सोनी सोरी पर सरकार ने आठ फर्जी मुकदमे बनाए थे . जिनमे से पांच मामलों में सोनी सोरी को कोर्ट ने निर्दोष घोषित कर दिया है .एक मामले में सोनी सोरी को कोर्ट ने ज़मानत दे दी है . एक मामले को दाखिल दफ्तर किया जा चूका है . अब एक ही मामले में सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी जेल में कैद हैं .
सरकार ने एक राजपूत कांग्रेसी नेता के घर पर हमला करने के में फंसा कर सोनी सोनी सोरी , लिंगा कोडोपी और सोनी सोरी के पति अनिल फुटाने को जेल में डाल दिया .
लेकिन बाद में कोर्ट ने इन तीनों को निर्दोष मान कर इस मामले में भी बरी कर दिया .
सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी पर अब बचा हुआ आख़िरी मामला इतना हास्यापद है कि सरकार पर हंसी आती है .
पुलिस के मुताबिक़ ''एस्सार कम्पनी का एक ठेकेदार बीके लाला बाज़ार में पन्द्रह लाख रूपये लेकर पहुंचा . बाज़ार में सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी पहुंचे और ठेकेदार बीके लाला ने सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी को पन्द्रह लाख रूपये दिए तभी पुलिस ने बीके लाला और लिंगा कोडोपी को पकड़ लिया और सोनी सोरी भाग गयी .''
बाद में फोन पर पुलिस अधिकार ने स्वीकार किया कि असल में ये पूरा मामला फर्जी है और पुलिस का ही बनाया हुआ है . पुलिस अधिकारी के इस फोन की स्वारोक्ति का का पूरा वीडियो तहलका की वेबसाईट पर मौजूद है .
लेकिन अगर यहाँ कुछ देर के लिए पुलिस की कहानी को सच भी मान लिया जाय तो भी कोई पुलिस की इस फर्जी कहानी को कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता .
१- पुलिस का कहना है कि ठेकेदार बीके लाला ने लिंगा कोडोपी और सोनी सोरी को पन्द्रह लाख रूपये दिए
- लेकिन पुलिस की चार्ज शीट में नगदी लिंगा कोडोपी के पास से ज़ब्त नहीं हुई है . सीजर मेमो में नगदी ठेकेदार बीके लाला के पास से ज़ब्त दिखाई गयी है .
- पुलिस भी मानती है कि पैसा बीके लाला का अपना था .
- पुलिस भी मानती है कि पैसा बीके लाला के पास से ही ज़ब्त हुआ .
- तो अपना पैसा अपने पास से ही ज़ब्त होने में कौन सा जुर्म हुआ ?
- पुलिस की कहानी को सच मान भी लें तो भी कोई जुर्म तो हुआ ही नहीं .
- इस कहानी के समर्थन में पुलिस में सिपाहियों को गवाह के रूप में पेश किया है . इन सिपाहियों के बयान में भी घटना स्थल पर सोनी सोरी के मौजूद होने की बात नहीं लिखी हुई है .
- असल में महीने भर बाद जब पुलिस ने सोनी सोरी को दिल्ली में आकर पकड़ा था , उसके बाद इस मामले में सोनी सोरी का नाम जोड़ा गया .
- पुलिस के सिपाहियों से एक महीने भर बाद सिपाहियों से एक दूसरा बयान लिखवाया गया जिसमे इन पुलिस वालों से लिखवाया गया कि घटना स्थल पर सोनी सोरी भी मौजूद थी .
- हांलाकि इस तरह से पुलिस वालों का दो बार बयान बदलना गैर कानूनी है .
इस तरह के पूरे फर्जी मामले में फर्जी तरीके से सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी को जेल में बंद कर के रखा हुआ है .
इस पूरे फर्जी मामले में फंसा कर सोनी सोरी को थाने में प्रतारणा दी गयी , सोनी सोरी के पति को जेल में पीट पीट कर अधमरा कर के जेल से बाहर किया गया जिससे सोनी सोरी के पति की मौत हो गयी .
सोनी सोरी के पूरे परिवार को तबाह कर दिया गया .
ये सब इसलिए हुआ क्योंकि सोनी सोरी ने इन्साफ के लिए अपनी आवाज़ उठाई थी .
