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Wednesday, February 27, 2013

किसका देश है ये ?


  
अभी कालोनी के बाहर सब्जी लेने गया तो देखा सारे सब्जी वाले , फल वाले और मूंगफली वालों के ठेले गायब थे . आस पास पूछा तो पता चला कि सरकार दिखावा करने के लिये संसद में ठेले वालों के लिये कोई कानून बनाने वाली है . लेकिन सरकार असलियत में ठेले वालों को तो हटा ही देना चाहती है, इसलिये सरकार द्वारा कानून आने से पहले ही ,ठेले, रेहड़ी , खोमचे वालों को पहले से ही हटाया जा रहा हैं .
घर वापिस आ गया हूं .लेकिन दिल डूब रहा है. दिल में उन्ही लोगों का ख्याल आ रहा है . क्या करेंगे वो लोग ? मैं अक्सर उन लोगों से गपियाता रहता था . सब के बच्चे स्कूल जाते हैं . अब उनके बच्चों की फीस कैसे भरी जायेगी ? उनको भी शाम को भूख लगेगी तो क्या खायेंगे ?
मुझे याद है कुछ दिन पहले मैंने एक बार उन लोगों से मजाक में कहा था, कि दिल्ली सरकार दिल्ली से सारे ठेले और रेहड़ी हटाने वाली है , तो मूंगफली वाला याकूब जो लखनऊ से आकर दिल्ली में बस गया है, मेरे पास आया और धीरे से मुझे एक तरफ ले जाकर बोला कि क्या सच बोल रहे हो साहब ? हमें हटा दिया जायेगा ? हम लोग फिर कहाँ जायेंगे साहब ? उस दिन तो मैंने उसका दिल रखने के लिये कह दिया था कि अरे ऐसे कैसे हटा देंगे ? जब हटाएंगे तो हम सब मिल कर सरकार से लड़ेंगे ना .
लेकिन अब कोई नहीं लड़ रह है . सब अदृश्य हैं . किसको साथ लेकर किससे लडूं ? यह अदृश्य भारत है . जो हटा दिया जायेगा . जो मिटा दिया जायेगा.
यह देश गरीबों के लिये नहीं है . अगर आप के पास दूकान खरीदने के लिये पूँजी नहीं है तो आप मर जाइए . सारी सड़कें . सारे फूटपाथ, सारी ज़मीन उनकी है जिनकी जेब में पहले से ही पैसा है.
आपने इस देश में जन्म लिया है तो आपका इस देश की हर चीज़ पर जन्म से बराबर का ह्क़ होना चाहिये था . लेकिन हमने अपने पैसे के दम पर कानून, सरकार, पुलिस सब पर कब्ज़ा कर लिया है . अब गरीब की तरफ कुछ भी नहीं बचा है. गोया कि आजादी सिर्फ अमीरों के लिये आयी थी.
अरे आपने यह नहीं सोचा कि जिनके आपने ठेले हटाये हैं . वो भूखे मरेंगे तो क्या करेंगे ? आप क़ानून की आड़ लेकर इस देश के गरीबों को भूखा मार देंगे क्या ? क्या यह आपके बाप का देश है बस ?. इन गरीबों का इस देश पर बराबर का ह्क़ नहीं है क्या ?
लेकिन सारे देश में यही किया जा रहा है . गरीब को हर जगह से हटाया जा रहा है . उसे जंगल से हटाया जा रहा है, उसे गाँव से हटाया जा रहा है , उसे शहर से हटाया जा रहा है, उसकी झुग्गी झोंपड़ी तोड़ कर उसे रोज़ हटाया जा रहा है . अगर ये हटा दिये गये करोड़ों गरीब चुप चाप मर जायेंगे तो मुझे बहुत दुख होगा . लेकिन अगर वो गरीब हमारे समाज पर. हमारे कानून पर , हमारी पुलिस पर . हमारी सरकार पर और हम पर हमला कर के इसे नष्ट कर देते हैं तो मुझे हार्दिक खुशी होगी .
इस दुनिया पर कुछ मुट्ठी भर अमीर लोगों का कब्ज़ा किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता क्योंकि यह लोकतन्त्र के नियम से भी गलत है , धर्म के विरुद्ध है , समाज के नियम के विरुद्ध है . इस तरह के समाज को एक दिन के लिये भी स्वीकार करना पाप है .ऐसे क़ानून को एक दिन के लिये भी कानून मानना पाप है , इस ज़ालिम सरकार को देश की सरकार मानना पाप है . इस पाप को जायज़ मानने वाला समाज ही नाजायज़ है . यह समाज नहीं है . यह खूंखार भेड़ियों का झुण्ड है जो कमज़ोर जीवों को खा रहा है . आप आदिवासियों , दलितों , मज़दूरों , किसानों, को रोज़ मार रहे हैं. और फिर ढोंग कर के इसे ही आप विकास और लोकतन्त्र कह्ते हैं .
हम ऐलान करते हैं कि हम आपके खिलाफ हैं . अब देखना यह है कि आप हमें पहले मिटा देते हैं या हम पहले आपके इस पाप के साम्राज्य को नष्ट करते हैं ?

1 comment:

  1. arjun sengupta committee ki report ke hisab se -Bharat me 75-85 Cr. garib hai jinke pass kharche ke liye prati din Rs. 50 nahi hai , 40-50 cr. garib jinke pass pratidin kharche karne ke liye Rs 20 bhi nahi hai 10 cr to ese garib hai jinke pass kharche ke liye Rs 10 bhi nahi hai. mera manna hai ki agar ye saare garib ek saarh mil kar sarkar ke khilaf halla bole to aur koi andolan kare to kuch jaroor ho sakta hai

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