत्तीसगढ़ के व्यापारी परिवारों के पत्रकार पूरा दम लगा कर
चिल्ला रहे हैं कि हाय हाय सरकार इन दुर्दांत नक्सलियों कों छोड़े दे रही है ! जबकि जेलों में बंद ये सभी
राजनैतिक कार्यकर्ता हैं ! इनमे से कुछ तो कांग्रेस के भी हैं !जिन्होंने सलवा जुडुम का विरोध किया था !
कमाल शुक्ल नाम के जिस पत्रकार
ने अबूझमाड़ पर सरकारी हमले की रिपोर्ट प्रकाशित की थी उस पर पुलिस ने पहले तो
हमला करवाया अब उसे फर्जी पत्रकार सिद्ध कर दिया है ! कोई आश्चर्य नहीं है कि उसे कुछ
दिनों में सरकार नक्सली के आरोप में जेल में डाल दे या उसकी हत्या करवा दे ! क्या
इस तरह के कुकर्म करने के बाद सरकार वहाँ शांती की उम्मीद कर सकती है ?
पुलिस तो हम सत्ताधारी बड़ी ज़ात वाले , ज़मीन वाले , पैसे वाले , रसूख वाले , लोगों की नौकर है ! इसलिये
पुलिस कों चलाने वाले सत्ता केन्द्र कों ध्वस्त करना पड़ेगा ना ! और हम सत्ताधारी लोग इस ध्वंस का हिंसक
प्रतिरोध कर रहे हैं ! न्याय और बराबरी के हम ही तो विरोधी हैं ! इसलिये पुलिस के माथे सब डाल कर हम खुद कों नहीं बचा
सकते ! क्रान्ति आयेगी तो
मुझसे भी तो कुछ छीना जायेगा ना ? इसलिये मैं क्रान्ति
से डरता हूं !
जीत गये हम ! आरती मांझी कों हमने नहीं छोड़ा ! अपने एम् एल ए कों भी छुडवा लिया ! हम बलात्कार भी करेंगे और जीतेंगे
भी !
ये फोटो एक खतरनाक लड़की का है ! ये गाने गाती थी ! ये गाने गाकर किसानो कों जगाना
चाहती थी ! इसने गरीबो के बीच काम करने के लिये अपनी पढाई छोड़ दी ! हे राम कितनी खतरनाक है ये लड़की ! अब ममता दीदी ने
इसे जेल में डाल दिया है
! लेकिन ये इतनी खतरनाक है कि इसने जेल में भी उपवास शुरू कर दिया है ! समझ में नहीं आ रहा इसको कैसे
चुप किया जाये !देश कों और देश के लोकतन्त्र कों इस लड़की से कैसे बचाया जाये ?
अगर किसी गांव के बेज़मीन लोग ! गांव के ज़मीदार की दो हज़ार एकड़ ज़मीन कों आपस में
बाँट ले ! तो यह कानूनन सही होगा ! ज़मीदार का इतनी ज़मीन रखना गैर कानूनी है ! लेकिन इसके बाद भारतीय राज्य की पुलिस
किसका साथ देगी ? क़ानून की मदद करने वाले किसानो का या गैरकानूनी काम करने वाले ज़मींदार का ? आपका जवाब ही नक्सलवाद कों समझने की ओर आपका पहला कदम होगा !
भेड़िये प्रजातंत्र लाते हैं कि आसानी से भेड़ें उनका नाश्ता बनने खुद उनके पास आएं,ना कि उनकी हिफाज़त के लिये ...
सोनी सोरी के चेहरे और शरीर में सूजन हो गयी है ! आँखें बाहर आ गयी हैं ! पेशाब के
साथ खून जा रहा है ! सोनी कों उठने बैठने में भी मुश्किल होने लगी है !सुप्रीम कोर्ट में उसकी सुनवाई पिछले पांच महीने से हर हफ्ते आगे बढ़ा दी जाती है !
समझ में नहीं आ रहा क्या किया जाए ?
अभी एन डी टी वी पर राहुल पंडिता ने सोनी सोरी के गुप्तांगो में कंकण भरने की घटना
और आरोपी एस पी कों वीरता पुरस्कार देने की बात् बताई ! पत्रकार रवीश समेत सभी पार्टियों के बड़े नेताओं ने इस बात् कों टिप्पणी करने लायक भी नहीं माना ! ये घटना
दिल्ली की किसी लड़की के साथ हुई होती तो भी ये मीडिया और राजनीतिज्ञ ऐसी ही चुप्पी धारण करते ? हमें आदिवासियों पर
अत्याचारों पर हमारी ये चुप्पी महंगी पड़ेगी !
