हमारा समाज सैनिकों कि मौत से बहुत हडबडाता है .
हमारा समाज नागरिकों कि मौत से विचलित नहीं होता .
हमारा सारा समाज इन सैनिकों की बन्द्दूकों के दम पर किये गये विकास पर ही ऐश कर रहा है
इसलिये संसाधनों के लिये आदिवासियों के मरने के समय हम क्रिकेट देखने का बहाना करने लगते हैं .
लेकिन हम जैसे कुछ लोग जो सैनिकों द्वारा किये गये अत्याचारों का मामला उठाते हैं .
वो दरअसल आपकी हिंसा पर आपका ध्यान दिलाने की कोशिश है
असल में हम समाज में अहिंसक स्तिथी का निर्माण करना चाहते हैं
इसलिये आपको आपकी हिंसा रोकने के लिये कह्ते हैं .
बदले मे आप हमे हिंसा का समर्थक कह्ते हैं
क्योंकि हम आपकी तरह बंदूकों के द्वारा लाये गये विकास की तरफदारी नहीं करते
क्योंकि हम आपकी बंदूकों के समर्थन में नहीं हैं
क्योंकि हम आपकी बंदूकों का विरोध करते हैं
क्योंकि हम आपकी बंदूकों के विरोध में उठी बंदूकों की वजह आपको समझाते हैं
इसलिये आप हमसे नाराज़ रहते हैं
हम किसी भी बंदूक का समर्थन नहीं करते
लेकिन आपकी बंदूकें ज्यादा हैं
आपकी बंदूकें अन्याय की तरफ हैं
आपकी बंदूकें मेहनत कश के खिलाफ हैं
आपकी बंदूकें गाँव के खिलाफ हैं
आपकी बंदूकें किसान के खिलाफ हैं
आपकी बंदूकें आदिवासी के खिलाफ हैं
आपकी बंदूकें जनता के खिलाफ हैं
आपकी बंदूकें ज़मीन छीनने के लिये हैं
आपकी बंदूकें गाँव जलाती हैं
आपकी बंदूकें बलात्कार करती हैं
आपकी बंदूकें अक्ल की बात कहने वालों के पीछे पड़ जाती हैं
आपकी बंदूकें जनता के खिलाफ हैं
आपकी बंदूकें असल में देश के ही खिलाफ हैं
आपकी बंदूकें हमारे ही बेटों के हाथ में हैं
हमारे बेटे अमीरों के लिये अपने ही
देश वालों को मारने को मजबूर किये जाते हैं
नागालैंड के आदिवासी सिपाही को बस्तर में ज़मीने हड़पने के लिये भेजा जाता है
बस्तर के लड़कों को कश्मीर में भेजा जाता है
पंजाब के लड़कों को मणिपुर में भेजा जाता है
इन्हें अमीरों के लिये ज़मीने हड़पने के काम पर लगाया जाता है
ये अपने जैसे दूसरे गरीबों को मारते हैं
और सत्ता बन्दूक की नली से निकलती रहती है
आर्थिक सत्ता भी, राजनैतिक सत्ता भी
अमीर की सेना में गरीब के बेटे
अमीर का फायदा
गरीब को मिलेगी मौत
No comments:
Post a Comment