गोडसे को लगा कि गांधी राष्ट्रभक्त नहीं है ,
गोडसे को यह भी लगा कि मैं ज्यादा राष्ट्रभक्त हूँ,
तो गोडसे नें गांधी को गोली से उडा दिया ,
यह है इनका राष्ट्रभक्ति पर फैसला करने का तरीका,
और यह है इनकी समझ,
इस समझ और इस तरीके से यह सबकी राष्ट्रभक्ति पर फैसला करने वाले न्यायाधीश बने घूमते हैं,
यही मूर्खता हिंदुत्व की राजनीति का आधार है,
जिस राष्ट्र की यह भक्ति करते हैं इनके उस राष्ट्र में देश की जनता नहीं है,
इनके सपने के राष्ट्र में आदिवासी नहीं हैं, दलित नहीं हैं, मुसलमान नहीं हैं, इसाई नहीं हैं, कम्युनिस्ट नहीं हैं, कांग्रेस नहीं है, केजरीवाल नहीं है,
इनका राष्ट्र कल्पना का राष्ट्र है ,
सचमुच का देश नहीं ,
इनसे कभी पूछिए कि अच्छा तुम मुसलमानों को इतनी गाली बकते हो,
तो अगर तुम्हारे मन की कर दी जाय तो तुम मुसलमानों के साथ क्या करोगे ?
क्योंकि तुम भारत से मुसलमानों के सफाए के नाम पर हज़ार दो हज़ार को ही मार पाते हो ,
भारत में तो करीब बीस करोड़ मुसलमान हैं,
क्या करोगे इनके साथ ?
क्या सबको मारना चाहते हो ?
या सबको हिन्दू बनाना चाहते हो ?
या सबको भारत से बाहर भगाना चाहते हो ?
क्यों नफरत करते हो उनसे ?
करना क्या चाहते हो ?
तो यह संघी बगलें झाँकने लगते हैं,
मेरे एक दोस्त नें एक बार एक संघी नेता से पूछा,
कि आप अखंड भारत फिर से बनाने की बात संघ की शाखा में करते हैं ,
और कहते हो कि अफगानिस्तान, बंगलादेश, पकिस्तान सबको मिला कर अखंड भारत बनाना है ,
लेकिन यह सभी देश तो मुस्लिम बहुल हैं ,
तो अगर इन्हें भारत में मिलाया गया तो भारत में मुसलमान बहुमत में हो जायेंगे
और अगर हम इन्हें हिन्दू बनाना चाहते हैं तो इतनी बड़ी आबादी को हम थोड़े से हिन्दू कैसे बदल पायेंगे ?
इस पर वह संघी नेता आंय बायं करने लगे और कोई जवाब नहीं दे पाए,
आरएसएस की कोई समझ नहीं है ,
ये मूर्खों और कट्टरपंथियों का जमावड़ा है,
इनका काम भाजपा के लिए वोट बटोरने और उसके लिए हिन्दू युवकों के मन में ज़हर भरते रहने का है,
राष्ट्रीय स्वयं सेवक सेवक संघ नें जितना नुक्सान भारत का किया है उतना कोई विदेशी शत्रु भी नहीं कर पाया ,
भारत के युवा जब तक खुले दिमाग और खुली समझ वाले नहीं बनेंगे ,
जब तक युवा देश की जाति , सम्प्रदाय और आर्थिक लूट की समस्या को हल नहीं करेंगे ,
भारत इसी दलदल में लिथडता रहेगा ,
यह साम्प्रदायिक जोंकें भारत का खून ऐसे ही पीती रहेंगी,
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