होम वर्क मतलब , घर का काम ! स्कूल का काम थोड़े ही !- मेरी बेटी
हम स्तब्ध हैं ! जिस देश में अभिषेक मनु सिंघवी जैसे लोग जजों कों इस स्तर के
समझौते करने के बाद नियुक्त करते हों ! वहाँ हम इन्ही जजों से सोनी सोरी जैसी आदिवासी
महिला के लिये न्याय की उम्मीद कैसे करें ?
सोडी सम्बो के पांव में सी आर पी एफ ने गोली मार दी थी ! जब वो शिकायत करने सुप्रीम कोर्ट में गयी तो पुलिस ने उसका
अपहरण कर लिया ! इसका अभी
तक कुछ पता नहीं चल रहा ! इसके साथ में पुलिस ने २० और आदिवासियों का भी अपहरण किया था ! आज
हमारे कई मानवाधिकार साथी कलेक्टर साहब की रिहाई के लिये अखबारों में विज्ञप्तियां दे रहे हैं ! लेकिन इस महिला और इसके
साथ २० अन्य लोगों के अपहरण पर
सब चुप हैं ! क्या एक आदिवासी महिला का अपहरण इस देश के नागरिक का अपहरण नहीं है ?
क्या इत्तेफाक है कि जिस गांव से कल कलेक्टर साहब का अपहरण हुआ उसी गाँव के पास में सामसेटटी गाँव है !इस गाँव में पांच आदिवासी लड़कियों के साथ पुलिस वालों
ने सामूहिक बलात्कार किया ! बलात्कारी अभी भी खुल्ले घूम रहे हैं एक बलात्कारी तो सुकमा जिले का जिला पंचायत का उपाध्यक्ष भी बना हुआ है ! हमारे पास उसके
गिफ्तारी वारंट पड़े हैं ! लड़कियों ने शिकायत की तो फिर दुबारा थाने के भीतर ले जाकर बलात्कार किया ! पता नहीं क्यों अपहरण में महिला नक्सलियों की तादात
ज्यादा थी !
क्रान्ति तो परिवर्तन का नाम है ! जो हमेशा चलते रहने वाली प्रक्रिया है ! जिस समाज में परिवर्तन नहीं होता वह समाज
मर जाता है ! क्रान्ति
का मतलब हिंसा नहीं है ! अलबत्ता कई बार स्वार्थी तत्व परिवर्तन का हिंसक प्रतिरोध करते हैं !
जैसे इस समय हम सब गरीबों को उनके अधिकार मिलने की हर आवाज़ कों हिंसा से कुचल रहे हैं !
ये लोग कोई क्रान्ति नहीं करेंगे ! ये नई व्यवस्था में अपने लिये जगह बनाने में लगे
हैं ! क्रान्ति जीवन में होती है ! वहाँ कोई बदलाव होता ही नही! सिर्फ राज बदलने के पीछे पड़े रहते हैं ! मकसद साफ़ है , इनकी रुची क्रान्ति में नहीं
राज करने में है !
दिल्ली में कल रात पकिस्तान से आये संगीत दल ' लाल ' कों सुना ! मुझे लगता है
प्रगतिशील लोगों की सक्रियता ही दक्षिण एशिया कों धार्मिक कट्टरता से , अंध राष्ट्रवाद से , और जनविरोधी राजनीति के चंगुल से मुक्त करने का सबसे असरदार रास्ता है !
इस बात् पर क्रोध क्या करना कि एक ढोंगी बाबा बेवकूफ बना बना कर करोड़ों रूपये कमा
गया ! चिन्ता इस बात् की है कि कि इस देश के पढ़े लिखे , शहर में रहने वाले , ताकतवर लोग कितने गैर ज़िम्मेदार , अंधविश्वासी , अवैज्ञानिक और आत्मकेंद्रित हैं
! इन्हें बस अपनी कमाई , अपनी सुख सुविधा की ही चिन्ता है ! इस तरह की जनता के कारण ही आज भारत बड़ी कंपनियों
का गुलाम हो गया है ! इन्हें बस अपनी नौकरी, कारों के माडल , फिल्मो , क्रिकेट की पडी है !,दुनिया,गाँव,गरीब,तर्क,विज्ञा न,राजनीति, देश का भविष्य इस देश के पढ़े लिखे लोगों
की सोच में है ही नहीं !
