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Monday, July 1, 2013
आप सब को सरकार की तरफ से आजादी की बहुत बहुत बधाइयां
हर शहरी को इत्तिला दी जाती है की अब मुल्क आज़ाद है
और हम सब अब सभ्य हो चुके हैं
इसलिए अब मेहनत करने वालों को गरीब रहना होगा
और जो गद्दों और कुर्सियों में आराम से पसरे रहेंगे
वो अब से सम्माननीय और अमीर होंगे
और इस नई आज़ादी का एक नियम ये भी होगा की
मुल्क की ज़मीन पानी पहाड़ और जंगल पर
सबका बराबर हक नहीं होगा
जमीनों पर सिर्फ वही कब्ज़ा कर पायेंगे जिसकी तरफ सिपाही होंगे
मुल्क में पैदा होने वाले हर गरीब बच्चे को रहने के लिए एक मकान का कोई हक नहीं होगा
बल्कि कानून अब ये बनाया गया है की
बड़े बंगले में रहने वाले साहब के हुक्म से
गरीब बच्चे की झोंपड़ी सरकारी बुलडोज़र द्वारा गिरा दी जायेगी
मुल्क के आम शहरी को ये भी इत्तिला दी जाती है
की सरकार के मोटे सिपाही जब भी चाहे अपनी पसंद की किसी भी औरत को थाने के भीतर ले जाकर उसके जिस्म में पत्थर भरने का खेल खेल सकने के लिए आज़ाद होंगे
और पुलिस के सिपाहियों के औरतों के जिस्म से खेलने के इस खेल के मामले में संसद और अदालत कोई भी दखलन्दाजी नहीं करेंगे
इस तरह आज से मुल्क के सिपाही, आरामखोर सेठ, अदालतें और संसद आज़ाद घोषित किये जाते हैं
और ये भी ऐलान किया जाता है की
मोटे सेठों अदालत संसद और पुलिस वालों की
इस आज़ादी पर जो भी शहरी सवाल उठाएगा
उसे आज़ाद मुल्क का ये निजाम सरकश और मुल्क का गद्द्दार मानेगा
और इस आज़ादी पर सवाल उठाने वाले वाले को उसकी हैसियत के मुताबिक
उम्रकैद या सजाए मौत दी जायेगी
इसलिए आज के बाद इस आज़ाद मुल्क के हर शहरी के लिए ये लाजिम होगा की वो
संसद पुलिस और अदालत को हमेशा इज्ज़त की निगाह से देखे
और हमेशा अदब से अपना सर इनकी शान में झुकाए रखे
आप सब को सरकार की तरफ से आजादी की बहुत बहुत बधाइयां .
very good, sahi kaha aapne, aaj aisa hi kuch ho raha hai, ab aam aadmi ki khair nahi
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