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Wednesday, January 25, 2012

क्यों पढाया मुझे

मैं सोनी सोरी जेल से ये खत लिख रही हूं ,
मेरी छोटी बेटी रोज रात को रोती होगी
सोने से पहले मुझे याद कर ,
कह देना उससे माँ ज़ल्दी वापिस आयेगी ,
मैं अब वापिस नहीं आऊँगी, मालूम है मुझे ,
पर बच्ची है , बहला देना !
हर साल खून बदलना पड़ता है मेरी इस बेटी का ,
पर ज्यादा दिन कष्ट नहीं सहेगी अब ,
बिना इलाज़ शांत हो जायेगी इस साल !

मेरे बड़े बेटे और बेटी से कहना स्कूल के बच्चों के कहने का बिलकुल
यकीन न करें कि उनकी माँ- पिता की की कोई गलती थी ,इसलिए वो जेल में है !

मेरे बूढ़े पिता की सडती टांग का भी नहीं होगा अब ,
पिताजी से शिकायत भी है मुझे,
क्यों पढाया मुझे ? क्या उन्हें नहीं मालूम ,
एक आदिवासी लड़की का का पढ़ा लिखा होना
उसे कितनी बड़ी मुसीबत में डाल सकता है ?
अनपढ़ रहती तो चुप रहती ,
सहती ,कुचली जाती !
पर मुझे पढ़ा कर, क्यों तैयार किया
कि मैं बोल सकूं और मुसीबत खड़ी करूँ पूरे परिवार के लिये !

1 comment:

  1. क्यों पढाया मुझे ? क्या उन्हें नहीं मालूम ,
    एक आदिवासी लड़की का का पढ़ा लिखा होना
    उसे कितनी बड़ी मुसीबत में डाल सकता है ?
    अनपढ़ रहती तो चुप रहती ,
    ... ... ... ओह!

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