हमने दंतेवाड़ा में सरकार द्वारा जलाये गये जिन गावों कों दुबारा बसाया था ! वहाँ सभी
सरकारी कर्मचारी , कलेक्टर , एस पी , आराम से जाकर मीटिंग कर लेते थे ! हमारा इरादा सभी
गावों कों दुबारा बसाने का था ! हमने कहा था आदिवासियों पर हमले के मामलों में उन्हें न्याय दीजिए ! तभी शान्ति
आयेगी ! आपने शान्ति के लिये
काम करने वालों पर हमला किया ! उन्हें छत्तीसगढ़ छोड़ कर जाने के लिये मजबूर किया ! अब वहाँ आदिवासियों
की बात् करना भी अपराध है ! इतने अन्याय और खौफ के माहौल में किसी भी तरह की शान्ति की उम्मीद नहीं करनी चाहिए ! न्याय होगा तो शान्ति अपने आप आयेगी !
आप राजनैतिक रूप से सही हैं ! गरीब के हितैशी भी हैं ! फिर भी आपका सूपड़ा साफ़ हो रहा है ! फिर भी आपके अपने लोग ही
आप कों छोड़ कर कांग्रेस
भाजपा की झोली में क्यों गिर गये ? वाद और अपने महापुरुष के मोह से बाहर आ कर खुले दिमाग
और खुली आँख से दुनिया कों देखें और ताज़ी बातें कहें ! भारत के साम्यवादियों कों भारतीय परिपेक्ष्य में सोचना शुरू करना पड़ेगा ! गाँव आधारित जीवन , विकेन्द्रित उत्पादन और नियंत्रण अगर चीनी और रूसी सरकार में नहीं था तो भारत में भी नहीं होगा ! ऐसी
सोच के साथ भारत में रूसी या चीनी माडल कों थोपने के चक्कर में बहुत साल बर्बाद कर चुके !
माओ वादियों की मांगे पढ़ रहा था ! उसमे एक मांग यह भी है कि कांग्रेसी नेता विजय
पर हमले के आरोपियों कों छोड़ा जाए !! यह विजय तो फरार अपराधी है ! अब एक फरार अपराधी पर हमले की शिकायत पुलिस ने कैसे
लिख ली ? संविधान के मुताबिक तो फरार
अपराधी कों पकड कर पुलिस कों सौंपना हर नागरिक का कर्तव्य है ! हाँ उसे छुपाने वाला ज़रूर अपराधी है ! तो
विजय कों सरकार छुपा कर रखे हुए है ! इसलिये फिर से सोचिये छत्तीसगढ़ में असली अपराधी कौन है ?
जिन देशों के पास तेल है ! वो लोकतंत्र की तरफ ना आयें ! लोकतन्त्र लेकर अमेरिका
स्वयं आपके पास आएगा ! और जिन आदिवासियों के पास खनिज हैं उनके पास भी सरकार खुद आयेगी
और बन्दूक पर टांग कर घर में ही लोकतन्त्र दे कर जायेगी !
प्रधानमंत्री की मौजूदगी में गृह मंत्री ने कहा कि माओवादी कोर्ट का इस्तेमाल कर रहे
हैं ! अर्थात वो कह रहे थे कि जो भी इनके खिलाफ कोर्ट में जाता है वो माओवादी है !कोर्ट इसका संज्ञान ले क्योंकि
ये दोनों महाशय देश के
लोगों कों कोर्ट में जाने कों अपराध घोषित कर रहे हैं ! और इस असंवैधानिक काम के लिये सरकार के
प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रहे हैं !
अगर आदिवासियों के साथ ये सब होगा ! आदिवासियों को भारत के लोकतंत्र , न्याय प्रणाली , व समानता का अनुभव अगर नहीं होगा ! उनकी बेटियों के साथ बलात्कार करने पर अदालतें
भी सामान्य कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं करेंगी तो आदिवासियों के पास अपने सम्मान व जीवन की रक्षा करने का क्या रास्ता बचता है ? अगर हमने आज इन
प्रश्नों से मुंह चुराया और आदिवासियों को
भारत के संविधान में लिखे गये समता व् न्याय से वंचित रखा ! उनके द्वारा उठाई गई न्याय की गुहार को बंदूक
से ही दबाया तो मुझे भय है कि आदिवासियों का एक बड़ा तबका ये मानने लगेगा कि ये
व्यवस्था उन्हें न्याय दे ही नहीं सकती ! तथा ये स्तिथी हमारे राष्ट्रीय जीवन में
अशांति का कारण बन सकती है !
