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Saturday, August 23, 2014

अरुण जेटली

अगर कोई नागरिक किसी को आत्म रक्षा करते हुए मार दे तो उसे सज़ा नहीं होगी.
इसी कानून के तहत पुलिस वाला भी आत्मरक्षा में किसी को मार दे तो उसे कोई सज़ा नहीं होती .
लेकिन कोई नागरिक जब किसी को आत्म रक्षा करते हुए मार डालता है तो इस बात का फैसला अदालत का जज करता है कि यह हत्या आत्म रक्षा के उद्देश्य से हुई थी या कहीं यह इरादतन हत्या तो नहीं थी ?
पुलिस को इस तरह के हर मामले को अदालत में ले जाना ही पड़ता है .
हत्या करने वाले व्यक्ति को अदालत ही निर्दोष घोषित कर सकती है पुलिस नहीं .
लेकिन इसी कानून के अंतर्गत जब पुलिस किसी नागरिक को जान से मार डालती है तो पुलिस खुद ही जज बन बैठती है .
पुलिस हत्या करने वाले अपने पुलिसवाले को आरोपी नहीं बनाती.
पुलिस मरने वाले नागरिक को ही आरोपी बना देती है .
फिर पुलिस कहती है ,
कि आरोपी तो मर गया.
इस लिए मामला खतम.
एक बार आंध्र प्रदेश के हाई कोर्ट ने एक फैसला दिया ,
कोर्ट ने कहा कि
जब पुलिस और नागरिक के अधिकार बराबर हैं तो पुलिस वाले द्वारा किसी भी नागरिक की हत्या के मामले में पुलिस खुद ही कैसे जज बन जाती है ?
कोर्ट ने फैसला दिया कि अब से पुलिस अगर किसी भी नागरिक को मारेगी तो उसे हत्या का मामला माना जाएगा .
और उस मामले को पुलिस बंद नहीं कर सकेगी
बल्कि उस मामले को अदालत में पेश किया जायेगा .
सिर्फ जज ही मुकदमा चलाने के बाद उस मामले को बंद करने का आदेश दे सकेगा .
अब आपको तो पता ही है पुलिस की गोली से सबसे ज़्यादा कौन लोग मरते हैं ?
सबसे ज़्यादा मरते हैं अपनी ज़मीन बचाने की कोशिश करने वाले आदिवासी .
अपनी झुग्गी झोंपड़ी बचाने की कोशिश करने वाले गरीब .
बराबरी की मांग करने वाले दलित .
अपने अपने अधिकार मांगने वाले मजदूर
और क्या आपको पता है कि पुलिस को इन्हें मार डालने का हुकुम देने वाले कौन लोग हैं ?
आदेश देना वाले होते हैं अमीर व्यपारी, उद्योगपति और विदेशी कंपनियों के एजेंट.
तो जैसे ही आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का यह फैसला आया .
पूंजीपति हडबड़ा गए .कि अब हमारे लिए आदिवासियों दलितों और मजदूरों पर गोली कौन चलाएगा ?
ऐसे तो हमारा मुनाफा कमाना मुश्किल हो जाएगा .
हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ़ इन अमीरों का गुलाम एक वकील इस शानदार आदेश को लागू होने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में खड़ा हो गया .
और सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ़ मुकदमा कर दिया कि माई बाप इससे तो पुलिस का मनोबल गिर जाएगा .
उस फैसले पर आज तक अमल नहीं होने दिया गया .
आप जानना चाहेंगे कि पूंजीपतियों का वो गुलाम वकील कौन था ?
उस वकील का नाम अरुण जेटली था .
विदेशी कंपनियों का वो एजेंट वकील आज भारत का रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री है .
और सबसे भयानक बात यह है कि इसे भारत की जनता ने कभी भी चुना ही नहीं .
यह शख्स कभी चुनाव ही नहीं जीता .
फिर भी विदेशी कंपनियों के कहने से मोदी ने इसे भारत का वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री बना दिया है
मतलब अब वित्त मंत्री बन कर विदेशी कंपनियों के लिए , भारत के विकास के नाम पर आदिवासियों की ज़मीन छीनो ,
और आदिवासी इसका विरोध करें तो आदिवासियों के खिलाफ़ भारत की सेना का इस्तेमाल करो और बंदूक के बल पर भारत की संपदा को लूटो और अमीरों और विदेशियों को सौंप दो.
पहले दस साल एक बिना चुनाव जीता हुआ प्रधानमंत्री भारत के सर पर बिठा दिया गया था ,
मनमोहन सिंह भी कभी चुनाव नहीं जीते थे .
अब एक बिना चुना वित्त और रक्षा मंत्री हमारे ऊपर बैठा दिया गया है .
विश्व बैंक और बहुराष्ट्रीय कंपनियां जिसे चाहती हैं वह भारत का वित्त मंत्री बनता है .
चाहे वह चुनाव जीते या न जीते .
यह सहन करने वाले हालात नहीं हैं ,
इस सब को चुनौती देनी ही पड़ेगी .

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