जब अमेरिका में गोरे अँगरेज़ वहाँ के मूल
निवासियों का जन संहार कर रहे थे तब वे तरह तरह के बहाने बना कर अमरीका के आदिवासियों
को मारते थे ! कभी कह्ते थे इन्हें ज़मीन का इस्तेमाल करना ही नहीं आता इसलिये हम
इनकी ज़मीने ले रहे हैं ! कभी कह्ते थे कि हम तो इनसे आराम से ज़मीन लेना चाहते हैं क्योंकि हम सभ्य हैं पर ये
लोग असभ्य हैं और इसलिये ये लोग हमसे लड़ना चाहते हैं इसलिये हम इन्हें मार
रहे हैं ! जबकि आज सब इस बात को जानते हैं कि अमेरिकी आदिवासियों ने बाहर से आये
लोगों का स्वागत किया था और वे लोग बहुत प्रेम करने वाले थे ! अंग्रेजों ने घोड़ों पर बैठ कर जानवरों की तरह आदिवासियों का भगा भगा कर शिकार किया और लाखों
अमेरिकी आदिवासियों को मार कर उनकी ज़मीनों पर कब्ज़ा कर लिया और अमेरिका को अपना
देश घोषित कर दिया ! आज भी अमेरिका के मूल निवासी सरकारी इलाकों में रखे गये हैं
और बहुत बुरी हालात में हैं !
भारत में हम यह सब आज कल कर
रहे हैं और हम ठीक अंग्रेजों वाले हथकंडे ही अपना रहे हैं ! हम आदिवासियों को मारने
के लिये उनके इलाकों में अर्ध सैनिक बल और फौज भेज कर उनके गावों की घेराबंदी कर
रहे हैं ! आदिवासियों को हम नक्सली, अपराधी , खूंखार , देशद्रोही कह रहे हैं !
हमारी फौज़ें आदिवासियों की बेटियों से बलात्कार कर रही हैं , उनके बेटों की हत्या
कर रही है !
लेकिन हमें यह सब पता नहीं
चलने दिया जाता ! क्योंकि हमारी मीडिया में आदिवासी पत्रकार नहीं हैं ! लिंगा
कोडोपी नाम के एक आदिवासी युवक ने पत्रकार बनने की कोशिश करी तो सरकार ने उसे जेल
में डाल दिया और उसकी मदद करने की कोशिश करने वाली उसकी बुआ सोनी सोरी के
गुप्तांगों में एसपी ने पत्थर भर दिये !
अब दयामनी बरला नामक एक आदिवासी
महिला पत्रकार तथा सामजिक कार्यकर्ता को जेल में डाल दिया गया है !
दयामनी बरला झारखंड में एक चाय की दूकान चला कर अपने परिवार का गुज़ारा चलाती है !
दयामनी बरला आदिवासियों की समस्याओं के बारे में लिखती भी है और उसे स्थानीय
अखबारों में भेजती हैं ! अब हम नहीं चाहते कि कोई आदिवासी पत्रकार पूरे देश को
आदिवासियों पर हमारे ज़ुल्मों के बारे में असलियत बताए ! इसलिये हमने दयामनी बरला
को भी जेल में डाल दिया है !
अब हमारी पुलिस, हमारी
अदालत, हमारा समाज आदिवासियों की ज़मीने छीनने के लिये उन्हें चुप करने के काम में
लगा हुआ है ! क्या यही भारत की आज़ादी का सपना था ? हम कह्ते है कि विकास के लिये
किसी को तो कीमत चुकानी पड़ेगी इसलिये आदिवासी भारत के विकास की कीमत चुका रहे हैं
!इसमें क्या बुरा है ?
यह कैसा विकास है जिसमे
आपको अपने परिवार से अलग कर दिया जाता है ! क्योंकि इस विकास में आप अपने माँ बाप,
दादा दादी, बेसहारा बुआ मासी को अपने साथ नही रख सकते ! ये किया विकास है जिसमे आपको प्रकृति से, गाँव से, आपके अपने
समुदाय से अलग कर दिया जाता है ! यह कैसा विकास है जिसमे आप बस पैसे वालों के
मुनाफे को बढ़ाने के लिये मेहनत करते हो ! यह कैसा विकास है जिसमे आप को कला और संस्कृति
के लिये कोई समय ही नहीं मिलता !
अपने जीवन को नर्क बना कर !
अपने देशवासियों को अपना दुश्मन बना कर विदेशियों द्वारा हम पर लाद दिया गया यह
विकास का भरम हम कब तक ढोएगे ? कब तक हम अपने ही लोकतन्त्र , सभ्यता और सामजिक जीवन को नष्ट करने का काम अपने ही हाथों से करते रहेंगे ?
i donna how to react....
ReplyDelete1. good activism
2. bad activism
3. Anarchy
4. Politics
5. future of tribal leadership
6. Tribalism....vague idea for leaders
7. Conspiracy or hidden agenda
concerned but leadership WTF
आम जनता ठीक रहे तो आजाद होने में क्या समय लगेगा ..
ReplyDeleteगुट में हम स्वयं बने हुए हैं ..
Thank you for your reflections on Dayamani Barla. She has been, is, and will always be an icon of struggle for Jharkhandi activists and people.
ReplyDeleteStan Swamy
Jharkhand Bachao Andolan
Ranchi, Jharkhand
Jee Haan, Sahan hi nahin unka samman hota hai Chhattisgarh ki paawan dharti par.
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