हम आप से इस मामले में न्याय की मांग
करते हैं !
व्यक्ति जातिगत आधार पर व्यवहार करता है या वर्गीय आधार पर ? मैंने अनुभव किया है कि आदिवासियों पर या दलितों पर लाठी चलाने वाले , बलात्कार करने वाले ,हमलावर लोग भी आदिवासी , दलित पुलिस वाले या
राजनेता या गुन्डे होते हैं ! आपको
कश्मीरियों पर झारखंड के आदिवासी जो सी आर पी एफ में हैं ज़ुल्म करते हुए मिलेंगे ! नागालैंड के आदिवासी
बस्तर में आदिवासियों पर ज़ुल्म करते हैं ! आदिवासी आई ए एस या दलित आई पी एस भी ज़ुल्म के मामले में पीड़ित पक्ष के साथ
नहीं बल्कि हमलावर सत्ता
का साथ देते हुए दीखते हैं ! कोई भी क़ानून , लोकतंत्र या संविधान का साथ नहीं देता !क्योंकि अब ये
लोग एक दुसरे वर्ग के हो गये हैं !
दुनिया की कोई बस्ती अवैध नहीं है ! दुनिया का कई इन्सान शरणार्थी नहीं बनाया जा सकता ! हर वो क़ानून जो इनसान के दुनिया में रहने , मकान बनाने , खाना उगाने , खाने और जीने के अधिकार पर बंदिश लगाये ऐसे क़ानून कों तोडना हर सभ्य नागरिक का फ़र्ज़ है !
मेरे एक दोस्त ने सर्वोच्च न्यायलय में एक याचिका दायर की है ! हज के नाम पर दी जाने
वाली सरकारी सब्सिडी के नाम पर देश के करोड़ों गरीब टेक्स दाताओं का पैसा हडपा जा रहा है ! सऊदी का एक टिकेट खुले
बाज़ार में चालीस हज़ार का
आता है परन्तु सरकार उसी टिकेट का छप्पन हजार भुगतान करती है ! हर साल तीस रसूखदार मुसलमानों कों
सांस्कृतिक प्रतिनिधिमंडल के नाम पर हज करने भेजा जाता है ! उनका किराया , ठहरना , खाना मुफ्त होता है साथ में उन्हें पाच लाख प्रति दिन का भत्ता भी मिलता है ! यह क़ानून द्वारा
प्रदत्त नागरिकों की समानता के सिद्धांत के विरुद्ध है ! सरकार किसी कों अपना
धार्मिक क्रियाकलाप करने के लिये पैसा नहीं दे सकती ! इस देश के मुसलमानों कों स्वयं
इसका विरोध करना चाहिए ! यह याचिका दायर करने वाले मेरे मित्र भी मुस्लिम हैं !
हम इस कारण गुलाम नहीं हुए थे कि हमारे पास हथियार नहीं थे ! हम इस कारण गुलाम हुए थे क्योंकि हम बंटे हुए थे ! आज
भारतीय समाज के विभिन्न
तबके एक दुसरे के विरुद्ध आर्थिक स्वार्थों के कारण युद्ध में रत हैं ! सेना का इस्तेमाल देश के अस्सी
प्रतिशत गरीबों की ज़मीने और संसाधन छीनने में किया जा रहा है ! दुनिया के अनेकों हथियार
सम्पन्न देश ताश के पत्तों की तरह बिखर गये !हथियार किसी भी देश की मजबूती की गारंटी नहीं है !
परमाणु उर्जा संयंत्र का विरोध करने वाले पचपन हज़ार लोगों के खिलाफ ऍफ़ आई आर दर्ज
!छह हज़ार आठ सौ लोगों पर राजद्रोह का मामला !( जबकि सारी दुनिया के देश परमाणु संयंत्र को अपने देश में लगाना बंद
कर रहे हैं !भारत सरकार
घोर सुनामी क्षेत्र में जिद कर के ये संयंत्र लगाने पर तुली हुई है ) जनता द्वारा अपने जीवन के अधिकार
की मांग करने को राजद्रोह घोषित कर दिया गया है !
याद रखियेगा हिटलर चुनाव जीत कर ही सत्ता में आया था और बाद में उसने लाखों लोगों
का नरसंहार किया !
