Saturday, May 14, 2011

उस लड़के का नाम रमेश था- हिमांशु कुमार



                                                     
कल रात कुछ पुरानी फाईलें पलट रहा था! मेरे हाथ में एक फाइल आयी और मेरी आँखों के सामने सारी घटनाएं फिर से घूमने लगी ! ये उसी समय की बात है जब २००९ मे लिंगा कोड़ोपी नाम के आदिवासी युवक को पुलिस ने जबरन पकड़ कर गैर कानूनी  तौर पर  कैद  किया हुआ था और छत्तीसगढ़ पुलिस उसे थाने में एस पी ओ बनने के लिए लगातार यातनाये दे रही थी ! लिंगा कोडोपी को तो बाद में अदालत के मार्फ़त छुड़ा लिया गया लेकिन पुलिस ने एक और आदिवासी युवक की ज़िंदगी लगभग तबाह कर दी ! ये फाइल उसी युवक की थी ! 
   उस लड़के का  नाम रमेश था ! एक आम आदिवासी युवक ! दंतेवाडा के पास एक गांव में पूरा परिवार रहता था ! पिता एक सरकारी शिक्षक ! माँ गाँव की सरपंच! रमेश ने बी ऐ पास किया ,किस्मत ने साथ दिया और पिता ने जीवन की कमाई बेटे के भविष्य के लिए लगा दी ! रमेश को सरकारी कंपनी एन एम् डी सी में नौकरी मिल गयी! पूरे गाँव में वो सबका दुलारा हमेशा सब से सर झुका कर बात करने वाला सीधा सादा युवक था ! कुछ समय बीतने पर परिवार ने रमेश का विवाह एक पढ़ी लिखी आदिवासी लडकी से करा दिया !  कुछ समय बाद रमेश ने एक मोटर साईकिल भी खरीद ली !
  यहीं से रमेश की ज़िंदगी की बर्बादी का सिलसिला शुरू हो गया ! ये उस समय की बात है जब दंतेवाडा में अपराधी चरित्र का डी आई जी कल्लूरी और एस पी अमरेश मिश्रा देश के संविधान का चीर हरण कर रहे थे ! मुख्य मंत्री रमन सिंह और डी जी पी उद्योगपतियों का पैसा खाकर आदिवासियों के गावों को खाली कराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहे थे ! हर गावों के पढ़े लिखे आदिवासी युवक को जबरन सरकार और पुलिस का मुखबिर बना कर गावों में ज़मीन छीनने का विरोध करने वालों के बारे में जानकारी ली जाती थी! बाद में उन सभावित विस्थापन विरोधी आदिवासी नेताओं को नक्सली कह कर जेलों में डाल दिया जाता था ! आज भी छत्तीसगढ़ की जेलें ऐसे ही निर्दोष आदिवासियों से भरी पडी हैं और उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से आया एक ठाकुर प्रदेश का मुख्यमंत्री बन कर आदिवासियों की ज़मीनों को विदेशी कंपनियों को बेच रहा है!   
   रमेश को पुलिस ने उसके घर से उठाया और थाने ले गए ! माता पिता और गांव के कुछ लोग थाने गए ! पूछा की हमारे बेटे ने क्या अपराध किया है ? थानेदार ने कहा अपराध तो मुझे नहीं मालूम हम तो ऊपर के साहब लोगों का हुकुम बजाते हैं! थानेदार ने सलाह दी कि आप लोग  डी आई जी साहब से मिल लीजिये वो बोल देंगे तो हम तुरंत छोड़ देंगे ! परिवार वाले एस पी अमरेश मिश्रा और डी आई  जी कल्लूरी से मिले वो बोले कुछ दिनों में छोड़ देंगे ! परिवार के लोग मदद मांगने हमारी संस्था में आये ! हमने वकील से बात की ! एक पत्र बनाया और एस पी अमरेश मिश्रा और डी आई  जी कल्लूरी समेत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी भेजा गया ! कहीं से कई सहायता मिलना तो दूर जवाब भी नहीं आया ! लेकिन एस पी अमरेश मिश्रा और डी आई जी कल्लूरी सतर्क हो गए और उन्होंने आनन् फानन में एक पत्रकार सम्मलेन बुलाया और कहा की कल पुलिस ने जंगल में नक्सलियों के साथ एक वीरतापूर्ण मुकाबले में एक नक्सली कमांडर को गिरफ्तार करने में सफलता पायी है जिसका नाम रमेश है ! और उसके बाद पुलिस ने रमेश को पत्रकारों के सामने पेश कर दिया और जेल में डाल दिया ! इसके कुछ समय के बाद मुझे भी दंतेवाडा छोड़ना पड़ा! 
      कल रमेश की फ़ाइल पढने के बाद मैंने लिंगा कोडोपी से पूछा की अब रमेश की क्या खबर है? उसने बताया की पुलिस ने उसे आपके दिल्ली आने के बाद छ महीने होने पर छोड़ दिया ! इस बीच उसकी पत्नी ने सदमे से आत्महत्या कर ली ! जेल जाने के कारण रमेश की नौकरी भी चली गयी ! परिवार के पास जो ज़मीन थी वो वकीलों की फीस चुकाने में बिक गयी! पूरा परिवार बर्बाद हो गया ! रमेश अब ज्यादातर घर में अन्दर पड़ा रहता है ! किसी से बात नहीं करता ! परिवार वाले भी इस सदमे से अभी तक उबर नहीं पाए हैं ! डर लगा रहता है की कहीं पुलिस फिर से ना पकड़ कर ले जाए ! मेरा दिल किया में जोर से चिल्लाऊं ! पर कौन सुनेगा?   

1 comment:

  1. Himanshu ji, ek minute ke maun aur chillane ke beeh agar chunana ho to saayad ham chillane jyada pasand karenge. Humne aapse jo sikha hain wo hume Ek minute ke maun ki taraf kabhi nahi murne deti.

    ReplyDelete