Wednesday, November 21, 2012

जिंदगी छोटी है

आप किसे मारना चाहते हैं 

जिस से आप नफरत करते हैं या डरते हैं 
नफरत का स्थान आपके भीतर आपके दिमाग में है 
आप अपने भीतर से उस इंसान को बाहर करना चाहते हैं 
इसलिये आप उसे मारकर खुद को उस डर और नफरत से मुक्ति चाहते हैं 
लेकिन जब आप उसे मारते हैं तो आपको उसके लिये 
बहुत अधिक नफरत अपने दिमाग में पैदा करनी पड़ती है 
जिस नफरत और डर से आप छुटकारा चाहते थे अब वह आपके भीतर और भी बढ़ गया है 
आप जिस से डरते हैं उसी से नफरत करते हैं 
अगर आप चींटी से नहीं डरते तो आप उस से नफरत भी नहीं करते 
लेकिन अगर आपको चींटी से डर लगता है तो आपको चींटियों से नफरत हो जायेगी और आप चींटी को देखते ही उसे मार देंगे 

आपका शत्रु भी आपसे डरता है इसलिये आप पर हमला करता है 
अगर आप अपने शत्रु के प्रति अपना डर निकाल दें तो आपकी नफरत भी समाप्त हो जायेगी 
अक्सर डर गलतफहमियों पर आधारित होता है 
गलतफहमियां आपसी सम्पर्क के अभाव से पैदा होती हैं 

पाकिस्तान आपसे डरता है इसलिये आपसे नफरत करता है 
आप पकिस्तान से डरते हैं इसलिये आप उस से नफरत करते हैं 
इसलिये समस्या डर और नफरत है 
यही आपके असली शत्रु हैं 
इसलिये मारना तो इनको पड़ेगा 

आप यदि एक दूसरे देशों के लोगों को मारेंगे तो 
डर और भी बढ़ेगा 
नफरत भी बढ़ेगी 
फिर फिर आप और भी हत्याएं करना चाहेंगे 
और आप हमेशा इस नफरत डर और हत्या के कीचड में फंसे रहेंगे 

इस में आपको एक दूसरे का एक दूसरे के लिये 
प्यार 
सहानुभूति 
जिज्ञासा 
कभी दिखाई नहीं देगी 
देखिये दोनों देशों के बुज़ुर्ग एक दूसरे से 
मिलना और बात करना चाहते हैं 
देखिये दोनों देशों के बच्चे एक दूसरे के साथ खेलना चाहते हैं 
देखिये दोनों देशों के नौजवान लड़के लड़कियां एक दूसरे के साथ दोस्ती और मुहब्बत करना चाहते हैं

दोस्ती को मौका दीजिए 
मुहब्बत को मौका दीजिए 
शांति को मौका दीजिए 
सामने वाले से उम्मीद मत कीजिये 
खुद शुरुआत कीजिये 

जिंदगी छोटी है 
बेकार के कामों में मत गंवाइए 
इसका लुत्फ़ उठाइए 
जिंदगी एक नियामत लगेगी  

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