केलेंडर में
छपे सैनिकों का जुबानी समर्थन कीजिये ! केलेंडर में छपे भगवान के लिये दुसरे सभी
को गाली दीजिए ! केलेंडर में छपे देश के नक़्शे के लिये अपने देशवासियों का ही खून
बहाने वाली फौज के गुण गाइए ! अपने लिये मुनाफा बटोरने वाला व्यापार कीजिये ! और
फिर देश के गरीबों की हालत बदलने के लिये अपनी पूरी जिंदगी तबाह कर देने वाले
लोगों को पीटीए , उन्हें देशद्रोही कहिये नक्सल कहिये ! जियो
केलेंडर छाप देशभक्तों !
भारतीय
मध्यमवर्गीय समाज का गैर संवेदनशील और स्वार्थी हो जाना इस देश में स्वार्थी
राजनीति ,
आत्मघाती विकास
,
और स्वकेंद्रित
समाज व्यवस्था का निर्माण करेगा ! उससे मोदी जैसे क्रूर और बुद्धी हीन नेताओं की
स्वीकार्यता भी बढ़ेगी ! इस से ना सिर्फ देश के कमज़ोर परन्तु बड़े तबके पर हमले
बढ़ेंगे बल्कि प्राकृतिक संसाधनों का बुद्धिहीन शोषण भी बढ़ेगा ! इससे समाज में
हिंसा भी बढ़ेगी और प्रकृति का विनाश भी होगा ! और ये दोनों ही हमारे अस्तित्व के
लिये खतरनाक होगा !
मेरी इच्छा है दुनिया में बस मेरा ही धर्म चले ! मेरी भाषा सब बोलें ! मेरी ज़ात सबसे ऊंची मानी जाय ! मेरे पास सारी सुख सुविधाएँ हों ! कोई मेरा विरोधी ना हो ! सरकार मेरी बात् माने ! पुलिस मेरी रक्षा करे ! मुझे सब सम्मान दे ! मैं सबसे ज्यादा बुद्धिमान माना जाऊं !दुनिया के सारे अच्छे फल सब्जी अनाज मुझे खाने को मिलें ! सारे अच्छे हीरे मोती मेरी बीबी के पास हों !मेरे पास सबसे अच्छी कार हो सड़के चिकनी हो ट्रैफिक ना हो !दुनिया में कोई नक्सली ना हो, कोई आतंकवादी ना हो ! कोई गन्दा आदमी या कोई भिखारी हमें ना दिखाई दे !- आइये मोदी को प्रधानमंत्री बनाएँ !( गुजरात में हिंदुओं और अमीरों के लिये ऐसा हो चुका है )
जंगल का नियम है ताकतवर को सब कुछ मिलेगा ! लेकिन जब हम जंगल से निकल कर बाहर आये और
एक समाज बनाया तब इसके सभी सदस्यों को हमने दो चीज़ों की गारंटी दी, १- समानता, २- न्याय ! न्याय और
समानता ही समाज का आधार है ! समाज में सब सामान होंगे और सब को न्याय मिलेगा ! और सबसे पहले सबसे कमज़ोर को न्याय दिया
जाएगा , जैसे परिवार में बीमार का या
बूढ़े का या कमज़ोर बच्चे का ख्याल सबसे ज्यादा रखा जाता है , हट्टे कट्टे को अन्त में भोजन
मिलता है !इसी प्रकार समाज में जो कमजोर रह गये हैं उनको सबसे पहले न्याय मिलना चाहिए ! और अगर समाज के
बड़े तबके को हम इसी न्याय और बराबरी से वंचित कर देंगे तो फिर हमें शांति की उम्मीद नहीं करनी चाहिए ! जिनके साथ
अन्याय हो रहा है ! उसे
शांत बैठना भी नहीं चाहिए !
पहले लोगों का विश्वास सरकार पर से हटा, पर लोग अदालतों का सम्मान करते रहे ! फिर धीरे
धीरे मजदूरों ने अदालतों में आना बंद किया क्योंकि उन्हें न्याय मिलना बंद हो गया ! फिर आदिवासियों को अदालतों से मायूसी मिली और उन्होंने अपने जीने के लिये
हथियार उठा लिये ! अब दलितों को भी ये सन्देश दिया जा रहा है कि ये अदालत तुम्हारी नहीं
है ! भारत के किसानों को भी अदालतों से मायूसी मिल रही है ! न्याय तंत्र का खात्मा इन सभी कमज़ोर वर्गों के मन में
अन्याय की तीखी भावना
भड़काएगा ! और इससे भारत की आंतरिक शांति खतरे में पड़ जायेगी !
