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Monday, August 25, 2014

शुभ्रदीप चक्रबर्ती




थोड़ी देर पहले शुभ्रदीप चक्रबर्ती के न रहने की खबर मिली. विश्वास करने में कुछ समय लगा .
अभी कुछ ही दिन पहले ही तो फोन पर शुभ्रदीप से लंबी बात हुई थी .
शुभ्रदीप की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई . शुभ्रदीप से जब मेरी आखिरी बार बात हुई वो कुछ परेशान था .
अभी हाल ही में शुभ्रदीप और उसकी पत्नी मीरा ने बहुत मेहनत से मुज़फ्फर नगर के दंगों पर एक फिल्म ' इन दिनों मुज़फ्फर नगर ' बनायी थी .
इस फिल्म को सेंसर बोर्ड के प्रमाणपत्र के लिए शुभ्रदीप और मीरा ने फिल्म को सेंसर बोर्ड में जमा किया .
लेकिन सेंसर बोर्ड का भी अब मोदी करण हो गया है .
शुभ्रदीप और मीरा की फिल्म को सेंसर बोर्ड ने प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया .
शुभ्रदीप और मीरा ने इस फिल्म पर अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी थी .
मैंने फिल्म देखी है . फिल्म बहुत ही असरदार है और भाजपा के साम्प्रदायिक मुखौटे को उतार सकती थी .
इस घटना के बाद से शुभ्रदीप कुछ परेशान सा था .
अभी मीरा से फोन पर बात हुई मीरा का कहना था कि कुछ समय से वो सर दर्द होने की बात कहते थे और सर दर्द की दवा खा लेते थे .
और आज अचानक यह हादसा हो गया .
जहां तक शुभ्रदीप का सवाल था .
शुभ्रदीप दिल से साम्प्रदायिकता के खिलाफ़ था .
शुभ्रदीप से मेरी पहली मुलाकात जयपुर में पीयूसीएल के सम्मलेन में हुई थी .
वहाँ शुभ्रदीप ने अपनी एक फिल्म दिखाई थी जिसमे निर्दोष मुस्लिम लड़कों को आतंकवादी कह कर जेलों में डाल दिया गया और बाद में वो सब निर्दोष पाए गए थे ,
उस फिल्म में शुभ्रदीप ने उन नौजवानों की जिंदगी तबाह होने की कहानियों का चित्रण किया था .
उसके बाद मुज़फ्फर नगर दंगों के बाद शुभ्रदीप और मीरा ने इन दंगों पर फिल्म बनाने के फैसला किया .
मीरा, शुभ्रदीप और मैं हफ़्तों तक पीड़ित मुस्लिमों के शिविरों में गाँव में जा कर उनसे मिलते रहे और फिल्म की शूटिंग करते रहे .
फिल्म बनी लेकिन उसे दिखाने से रोक दिया गया .
मीरा और शुभ्रदीप द्वारका में हमारे घर से कुछ दूर ही रहते थे .
अक्सर वे दोनों शाम को समोसे लेकर हमारे घर आ जाते थे और कहते थे कि चलो आज शाम की चाय इकट्ठे ही पीते हैं .
मेरी दोनों बेटियों को मीरा और शुभ्रदीप बहुत लाड़ करते थे .
अभी दिल्ली छोड़ कर जब हमारा परिवार हिमाचल आने लगा तो मीरा और शुभ्रदीप ने हम सब को घर पर साथ में शाम को बुलाया .
शुभ्रदीप और मीरा ने दोनों बेटियों को अपने किताबों के संग्रह में से अनेकों किताबों का उपहार दिया .
आज जब दोनों बेटियों को मैंने यह खबर सुनाई तो दोनों बहुत देर तक विश्वास ही नहीं कर सकीं कि मैं यह क्या कह रहा हूँ .
मीरा से मेरी पत्नी वीणा की अभी कुछ देर पहले बात हुई, मीरा कह रही थी कि देखिये भाभी एक पल में जिंदगी कैसे बदल गयी .
आज की शाम उदासी से भरी हुई है .
लेकिन शुभ्रदीप ने अपने छोटे से जीवन में जो किया है वह बहुत महत्वपूर्ण रहेगा .
हमेशा .
अलविदा दोस्त .


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