दो दिन पहले भारत के ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश साहब का माओवाद पर भाषण सुनने तीन मूर्ती भवन में गया था .
वो कह रहे थे कि माओवाद भारत के लोकतन्त्र के लिये खतरा है .
उन्होंने पूछा इस समय गांधीवादी लोग कहाँ हैं ?
एक महिला ने खड़े होकर कहा कि गांधीवादी या तो जेल में हैं या नक्सली इलाकों से निकाल दिये गये हैं . आपको हिमांशु कुमार के बारे में मालूम होना चाहिये .
मैंने कहा कि मैं यहाँ बैठा हूं .
मैंने मंत्री जी से एक प्रश्न किया .
भारत के कौन से उद्योग के लिये गरीबों की ज़मीने बिना पुलिस की मदद से ली गई हैं .
और अगर भारत राज्य हिंसा के दम पर ही सब काम करता है तो
इसमें से अहिंसा कैसे निकलेगी .
मंत्री जी ने कहा कि वे इस सब पर लंबी बातचीत के लिये एक अन्य बैठक बुलायेंगे .
लेकिन मैं इस देश के पढ़े लिखे लोगों से भी यही बात पूछता हूं .
आज सारे देश में विकास की धूम मची हुई है .
विकास का अर्थ है बड़ी कम्पनी आयेगी और विकास करेगी .
बड़ी कम्पनी के लिये गरीबों की ज़मीने ली जायेंगी .
गरीब प्रेम से ज़मीने नहीं देंगे .
तो सरकार पुलिस भेजेगी .
पुलिस बंदूकों और लाठी के दम पर ज़मीन छीनने का काम करेगी .
गरीब की ज़मीन छीन कर अमीर को दे दी जायेगी .
यही हमारा विकास का माडल है .
गरीब की बात सरकार नहीं सुनेगी .
गरीब की बात कोर्ट नहीं सुनेगा .
गरीब की बात मीडिया नहीं करेगा .
गरीब की बात शहर के पढ़े लिखे बाबू साहब लोग भी नहीं करेंगे .
कोई भी राजनैतिक पार्टी गरीब की ज़मीन छीनने के विरुद्ध नहीं है .
तो विकास का अर्थ है अमीर का विकास
तो विकास का अर्थ है गरीब के पास जो कुछ भी है वो भी छीन लो .
गरीब से उसकी ज़मीन छीनेगी सरकार
सरकार अमीर की तरफ है
सरकार गरीब के खिलाफ है
सरकार हिंसक है
और सरकार की हिंसा हमेशा गरीब के खिलाफ होती है .
इसका अर्थ है
भारत की राजनीति हिंसा पर आधारित है
भारत का विकास हिंसक है
भारत का प्रभावशाली वर्ग इस हिंसा का समर्थन करता है
अब मुझे आप पढ़े लिखे लोग यह समझाइये कि
लोकतन्त्र का क्या अर्थ है ?
क्या लोकतन्त्र में एक नागरिक के जीने के संसाधन छीन कर दूसरे नागरिक को दिये जा सकते हैं ?
क्या एक लोकतन्त्र में लाखों लोगों के जीने के संसाधन छीन कर किसी एक ताकतवर अमीर व्यक्ति को दिये जा सकते हैं ?
क्या एक लोकतन्त्र में सरकार के बंदूकें एक अमीर आदमी के फायदे के लिये देश के लाखों गरीबों के विरुद्ध प्रयोग करी जा सकती हैं ?
यदि लोकतन्त्र में यह सब नहीं किया जा सकता
और भारत में चारों तरफ यह किया जा रहा हो तब भी आप इसे लोकतन्त्र मानेंगे ?
आप इसे गणतन्त्र मानेंगे ?
आप इसे आज़ादी मानेगे .
आप शायद इसे ही लोकतन्त्र मान भी लें क्योंकि आप इस लूट के कारण फायदे में हैं
लेकिन इस देश के करोड़ों लोग इसे लोकतन्त्र नहीं मान पा रहे हैं .
और आपने उनके लिये न्याय पाने के सारे रास्तों पर बंदूकों का पहरा लगा दिया है .
इन हालात् में अहिंसक और शांतिमय भारत का निर्माण कैसे होगा ? .
क्या आप भी ये मानते हैं कि हमारी ज़्यादा बंदूकधारी सेनाएं देश के गरीबों के गले पर सवार हो जायेंगी तो देश में शांती आ जायेगी ?
nahi...
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