कल के पटना हाई कोर्ट के फैसले ने बड़ी जातियों को नहीं जिताया ! भारत के न्याय तंत्र के कपडे उतार दिये !
हमारी एक साथी ने
बिहार में एक दलित कार्यकर्ता से पूछा कि आप को सरकार नक्सली कहती है ! समाजद्रोही
और राष्ट्रद्रोही कहती है , आप भी मुख्यधारा में क्यों नहीं शामिल हो
जाते ?
उस दलित
कार्यकर्ता ने कहा दीदी, हमारे लोग दिन भर बड़ी जाति के भूमिवानों के
यहाँ काम करते हैं ! हमें मात्र डेढ़ किलो गेहूं की मजदूरी दी जाती है ! हमारी लड़ाई
सिर्फ इस मजदूरी को तीन किलो गेहूं करवाने की है! हमें बस इसी मांग के कारण आप लोग
देशद्रोही कहेंगे ?
मेरे ब्लॉग पर
मुझे लगातार माँ बहन की गालियाँ भेजी जा रही हैं ! मतलब मैं सचमुच कुछ ज़ोरदार लिख
रहा हूँ ! और उसे वही लोग पढ़ भी रहे हैं जिनके लिए मैं लिखता हूँ !
आज सुबह चिदम्बरम साहब मुख्मंत्रियों की बैठक में कह रहे थे की 'माओवादी लोग लोकतान्त्रिक संस्थाओं और अदालतों का इस्तेमाल कर रहे हैं !' तो भैय्या, कानून में तो ऐसा नहीं लिखा है की किसी ख़ास वाद में विश्वास रखने वाले ही अदालत में न्याय के लिए आ
सकते हैं ! और आप तो पहले कहते थे की माओवादियों को हिंसा का रास्ता छोड़ कर मुख्यधारा में आना चाहिए और लोकतंत्र का सम्मान करना चाहिए ! अब जब वो आप की अदालत
का सम्मान कर रहे हैं तो आप नाराज़ हो रहे हैं ?
मुस्लिम परिवार में किसी सदस्य को नास्तिक हो जाने की छूट है क्या ?
लो मैं बेकार में ही लड़ रहा था ? मेरे एक दोस्त ने अभी मुझे बताया है कि अपने रमन
सिंह जी तो मेरे अपने ही प्रदेश , यानि उत्तर प्रदेश के हैं ! वो तो अपने प्रतापगढ़ के
ही हैं ! और अपने राजा भैय्या के परिवार के हैं ! अब खानदानी राजपूत अपने खिलाफ कोई बगावत कैसे बगावत बर्दाश्त कर सकता
है ! अरे जो आवाज़ उठाता है उसकी लड़कियाँ उठवा
लेते हैं हमारे ठाकुर रमन सिंह और थाने में नंगा करवा देते हैं ! जो बोलता है जेल में सडवा देते हैं ! दिल्ली तक चलती
है अपने भाई की !
चिदम्बरम तक अपने भाई की जेब में है ! कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता !
एक और ठग टीवी पर लोगों को चूना लगा रहा है ! नाम है जी डी वाशिष्ठ ! ये किसी लाल
किताब द्वारा लोगों के सारे दुःख दूर करने का दावा करता है ! इसका भी पूरा कार्यक्रम एक विज्ञापन है ! जिसका ये
चैनल को पैसा देता है !
मैं मुजफ्फ्रनगर का हूं ! हमारे यहाँ खेत में काम करने वाले को कमीन कहते हैं ! और
कमीन एक गाली है ! काम करने वाले का नाम एक गाली ? ये समाज, ये सामजिक व्यवस्था एक दिन भी सहन करने योग्य नहीं
है !
जब अमेरिका में वहाँ के मूल अमेरिकियों को मारना था गोरों ने भी यही किया था ! गोरों
ने कहा कि ये रेड इंडियन हमसे लड़ना चाहते हैं इसलिये हमें इन्हें मारना पड़ रहा है ! अब भारत में भी हम यही कर रहे
हैं ! हम अपने आदिवासियों को नक्सली का बहाना
बना कर मार रहे हैं ! आदिवासियों के संसाधन लूटने के बाद जो कारखाने चलेंगे , जो विकास होगा उससे
फयदा उठाने वाले वाले भेडीये , सियार , कव्वे खुश हो रहे हैं !
