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Sunday, July 8, 2012

सारकेगुडा में बच्चों की हत्या सोच समझ कर की गयी है !



कुछ साथी पूछ रहे है कि बीजापुर के सारकेगुडा में निर्दोष आदिवासियों और बच्चों को भला सी आर पी ऍफ़ 


क्यों मारेगी  ? हमारा कहना है कि आप को समझना चाहिये कि यह हमला माइनिंग के लिये 


ज़मीन खाली कराने के लिये किया गया है ! 
 
इस बार सरकार ने नक्सली मुठभेड का बहाना बनाया है ! लेकिन पिछली बार बिना बहाने के ही 

इसी गाँव को जलाया गया था ! 

मेरे पास इस गाँव के पड़ोसी गाँव वालों का लिखा सन दो हजार नौ का एक पत्र है ! इस पत्र में गाँव 

वाले लिखते हैं :-

हम ग्राम वासियों को दिसंबर माह के ५ तारीख को सलवा जुडूम एवं सी आर पी ऍफ़ ने 

बासागुडा आकर गाँव में पोस्टर चिपकाकर बताया कि आवापल्ली में १/०१/०६ को सलवा 

जुडूम बैठक रखा गया हैं

तुम लोग हर घर से एक सदस्य नहीं आओगे तो तुम लोग नक्सली कहलाओगे. हम लोगों 

ने ०१ जनवरी को बैठक में उपस्थित हुए,  इस बैठक में 

कौन कौन संघम सदस्य हैं वह आगे बढ़कर आत्म 

समर्पण 

करो नहीं तो तुम सब लोग मारे जाओगे. कुछ लोगों ने संघम सदस्य नहीं भी थे लेकिन 

उन्हें डरा धमकाकर ९ लोगों को ज़बरदस्ती आत्म समर्पण 

कराया गयाइसके पश्चात हम बैठक में शामिल होकर 

पुनः 

गाँव लौट रहे थे. कुछ दिनों बाद दिनांक २१/०२/०६ को बासागुडा में भी सलवा जुडूम बैठक 

रखकर हम ग्रामवासियों एवं अन्य क्षेत्रों के लोगों को बुलाया 

गया और नक्सलियों के ख़िलाफ़ भाषण देने को कहा 

गया जो लोग भाषण नहीं देंगे तो वे नक्सली से मिले हुए हैं."...................


गाँव वाले आगे लिखते हैं :- 

"इन सभी गाँवों के लोगों को कतार में खड़े कर रैली निकाल कर ग्राम लिंगागिरी

कोरसागुडासारकेगुडामल्लेपल्लीबोरगुडा जाकर घरों को जलाया 

गया एवं वहां के लोगों को मारपीट एवं बलात्कार किया 

गया. "


असल में बैलाडीला के पीछे की तरफ कई महान उद्योगपतियों को खदान की लीज़ दी गयी हैं 

जिनमे टाटा और एस्सार भी शामिल हैं ! ये लोहा मात्र बीजापुर के 

रास्ते ही निकाला जा सकता है ! बीजापुर तक भारतीय सेना ने सडक बना दी है ! सेना के बोर्डर 

रोड ओर्गेनिजेशन ने बीजापुर से जगदलपुर तक सडक बनायी है ! 

अब बैलाडीला से बीजापुर तक सडक बनानी है ! इस सडक के रास्ते में सारकेगुडा आता है ! 

इसलिए इस गाँव पर हमला किया गया है ताकि आदिवासी गाँव खाली कर के भाग जाएँ !

( मैं यहाँ पर पत्र में लिखे हुए ग्रामीणों के गाँव का नाम और पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले ग्रामीणों के नाम प्रकाशित नहीं कर रहा हूं वर्ना उन्हें सरकार फर्जी मुकदमों में फंसा सकती है अथवा उनकी हत्या कर सकती है ! अगर सरकार मेरे इस लेख पर कानूनी कार्यवाही चाहे तो मैं अदालत में वह पत्र पेश कर दूंगा !)





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