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Sunday, July 3, 2016

हम अपने सैन्य बलों को क्रूर बना रहे हैं


हम अपने सैन्य बलों को क्रूर बना रहे हैं
क्योंकि नियम का पालन करने वाले सैन्य बल आपके किसी काम के नहीं हैं
पूरी मजदूरी की मांग करने वाले मजदूरों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर गोली चलाने का आदेश मिलने के बाद अगर कोई सैनिक दया से भर जाए और गरीबों पर गोली चलाने से मना कर दे तो उसे नौकरी से नहीं निकाल दिया जाएगा क्या ?
अगर आदिवासियों की मांग मान कर उनकी ज़मीनें छीनने के लिए उनकी हत्याएं और आदिवासी महिलाओं से बलात्कार करने से सिपाही मना कर दें तो उन्हें माफ कर दिया जाएगा ?
हम सिपाहियों के खिलाफ़ नहीं हैं
हम सिपाहियों को आदेश देने वाली सत्ता के खिलाफ़ हैं
क्योंकि वह आपकी सत्ता है
और आप कौन हैं ?
आप बड़ी जाति के , बिना मेहनत के समृद्ध बने हुए ,बहुसंख्य सम्प्रदाय के हैं
आपके मन में दलितों के प्रति नफरत है
आपके मन में गरीबों के लिए नफरत है
आपके मन में अल्पसंख्यकों के प्रति नफ़रत है
आपके मन में औरतों की आज़ादी के प्रति नफ़रत है
आप ही देश के शासक वर्ग हैं
इसलिए जब आपके सिपाही आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार करते हैं तो आपको बिलकुल भी परेशानी नहीं होती
आपके सिपाही जब अल्पसंख्यकों को मार देते हैं तब आपको कोई परेशानी नहीं होती
एक अंतर्राष्ट्रीय सर्वे के मुताबिक मानवाधिकारों के प्रति सबसे ज़्यादा तिरस्कार का भाव भारत में पाया गया है
भारत के लोगों का मानना है कि अगर पुलिस बिना अदालत जाए किसी को सीधे गोली मार देती है तो हम उसका समर्थन करेंगे
हमारे देश के कुछ इलाकों में तो हमने अफ्प्सा नाम का कानून बनाया हुआ है कि सिपाही अगर किसी महिला के साथ बलात्कार करे या किसी की हत्या कर भी दे तो पीड़ित नागरिक बिना सरकार की इजाज़त के उस पर कोई मुकदमा नहीं चला सकता
और आज तक किसी भी मामले में सरकार नें सिपाहियों पर मुकदमा चलाने के लिए कोई इजाज़त नहीं दी है
आपको आपत्ति है कि हम आपकी सेना को बलात्कारी क्यों कहते हैं ?
हम ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि जब कोई सिपाही महिला के साथ बलात्कार करता है
तो उस सिपाही को बचाने के लिए सरकार मुकदमा लड़ती है
आखिर सरकार बलात्कारी सिपाही को क्यों बचाना चाहती है ?
क्योंकि बलात्कार पीड़ित या तो आदिवासी हैं या दलित या अल्पसंख्यक और मजदूर ,
और बलात्कारी को सिपाही को बचाने वाली सरकार चलाने वाले हैं अमीर सवर्ण बहुसंख्यक सम्प्रदाय के लोग ,
इसलिए भारत में साम्प्रदायिकता ,जातिवाद और आर्थिक गैरबराबरी के रहते ,
हमारी सेनाएं कभी भी जनता की सेना नहीं बन सकतीं .
ये सेनाएं हमेशा जातिवादी , साम्प्रदायिक और अमीरों की गुलाम बनी रहेंगी .
हम सिपाहियों के खिलाफ़ नहीं हैं .
असल में आपके सिपाही वैसे ही बन जायेंगे जैसा आप उन्हें आदेश देंगे .
समस्या सिपाही नहीं उन्हें आदेश देने वाले और उनका समर्थन करने वाले आप हैं .
हमारी लड़ाई आप से है .
आप साम्प्रदायिकता ,जातिवाद और आर्थिक शोषण बंद कीजिये
हमारी सेनाएं अच्छी बन जायेंगी
इसलिए हम जहां एक तरफ सिपाहियों की क्रूरता के खिलाफ़ लड़ते हैं
वहीं दूसरी तरफ हम साम्प्रदायिकता ,जातिवाद के खिलाफ़ और औरतों , आदिवासियों और मजदूरों के लिए लड़ते हैं
आप हमें देशद्रोही कम्युनिस्ट ,नक्सलवादी , पाकिस्तानी एजेंट कहते हैं
क्योंकि एक दिन हम आपको आपके ऊंचे स्थान से उतार कर सबके बराबर खड़ा कर देंगे
तब एक आदिवासी और अम्बानी बराबर होंगे
और हिंदू, मुसलमानों से श्रेष्ठ नहीं माने जायेंगे
फिर सिपाही भी अम्बानी और अदिवासी के साथ एक जैसा व्यवहार करेगा

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