Thursday, May 3, 2012

तुम क्रूर पुलिस की तरफ हो या पिट रहे बूढ़े की तरफ?



तुम कुछ लोगों से लड़ सकते हो|
कुछ सौ को मार भी सकते हो,
कुछ हजार को कुचल भी सकते हैं |
पर क्या तुम करोड़ो लोगों को मार सकोगे?

इस बदमाश नेता के पीछे मत जाओ
जिसने तुमसे वादा किया है
कि करोड़ों गरीबो को मारकर
उनका माल दौलत जमीन छीनकर
तुमको दौलत मंद बना देगा !

ये नेता खुद तो मरेगा ही 
तुमको भी मरवा देगा |
मत लड़ो करोड़ो लोगों से |
ये मारेंगे तो तुम मर जाओगे,
तुम्हारी ये पुलिस, फ़ौज, सरकार
जान बचाने को अपनी छिप जायेगी !
फिर तुम कहाँ जाओगे जान बचाने अपनी?

तुम क्रूर पुलिस की तरफ हो या
पिट रहे बूढ़े की तरफ?
तुम बलात्कारी की तरफ हो
या मजलूम अकेली लड़की की तरफ?
तुम मारने वाले की तरफ हो
या मार खाने वाले के साथ ?

अगर तुम जालिम के साथ हो तो
बाहर फेंको धर्मग्रंथों को,
बोलो कि तुम ढोंगी हो,
कोई धर्म नहीं तुम्हारा |
तुम्हरी कोई राजनीति भी नहीं है
तुम एक क्रूर भेडिया हो
जो वक्त आने पर अपने
बच्चों को भी खा सकता है |
तुम्हारे लिये ना कोई देश है
ना कोई देशभक्ति
ये सब तुम्हारा ढोंग है
लूटपाट करने के लिये
भेष बदलने के लिये
लुटेरों की पोशाकें हैं |

मान लो कि तुम अपराधी हो |
एयर कंडिशंड कमरों में
बेपरवाही से च्युंगम चबाते
हुए क्रिकेट देखने वाले !

इनके लिये
ना मुल्क कुछ
ना जनता कोई
ना गरीब किसी गिनती में,
ये बाप दादों की
दौलत पर मजे उड़ाते हैं |
पड़े-पड़े खाते हैं|
सरकार, पुलिस, फ़ौज
सब इनका हुकुम बजाते हैं |

ये आजादी के पहले भी
ऐसे ही जीते थे !
जब करोड़ों लोग
लड़ रहे थे आजादी के लिये
तब ये अंग्रेजों के साथ
मिलकर गोली चलवाते थे |

अब यही लोग बैठे हैं
आराम से
यही मालिक हैं कारखानों के
यही मालिक हैं सरकार के
इनके ही लिये है पुलिस
फ़ौज, अदालत,

ये चाहें तो मुंबई में
झुग्गी तुड़वा दें
लाखों देशवासियों को
एक रात में घर से बेघर
करवा दें |

इनके एक कारखाने के
लिये बस्तर के सैकड़ों गांवों में ये
फौजें पहुंचा दें |
अच्छे-अच्छे लोगों को
राष्ट्रद्रोही घोषित करवा दें |

देश पर मिटने को आतुर
कितने ही आज के
चन्द्रशेखर और भगत सिंह को
नक्सलवादी कहला दें |
सबको मरवा दें |

यही लोग काबिज हैं
उस सब पर जिसे
छीन कर हम सब लाये थे
पहले राजा से, फिर अंग्रेजों से |

अब इनका कब्जा है
इस सब पर |
एक लड़ाई और
एक कोशिश और |
इनसे आज़ादी की !

   

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