पुलिस ने सोनी सोरी से किया अपना वादा निभा दिया .
सोनी सोरी और
उसके भतीजे लिंगा कोडोपी से पुलिस ने एक वादा किया था .
छत्तीसगढ़ पुलिस ने लिंगा
कोडोपी नाम के आदिवासी युवक को जबरन अपना विशेष पुलिस अधिकारी बनाने के लिये दंतेवाड़ा थाने
में चालीस दिन तक बंद कर के रखा .
उसकी बुआ सोनी
सोरी ने अदालत में याचिका दायर कर अपने भतीजे को पुलिस के चंगुल से रिहा करवा लिया
.
इस के बाद पुलिस
सोनी और लिंगा कोडोपी से बुरी तरह चिढ़ गई .
उसी समय पुलिस
ने सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी से कहा था कि तुमने पुलिस की बेईज्ज़ती करी है अब हम
तुम्हारे परिवार को बरबाद करेंगे . पुलिस ने यह भी कहा था कि तुम कोर्ट से अगर बरी
भी हो जाओगे तो हम तुम्हें मार डालेंगे .
सबसे पहले सोनी
सोरी के पति अनिल को पुलिस ने एक फर्जी मुकदमे में फंसाया . बाद में उसी मुकदमे
में सोनी और लिंगा कोडोपी को भी फंसा दिया गया .
पिछले महीने
सोनी सोरी के पति अनिल को इस मुकदमे से बरी कर दिया गया . लेकिन अब अनिल अपने घर
जाने की हालत में नहीं था . पुलिस ने अपना वादा पूरा कर दिया था .उसने अनिल को इस
हाल में पहुंचा दिया कि अब वह ना बात कर सक्ता है ना किसी को अपने साथ बीती हुई
बता सकता है .
२७ अप्रैल को
जिस दिन अनिल को अदालत द्वारा बरी किया जाना था उस दिन सुबह सोनी और अनिल की जेल
में मुलाकात हुई . अनिल बिल्कुल ठीक था .
कुछ देर बाद
पुलिस की गाड़ी सोनी और लिंगा को लेकर दंतेवाड़ा जाने के लिये तैयार हुई तो सोनी ने
पुलिस से पूछा कि इस मुकदमे में तो मेरे पति अनिल की भी पेशी होनी है तो आप उन्हें
हमारे साथ आज कोर्ट क्यों नहीं ले जा रहे हैं . तो पुलिस वाले टाल मटोल करने लगे .
इस पर सोनी सोरी अड् गई और बोली कि मैं अपने पति को लेकर ही कोर्ट जाऊंगी . इस पर
जेल अधिकारियों ने सोनी से कहा कि आज दंतेवाडा कोर्ट में आपसे मिलने दिल्ली से कोई
आया है इस लिये आप और लिंगा कोर्ट चले जाओ .
सोनी सोरी कोर्ट
चली गई . कोर्ट में सोनी सोरी से मिलने कोई नहीं आया था . पुलिस ने उससे झूठ बोला
था . अदालत ने सोनी को, सोनी के पति अनिल को और उसके भतीजे लिंगा कोडोपी को निर्दोष घोषित किया .सोनी
आज बहुत खुश थी क्योंकि आज उसका पति रिहा होकर अपने बच्चों के पास पहुँचने वाला था
. सोनी और लिंगा पर कई और फर्जी मुकदमे अभी बाकी हैं इसलिये उन्हें रिहा नहीं किया
जा सकता था .
लेकिन अदालत से
वापिस जेल लौटते ही सोनी अवाक रह गई . सोनी सोरी को पुलिस जेल से अस्पताल
में अपने पति को देखने के लिये लेकर गई .वहाँ सोनी का पति अनिल पूरी तरह बेबस हालत
में पड़ा हुआ था . उसका पति अपने शरीर के सभी अंगों पर अपना काबू गँवा चुका था . वह
लगभग जिंदा लाश बन चुका था . वह बोल भी नहीं पा रहा था . जेल अधिकारियों ने कहा कि
हमने इसे रिहा कर दिया है . आज से इस पर कोई मुकदमा नहीं है .
इसके बाद पुलिस सोनी सोरी को फिर से जेल ले
गई .
सोनी सोरी के
पति की कोर्ट से रिहाई अब किसी काम की नहीं थी . वह अब अपने बच्चों को पहचान भी
नहीं सकता .
इस तरह पुलिस ने
इस परिवार को बरबाद करने के अपने वादे की पहली किश्त पूरी कर दी है . पुरी वादा
पूरा करना अभी बाकी है .
पुलिस ने इससे
पहले सोनी सोरी के गुप्तांगों में पत्थर भर कर उसे कोर्ट में जाने की सज़ा दी थी .
बाद में पत्थर भरने वाले पुलिस अधिकारी को राष्ट्रपति ने वीरता पदक दिया था .
यह लोकतन्त्र और
भारतीय न्याय व्यवस्था का एक भयानक नाटक है . कमज़ोर दिल वाले इसे अभी ही देखना बंद
कर दें . अभी इस नाटक के और भी खूनी होने की उम्मीद है .
दिल्ली में बैठे सरकारी गद्दियो में धंसे, सत्ता के नशे में चूर और ताकत से मगरूर नेता, अफसर, पुलिस,और जज इस पतन शील व्यवस्था की नुमान्दगी करते है, धन पशुओ के टुकडो पर पलने वाले रात में दिन में कभी भी संजय दत्तो/अम्बानियो पर फैसले देते सुनते लिखते है ..यह दास्तान इस बात का सच्चा सबूत है कि भारत को मिली कथित आज़ादी महज़ सत्ता का एक ट्रान्सफर था ..गोरे अंग्रेज कालो को गद्दी दे गए थे ..सत्ता का हू ब हू चरित्र वही है ..जन विरोधी. इस तंत्र को जितनी जल्दी हो सके उलट देना ही उचित और एकमात्र रास्ता है.
ReplyDeleteuf had hai!
ReplyDeleteis system ko paltna itna asan bhi nai hai mere bhaiyon...aur fir ulat doge to uski jagah rakhoge kya.....
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