इन्साफ तो मिला नहीं . बदले में सरकार ने इन्साफ मांगने वाले पर ही हमला कर दिया .
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शुक्रवार को इस मामले में ही सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी की ज़मानत पर जेल से रिहाई के लिए सुनवाई की जानी है .
सरकार ने एक राजपूत कांग्रेसी नेता के घर पर हमला करने के में फंसा कर सोनी सोनी सोरी , लिंगा कोडोपी और सोनी सोरी के पति अनिल फुटाने को जेल में डाल दिया .
लेकिन बाद में कोर्ट ने इन तीनों को निर्दोष मान कर इस मामले में भी बरी कर दिया .
सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी पर अब बचा हुआ आख़िरी मामला इतना हास्यापद है कि सरकार पर हंसी आती है .
पुलिस के मुताबिक़ ''एस्सार कम्पनी का एक ठेकेदार बीके लाला बाज़ार में पन्द्रह लाख रूपये लेकर पहुंचा . बाज़ार में सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी पहुंचे और ठेकेदार बीके लाला ने सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी को पन्द्रह लाख रूपये दिए तभी पुलिस ने बीके लाला और लिंगा कोडोपी को पकड़ लिया और सोनी सोरी भाग गयी .''
बाद में फोन पर पुलिस अधिकार ने स्वीकार किया कि असल में ये पूरा मामला फर्जी है और पुलिस का ही बनाया हुआ है . पुलिस अधिकारी के इस फोन की स्वारोक्ति का का पूरा वीडियो तहलका की वेबसाईट पर मौजूद है .
लेकिन अगर यहाँ कुछ देर के लिए पुलिस की कहानी को सच भी मान लिया जाय तो भी कोई पुलिस की इस फर्जी कहानी को कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता .
१- पुलिस का कहना है कि ठेकेदार बीके लाला ने लिंगा कोडोपी और सोनी सोरी को पन्द्रह लाख रूपये दिए
- लेकिन पुलिस की चार्ज शीट में नगदी लिंगा कोडोपी के पास से ज़ब्त नहीं हुई है . सीजर मेमो में नगदी ठेकेदार बीके लाला के पास से ज़ब्त दिखाई गयी है .
- पुलिस भी मानती है कि पैसा बीके लाला का अपना था .
- पुलिस भी मानती है कि पैसा बीके लाला के पास से ही ज़ब्त हुआ .
- तो अपना पैसा अपने पास से ही ज़ब्त होने में कौन सा जुर्म हुआ ?
- पुलिस की कहानी को सच मान भी लें तो भी कोई जुर्म तो हुआ ही नहीं .
- इस कहानी के समर्थन में पुलिस में सिपाहियों को गवाह के रूप में पेश किया है . इन सिपाहियों के बयान में भी घटना स्थल पर सोनी सोरी के मौजूद होने की बात नहीं लिखी हुई है .
- असल में महीने भर बाद जब पुलिस ने सोनी सोरी को दिल्ली में आकर पकड़ा था , उसके बाद इस मामले में सोनी सोरी का नाम जोड़ा गया .
- पुलिस के सिपाहियों से एक महीने भर बाद सिपाहियों से एक दूसरा बयान लिखवाया गया जिसमे इन पुलिस वालों से लिखवाया गया कि घटना स्थल पर सोनी सोरी भी मौजूद थी .
- हांलाकि इस तरह से पुलिस वालों का दो बार बयान बदलना गैर कानूनी है .
इस तरह के पूरे फर्जी मामले में फर्जी तरीके से सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी को जेल में बंद कर के रखा हुआ है .
इस पूरे फर्जी मामले में फंसा कर सोनी सोरी को थाने में प्रतारणा दी गयी , सोनी सोरी के पति को जेल में पीट पीट कर अधमरा कर के जेल से बाहर किया गया जिससे सोनी सोरी के पति की मौत हो गयी .
सोनी सोरी के पूरे परिवार को तबाह कर दिया गया .
ये सब इसलिए हुआ क्योंकि सोनी सोरी ने इन्साफ के लिए अपनी आवाज़ उठाई थी .
इन्साफ तो मिला नहीं . बदले में सरकार ने इन्साफ मांगने वाले पर ही हमला कर दिया .
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शुक्रवार को इस मामले में ही सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी की ज़मानत पर जेल से रिहाई के लिए सुनवाई की जानी है .
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