बुद्ध
कितने
बुद्धिमान थे तुम
अपने
सामने ही सम्राटों द्वारा
असंख्य
मनुष्यों को दास बना कर मानव
से हीन बना देने के
विरुद्ध
कुछ भी ना बोले तुम
ना
सैनिकों की क्रूरताओं पर कोई
वाक्य कहा तुमने
राज्य
सत्ता मानव की स्वतंत्रता
में बाधक है
नहीं
कहा तुमने कभी
सम्राट
पुत्र थे ना तुम ?
हाँ
मैं मानता हूं बुद्ध
मैं
जीवन भर ईर्षा करता रहा हूं
तुम्हारी शांत मुखमुद्रा से
कभी
शांत नहीं हो पाया !
कैसे
होता शांत ?
मैं
लड़ बैठा
राज्य
सत्ता से
सैनिकों
की क्रूरताओं से
मनुष्यों
को दास बना देने वाली
समाजनीति,
राजनीति
और अर्थनीति
से
विद्रोह कर बैठा
मैं
बुद्ध होने चला था सिद्धार्थ
लेकिन
विद्रोही बन बैठा !
हांलाकि
मैं मन के भीतर
जानता
हूं कि मेरी सारी लड़ाई
एक
शाश्वत शांत दुनिया बनाने के
लिये है
जिसमे
मनुष्य द्वारा मनुष्य का
और
मनुष्य द्वारा प्रकृति का
शोषण
ना होगा !
तब
मेरी भाव भंगिमा भी तुम्हारी
तरह ही शांत होगी
हे
तथागत !
nice
ReplyDelete