सफाई करने वाले छोटे , गंदगी करने वाले बड़े , जूता बनाने वाले छोटे, जूता पहनने वाले बड़े , काम करने वाले छोटे , आराम से बैठ कर खाने वाले बड़े ? हम इसी महान भारतीय
संस्कृति का ढोल बजाते हैं ? जो समाज अन्याय की बुनियाद
पर खड़ा हो , वहाँ शांति कभी नहीं हो सकती !
गांधी ने कहा था" अंग्रेजों वाले विकास को अपनाओगे तो
एक दिन तुम्हें अपने ही लोगों को मारना पड़ेगा ! क्योंकि ये विकास दुसरे के संसाधन को छीन कर ही किया
जा सकता है ! अंग्रेजों ने तो सारी दुनिया से संसाधन छीना और सारी दुनिया में युद्ध किया ! पर आज़ादी के बाद भारत किसके संसाधन छीनेगा ? किससे युद्ध करेगा ! ज़ाहिर है भारत एक दिन अपने ही आदिवासियों से युद्ध करेगा !" गांधी की चेतावनी सच हुई आज भारत का
सेनाध्यक्ष आदिवासियों को मारने के लिये
भारतीय सेना की तैनाती का जायजा लेने अबूझमाड़ गया है ! अब वहाँ भी APFSA लगेगा ! हम शहरियों के विकास के लिये हमारी सेना अपने
देश के आदिवासियों को मारेगी !भारत की जनता के विरुद्ध भारत की सेना का युद्ध सभी देशवासियों को मुबारक हो !
उड़ीसा की आदिवासी लड़की आरती मांझी को पुलिस ने थाने ले जाकर बलात्कार किया और जेल में
डाल दिया ! मानवाधिकार संस्थाओं ने शोर मचाया तो डर कर पुलिस ने आरती के पिता और भाई को पकड़ लिया और थाने में मार पीट
कर कोरे कागजों पर
दस्तखत करा लिये ! अब नक्सलियों ने इटली के पर्यटक और एम् एल ए की रिहाई के बदले में अन्य लोगों के साथ साथ
आरती मांझी की रिहाई की भी मांग की है , जिसे सरकार ने मान भी लिया है ! आशा है आरती अब रिहा
हो जायेगी ! मेरा प्रश्न इस देश से यह है कि अब आरती का पिता किसकी जय बोलेगा ? इस देश की पुलिस , सरकार और अदालत की ? या नक्सलियों की ?
दुसरे की ज़मीन , पानी, जंगल और मेहनत बन्दूक के दम पर छीन कर विकास करना
ही हमको आता है ! यह विकास लगातार हिंसा पैदा करता है ! इस विकास को टिकाये रखने के लिये हमें बहुत हिंसा की ज़रूरत
पड़ती है ! और जब हमारे द्वारा पैदा की गयी हिंसा हम
पर पलटवार करती है ! तो हम शरीफ बन कर धर्म, नैतिकता,लोकतंत्र जैसे खोखले हो गये शब्दों की ओट लेने की असफल
कोशिश करते हैं !हमारा यह ढोंग ज्यादा दिन चलेगा नहीं !
सरकारों ने हमेशा ही अदालत और पुलिस का इस्तेमाल कमजोरों को डराने के लिये किया ! आज भी हजारों आदिवासियों को अदालत
और पुलिस की मदद से
जेलों में सड़ाया जा रहा है परन्तु दंतेवाड़ा में जब हमारी मदद से आदिवासियों ने इन्ही अदालतों में फर्जी
मुठभेड़ों और बलात्कार के मामलों में सरकार की ही पेशी करा दी , तो सरकार ने हमें राष्ट्रद्रोही कहां और
हम पर हमला कर दिया ! क्या लोगों को न्याय
के लिये अदालत का रास्ता दिखाना राष्ट्रद्रोह है ? सरकार ये नहीं सोच पा रही
क्या कि अगर आदिवासी न्याय के लिये अदालत में नहीं आयेंगे तो क्या फिर क्या करेंगे ? या तो चुप होकर बैठ जायेंगे या जो भी कर पायेंगे करेंगे !
