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Sunday, September 7, 2014

ये स्कूल पूंजीपतियों की बनाई हुई शिक्षा प्रणाली को ही चला रहे हैं

बच्चों को स्कूलों में खिड़की से बाहर देखने के लिए मना किया जाता है 
बच्चों को स्कूल में दूसरे बच्चों से बात करने से मना किया जाता है 
बच्चों को स्कूल में दूसरे बच्चों को पीछे कर के आगे निकलने के लिए उकसाया जाता है 

अब बच्चे के दिमाग का स्विच आस पास से बंद हो जाता है .
अब बच्चे को आस पास की प्राकृतिक सुंदरता में कोई आनंद नहीं आता .
अब बच्चे को आस पास के लोगों के साथ के रिश्तों में कोई रुची नहीं बचती .

अब बच्चा एक ऊबा हुआ
आस पास के लोगों को अपना प्रतिस्पर्धी मानने वाला
समाज को दुश्मन समझने वाला
प्रकृति से कटा हुआ
बनावटी स्वभाव वाला व्यक्ति बन जाता है

बच्चे को इस हालत में आपकी यह शिक्षा ले जा रही है

अब बच्चे को मनोरंजन के लिए
वीडियो गेम
और बाद में शराब या ड्रग्स के नशे चाहिए

स्कूल बच्चे को सिखाता है कि तम्हारी पढ़ाई का उद्देश्य
सिर्फ किताबें याद करना
और उसे परीक्षा में जाकर लिख देना भर है

इस तरह हमारे स्कूल बच्चे को आस पास के जीवन से विज्ञान , साहित्य , कला , समाजशात्र
सीखने या समझने की सारी संभावना को पूरी तरह खत्म कर देते हैं

मेरी छोटी बेटी हरिप्रिया ने ने अब स्कूल जाना बंद कर दिया है

अब वो खुद ही गाँव वालों के साथ बकरियां चराने जाती है
गाँव वालों के साथ खेतों में काम करने जाती है
खुद ही लिखती पढ़ती रहती है
उपन्यास पढ़ती है
पेंटिंग बनाती है
कविताएँ लिखती है

इसके अलावा हम लोग आजकल आसपास के स्कूल जाने वाले बच्चों
के साथ भी काम कर रहे हैं

हम बच्चों को
जंगल में घूमने लेकर जाते हैं
बच्चों को चिड़ियों ,तितलियों
को देखने और
उन्हें देख कर आनंद लेने के लिए
प्रेरित करते हैं

इसके लिए हम बच्चों को उपदेश नहीं देते
बल्कि हम प्रकृति के बीच खुद ही खुश होते हैं
जिससे बच्चे भी
फूलों, चिड़ियों , तितलियों
बादलों को देख कर खुश होने लगते हैं

हम बच्चों को अपने दादा दादी , माँ
और आस पास के लोगों के बारे में लिखने
और उनके चित्र बनाने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं

ताकि बच्चे अपने आस पास के लोगों को महत्व दें
और वो यह समझ पायें कि दुनिया में सब लोग
महत्वपूर्ण हैं

अगर हमने यह नहीं किया तो हमारे स्कूल बच्चों को यही सिखा देंगे
कि पैसा कमाना और चीज़ें खरीद कर जमा करना ही
सबसे महत्वपूर्ण है

ताकि हमारे बच्चे
पूंजीपतियों के गुलाम बन कर पैसा कमाने को ही महत्वपूर्ण माने और
देश के सारे सागर , जंगल , ज़मीने खनिज
उनके हवाले कर दें

ये स्कूल पूंजीपतियों की बनाई हुई
शिक्षा प्रणाली को ही चला रहे हैं
हमारी सरकारें इस बदमाशी
में शामिल हैं .

इसलिए भविष्य के समाज को ठीक दिशा में ले जाने का काम तो हमेशा वर्तमान पीढ़ी को ही करना होगा

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