हिमांशु कुमार
सर्वोच्च न्यालय के ५ जुलाई के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने लोकतंत्र, लोग, सरकार, हिंसा आदि विषयों पर एक ऐसा फैसला दिया है जिसका असर देश में अनेकों वर्षों तक होता रहेगा ! इस फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान नक्सलियों को होगा जो ये सिद्ध करना चाहते हैं की ये व्यवस्था अब गरीबों की सुनेगी ही नहीं इसलिए अब बन्दूक उठा लेना ही एकमात्र रास्ता है ! और इस फैसले ने इस नकली होते जा रहे लोकतंत्र और सरकार को थोडा सा जीवन दान और दे दिया ! वरना लोकतंत्र की बाकी संस्थाओं ने तो अपने स्तर पर लोकतंत्र की हत्या करने में कोई कसर नहीं छोडी ! आज लोकतंत्र की हरेक संस्था पर से लोगों का विश्वास समाप्त हो गया है ! पुलिस पर किसी को भरोसा नहीं है, सरकार पर किसी को भरोसा नहीं है! निचले स्तर की अदालतों पर अब जनता का भरोसा नहीं रहा! ऐसे में अगर सर्वोच्च न्यायालय ने ये फैसला आदिवासियों के विरुद्ध दे दिया होता तो उसका सबसे अधिक फ़ायदा नक्सलियों को ही होता ! क्योंकी सरकार आदिवासियों पर जितना ज्यादा हमला करेगी आदीवासी जान बचाने के लिए उन्तना अधिक नक्सलियों के करीब जायेंगे !
लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को अपना अपमान मान रही है और राष्ट्रीय भाजपा ने तो बाकायदा इस फैसले के खिलाफ बयान भी दे दिया है ! ये कैसी राष्ट्रवादी पार्टी है जो अपने राष्ट्र के सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान नहीं करती! छत्तीसगढ़ सरकार ने तो इस फैसले के पुनर्विचार के लिए याचिका दायर करने का भी निर्णय किया है! जो की सभी प्रचलित परम्पराओं के विरद्ध है !
इस बीच बलात्कार के आरोपी और फरारी सलवा जुडूम नेता इस समय भाजपा सरकार के प्रवक्ता बन कर सलवा जुडूम के पक्ष में बयान दे रहे हैं ! एक खबर के अनुसार गृहमंत्री श्री पी चिदंबरम और छत्तीसगढ़ के मुख्मंत्री श्री रमन सिंह ने एस पी ओ का नाम बदल कर इस फैसले से बचने के भी संकेत दिए हैं ! श्री रमन सिंह ने इन एस पी ओ को प्राइवेट हथियार देने के विकल्प पर भी विचार करने का संकेत दिया है !
सरकार की इस प्रकार की हठधर्मिता उसका अपना ही नुकसान करेगी ! सलवा जुडूम के बाद हिंसा २२ गुना बढ़ गयी और नक्सलियों की संख्या में १२५ गुना की वृद्धी हुई है ! अभी भी सरकार अगर इस मुर्खता और जिद को नहीं छोड़ेगी तो वह लोकतंत्र का और अपना बहुत नुकसान करेगी !
अगर हम ध्यान से देखें तो इस फैसले के आने के बाद अहिंसा और शांती की दिशा में एक सकारात्मक माहौल बन रहा है ! नागरिक समाज के इस कदम के बाद माओवादियों ने एस पी ओ पर हमला ना करने की घोषणा की है! इस समय राजनीतिक नेतृत्व को इस माहौल का सदुपयोग कर के शांती स्थापना के लिए कुछ और कदम तुरंत उठाने चाहियें ! सेना को वापिस बुलाने का फैसला लिया जा सकता है ! उजड़े हुए आदिवासियों को दुबारा उनके गावों में बसाने का काम शुरू किया जा सकता है !
अगर अभी भी सरकार ने ये क्रूरता जारी रखी और बड़ी कंपनियों के फायदे के लिए गरीबों पर हमला करना जारी रखा तो उसका परिणाम यही होगा की नक्सलियों के प्रति इस देश के गरीबों के साथ साथ बुध्धिजीवियों का भी समर्थन और अधिक बढ़ जाएगा ! इस लिए अगर नक्सलियों से छुटकारा चाहते हो तो सर्वोच्च न्यायालय का फैसला लागू कर दो वरना इस के बाद तुम्हें बचाने कोई नहीं आएगा !
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