"पुराना धर्म कहता था
कि ' दांत के बदले दांत और आँख के बदले आँख " , लेकिन जीसस ने कहा कि मैं तुमसे कहता हूं कि धर्म यह
है कि कोई तुम्हारे एक गाल पर मारे तो तुम दूसरा गाल भी आगे कर दो !एक सूई के छेद में से ऊँट का निकलना संभव है
परन्तु किसी अमीर आदमी का
स्वर्ग में प्रवेश असम्भव है !" एक हारे हुए आदमी के मर कर भी प्रेम करना ना छोड़ने की शानदार मिसाल है जीसस !तुम हमारी स्मृतियों में
रहोगे सदैव !
आज तक कौन से सही लोगों के फोटो छापे हैं टाइम ने ? दुनिया के अधिकतर तानाशाहों के
फोटो इसके मुखपृष्ठ पर छप चुके हैं ! अब मोदी का छाप ले ! क्या फर्क पड़ जाएगा ?
मध्यम वर्ग आदिवासियों और ग्रामीणों के संसाधनों को लूटने के लिये सेना का इस्तेमाल करने के पक्ष में तत्पर खड़ा है
!और मोदी उनके सपनो का
नायक है !
तुम्हारा आर्थिक विकास हुआ ! बैंक का आंकड़ा बढ़ा ! या फिर तुम्हारे पास सिर्फ रुपया बढ़ गया ! पर उससे खेत में ना
गेहू बढ़ा , ना गाय के थनो में दूध बढ़ा , ना ताल में मछली बढ़ी, इसलिये रूपये बढ़ने से बस ये हो जाएगा कि जिसके पास रुपया नहीं है उसके हिस्से का
गेहूँ,दूध और मछली तुम्हारे पास आ जायेगी ! तुम्हारे पास तो पहले से ही काफी था ! अब तुम आधा खाओगे और आधा फेंकोगे ! अपना
वजन बढाओगे ! उधर भूखों
की तादात भी बढ़ गयी ! तुम्हारा आर्थिक विकास तुम्हारा भी नुक्सान करता है और दूसरों का भी !
मोदी अगर टाइम मेगजीन के मुखपृष्ठ पर छप जायेगा तो उस से किस पर क्या अंतर आ जाएगा ? ना मानने वाल नहीं मानेगे और मानने वाले मानते रहेंगे ! हम टाइम मेगेजीन का महत्व
क्यों बढ़ा रहे हैं ?
आज के नक्सली भी मर जायेंगे ! आज के पुलिसवाले भी मर जायेंगे ! परन्तु लड़ाई बचेगी !इस लड़ाई को समझो ! इसमें अपनी भूमिका को पहचानो ! आज ही हस्तक्षेप करो !
नहीं तो इस से तुम्हारे बच्चों को निपटना पड़ेगा !
आज के गरीब मर जायेंगे ! अमीर भी मर जायेंगे !आज जो भ्रष्ट नेता हैं वो भी मर जायेंगे ! परन्तु मनुष्य को जनम से
ही अमीर गरीब और भ्रष्ट
बना देने वाली क्रूर व्यवस्था बची रहेगी ! इसलिये सारी कोशिश इस व्यवस्था को बदल देने की होनी चाहिए !
व्यक्तियों के बदल जाने सुधर जाने या थोड़े समय के लिये डर जाने से स्तिथी नहीं बदलेगी ! शांति भी नहीं आयेगी !
एक राष्ट्र होने की शर्त क्या है ? ना एक झंडा, ना एक सरकार, ना एक सीमा हमें राष्ट्र बनाती है ! एक मात्र शर्त है
देश में भीतर, आपस में युद्ध ना हो ! परन्तु विभिन्न वर्ग आपस
में एक दुसरे के विरुद्ध आर्थिक स्वार्थों के लिये यदि पुलिस और सेना की बंदूकें इस्तेमाल करते हैं ! जिस समय सेना को
अमीर लोगों के हितों के
लिये गरीबों के विरुद्ध इस्तेमाल किया जा रहा हो उसी समय शहरी अमीरों का सेना के पक्ष में उन्माद
राष्ट्र के भीतर पूर्ण युद्ध की स्तिथी पैदा कर देगा ! और यह अमीर शहरी वर्ग के हितों के
विपरीत होगा , क्योंकि जिनके विरुद्ध यह युद्ध छेड़ा जा रहा है वह
इस देश के नब्बे प्रतिशत लोग हैं !
नंदीग्राम और सिंगूर में लोगों पर सरकारी हमलों के खिलाफ आन्दोलन में जुड कर ममता
ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया ! अब वो भी गरीबों पर हमले कर रही है ! सत्ता का यही स्वभाव है !
what you say about these ... http://www.openthemagazine.com/article/nation/those-whom-naxals-kill ...
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