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Monday, December 5, 2016

सोनी सोरी को मैरी पाटिल पुरस्कार

रविवार को मुम्बई में सोनी सोरी को मैरी पाटिल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ,
मैरी पाटिल ने आदिवासियों की शिक्षा के लिये अपने प्राण न्यौछावर कर दिये थे ,
पुरस्कार स्वरूप पच्चीस हजार की सम्मान राशि और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया,
कार्यक्रम की अध्यक्षता मैगसेसे पुरस्कार विजेता , दलित अधिकार कार्यकर्ता बैजवाड़ा विल्सन ने करी,
सोनी सोरी को दिये गये प्रशस्ति पत्र का पाठ यह है ,
सोनी सोरी जी,
सादर अभिवादन!
आपका जन्म समेली गाँव, जिला दन्तेवाड़ा, छत्तीसगढ़ में हुआ।
आपका परिवार राजनीतिक चेतना से संपन्न परिवार है।
आपके पिता गाँव के सरपंच और चाचा सीपीआई पार्टी के विधायक रहे हैं।
आपकी पढ़ाई गांधीवादी परिवेश में हुई।
पढ़ाई पूरी करने के बाद आप आदिवासी बच्चों को शिक्षित करने में जुट गईं लेकिन उसी समय आदिवासियों की ज़मीनें बड़ी कम्पनियों को देने के लिए सरकार ने सलवा जुडुम नामक अभियान चलाया।
इस अभियान में आदिवासियों के गाँव खाली कराने के लिए घरों को आग लगाई गईं, आदिवासी महिलाओं से सुरक्षा बलों ने निर्मम अत्याचार किए और हज़ारों निर्दोष आदिवासियों को जेलों में ठूंसा।
आपने आदिवासियों पर हुए सरकारी अत्याचारों का विरोध किया।
फलस्वरूप पुलिस ने आपके पति अनिल पर फर्जी मामले बनाकर कारागार में डाल दिया, बाद में कोर्ट ने अनिल को निर्दोष माना लेकिन रिहाई के दिन पुलिस ने अनिल को इतना मारा कि वो कोमा में चले गए और कुछ दिनों में उनका देहान्त हो गया।
पुलिस ने आपको और आपके पत्रकार भतीजे लिंगा कोड़ोपी पर भी फर्जी मुकदमे दायर किए।
आप पर पुलिस थाने में झूठे कागजों पर दस्तखत करने के लिए दबाव डाला गया और अरूंधति रॉय और हिमांशु कुमार जैसे बुद्धिजीवियों को नक्सली बताने को कहा गया लेकिन आप पुलिस के दबाव के सामने नहीं झुकी।
आपको ढाई साल जेल में रखा गया।
सर्वोच्च न्यायालय से ज़मानत पर रिहा होने के बाद आपने आदिवासियों के मानवाधिकारों के लिए काम करना जारी रखा।
आपने आदिवासी बाड़ियों में घूम घूमकर ऐसे आदिवासी बच्चों को खोज निकाला, जिनके मातापिता पुलिस या नक्सलवादियों द्वारा मार दिए गए थे।
ऐसे बच्चों को आपने अपने स्कूल में पनाह दी।
सरकार ऐसे बच्चों के खाने, कपड़े के लिए पैसा नहीं देती थी, आपने अपने वेतन के पैसों से उन बच्चों की शिक्षा जारी रखी।
आपको सामाजिक साहस हेतु दिल्ली हिन्दी अकादमी का संतोष कोली तथा समाज सेवा हेतु कुंती माथुर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
हम आपकी संघर्षमय जीवनयात्रा तथा सेवामयी वृत्ति से अभिभूत हैं।
आप अटूट संघर्ष की एक अनोखी मिसाल हैं। आपके कारण आदिवासी बच्चों के जीवन में ज्ञान का आलोक फैला हुआ है और आपके ही कारण उनका भविष्य उज्ज्वल मार्ग पर अग्रसर हो रहा हैं।
आपके इस गरिमामयी कार्य के लिए इस वर्ष का दूसरा मेरी पाटील स्मृति पुरस्कार प्रदान करते हुए हमें अपूर्व हर्ष और गर्व की अनुभूति हो रही हैं।

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