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Saturday, January 5, 2013

गणतंत्र


गणतंत्र का मतलब है यहाँ गण अर्थात नागरिक मिल कर अपने तंत्र को चलाएंगे . और हमारे यहां अधिनायकतंत्र या सेना तंत्र नहीं होगा . 

जिस दिन से हमने गण तंत्र घोषित किया उस दिन हमने एक राष्ट्र को जन्म दिया . 

एक ऐसा अस्तित्व जिसकी एक सीमा होगी और उस सीमा के भीतर रहने वाले सभी गण इसके बराबर सदस्य होंगे 

किसी के साथ भी जाति धर्म लिंग या जन्म के कारण कोई भेद भाव नहीं किया जाएगा .

और इस तंत्र का कामकाज संविधान के मुताबिक चलाया जाएगा . इस संविधान को लोगों ने खुद बनाया है .

इसके पहले पन्ने पर लिखा गया है कि इस संविधान को हम भारत के लोग आत्मार्पित करते हैं . अर्थात खुद ही इसे खुद को समर्पित करते हैं .

संविधान अपने प्रत्येक नागरिक को दो बातों की गारंटी देता है पहली है बराबरी और दूसरी इन्साफ .

यानी सामजिक , आर्थिक और राजनैतिक समानता, और न्याय .
इसलिए अगर तंत्र किसी नागरिक को बराबरी और न्याय नहीं देता तो गणतंत्र की गारंटी खत्म .

दूसरी महत्वपूर्ण बात संविधान के पहले पन्ने पर लिखी गयी है वह है कि हम इस गणतंत्र को समाजवादी घोषित करते हैं .

अर्थात राष्ट्र के भीतर सब संसाधन समाज के होंगे .
लेकिन सारे संसाधनों को व्यक्तिगत बनाया जा रहा है .
यह घोर अस्म्वैधानिक काम है .

अगर तंत्र यह स्वीकार करता है कि संसाधनों का मालिक वो होगा जिसके पास उस संसाधन को खरीदने के लिये पैसा होगा तो इसका मतलब ये हुआ कि आपने समाजवाद को नकार दिया और पूँजीवाद को स्वीकार कर लिया . 
पूंजीवाद और लोकतंत्र में आपसी बैर है .
क्योंकी पूंजीवाद का लक्ष्य होता है बड़ा और बड़ा फिर और बड़ा बनते जाना यानी दुसरे को अपने से छोटा बनाना .
जबकि लोकतंत्र बराबरी की गारंटी देता है .
इसलिए पूंजीवाद और लोकतंत्र एक साथ चल ही नहीं सकते . 
समाजवाद का अर्थ है देश का शासन ऐसे चलाया जायेगा जैसे परिवार को चलाया जाता है ! अगर परिवार में कोई मंदबुद्धी है तो क्या उसे कम खाना मिलता है ? परिवार में सब का बराबर का ख्याल रखा जाता है !
लेकिन अगर देश के भीतर ही एक ताकतवर तबका देश के भीतर ही रहने वाले कमज़ोर नागरिकों की ज़मीने छीनने के लिये देश की सेनाओं का इस्तेमाल कर रहा हो तो मानना चाहिये कि देश में गृह युद्ध की शुरुआत हो चुकी है . और अब देश का एक राष्ट्र के रूप में अस्तित्व खतरे में है .




1 comment:

  1. 'इस संविधान को लोगों ने खुद बनाया है .' यह कह कर आप शासक-शोषक वर्गों काम आसान ही कर रहे हैं अनजाने में। जब यह संविधान बनाया गया तो कितने और किन वर्गों के लोगों को मताधिकार हासिल था?

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