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Monday, December 5, 2016

भक्त

मैं धर्मनिरपेक्ष हूँ
भक्त - तू सिकुलर है, जा पाकिस्तान,
मैं समता के पक्ष में हूँ
भक्त- तू कम्युनिस्ट है, रूस और बंगाल में क्या कर लिया तुम लोगों ने ? जाओ चीन जाओ ,
मैं न्याय के पक्ष में हूँ ,
भक्त- मतलब तू नक्सलवादी है ? तुम आतंकवादी हो , तुम्हें मारने के लिये तो आर्मी को भेज देना चाहिये ,
मैं बंधुता के पक्ष में हूं ,
भक्त - मतलब हम इसाइयों और मुल्लों को गले लगा लें ? वामियों सुधर जाओ ,
लेकिन मैं जिन बातों का पक्षधर हूँ वह सब तो संविधान की प्रस्तावना में लिखा हुआ है ?
भक्त - ओह संविधान ? यानी तू अम्बेडकरवादी है ? अबे तुम लोगों के आरक्षण की वजह से आज हमारी ये हालत है ၊
तो यह है आम भाजपा समर्थक की समझ ၊
आइये एक बार फिर से ध्यान से पढ़ें संविधान का पहला पन्ना :
हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न
समाजवादी
पंथनिरपेक्ष
लोकतंत्रात्मक गणराज्य
बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,
विचार,
अभिव्यक्ति,
विश्वास
धर्म और उपासना
की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की
समता
प्राप्त कराने के लिए
तथा उन सब में
व्यक्ति की गरिमा और
राष्ट्र की एकता और अखंडता
सुनिश्चित करने वाली बंधुता
बढ़ाने के लिए
दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हज़ार छह विक्रमी) को एतद्‌द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

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