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Tuesday, February 5, 2013

फिर वही होता जो दंतेवाड़ा की छह लड़कियों के साथ हो रहा है


अगर दिल्ली की लड़की के साथ बलात्कार करने वाले छह बदमाशों को पुलिस जान बूझ कर ना पकडती . 
और इन बलात्कारियों को छूट दी जाती की वे इस लड़की के परिवार वालों और उस लड़की के पुरुष मित्र को डरा धमका कर मामला दबा सकते हैं .
फिर क्या होता ? 
क्या उस पीड़ित लड़की का परिवार हाथ जोड़ कर इन बदमाशों के पक्ष में बयान नहीं देता ? अगर लड़की के मित्र को कई रातों तक ये बलात्कारी लोग कमरे में बंद करके पीटते तब वह लड़का क्या करता ?
और अगर मीडिया इन पीड़ितों की बात ना उठाता . अगर शहरी लोग इनके समर्थन में चुप रहते तो तो क्या होता ?
फिर वही होता जो दंतेवाड़ा की छह लड़कियों के साथ हो रहा है .
इन लड़कियों के साथ पुलिस वालों ने , राजनैतिक नेताओं ने , विशेष पुलिस अधिकारियों ने सन २००६  में सामूहिक बलात्कार किया 
ये लड़कियाँ थाने में गयीं . वहाँ इनकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई . बलात्कारी तो थाने में बैठे थे .
वो लड़कियाँ हमारे पास आयीं . हमने उनकी शिकायत पुलिस अधीक्षक को भेजी . पुलिस अधीक्षक ने कोई जवाब भी नहीं दिया .
हमने अदालत की शरण ली .अदालत में इन पीड़ित लड़कियों और चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज हुए .
अदालत ने बलात्कारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया .
सरकार ने अदालत में झूठ बोल दिया और कहा कि ये लोग फरार हैं और इनके मिलने की सम्भावना नहीं है .
जबकि ये सभी पुलिस वाले सरकार से तनख्वाह ले रहे हैं . नई लड़कियों से बलात्कार कर रहे हैं . नए गाँव जला रहे हैं .
दूसरे बलात्कारी कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के साथ चाय पीते हैं खुले आम घुमते हैं .
कुछ दिन पहले एक पत्रकार ने मुझे बताया कि उन लड़कियों की मदद करने वाले और लड़कियों को हम तक लाने वाले आदिवासी युवक को कुछ महीने पहले ही इन बलात्कारी पुलिस वालों ने कई दिन तक कमरे में बंद कर के पीटा था .
आज मुझे एक वकील ने दंतेवाड़ा से फोन पर बताया है कि इन बलात्कारी पुलिस वाले इन लड़कियों को पकड कर सुकमा के एक जज के सामने ले गये . वहाँ इन लड़कियों से कहलवाया गया कि उनके साथ कोई बलात्कार नहीं हुआ था .
पिछले महीने हिन्दू अखबार के पत्रकार सुबोजित बागची ने इन लड़कियों और बलात्कारी पुलिस वालों से मिल कर एक खबर भी प्रकाशित करी थी .
इन लड़कियों के बारे में तहलका ने भी एक रिपोर्ट छापी थी .
इन लड़कियों से पत्रकार गोपाल मेनन ने मिल कर सन नौ में एक डाक्यूमेंट्री भी बनाई थी जिसमे इन लड़कियों ने अपनी आपबीती बताई थी .
मैंने वह सीड़ी चिदम्बरम को दी थी .
उसके बाद इन लड़कियों का बलात्कारी पुलिस वालों ने नवम्बर सन नौ में दोबारा उनके घरों से अपहरण कर लिया . मैंने चिदम्बरम , रमन सिंह , डीजीपी विश्वरंजन , कलेक्टर और एस पी को सूचित किया . किसी ने इन लड़कियों को बलात्कारियों के चंगुल से नहीं बचाया .
फिर मैं छत्तीसगढ़ से बाहर आ गया .
मैं तब से इन लड़कियों को इन्साफ दिलवाने के लिये कोशिश कर रहा हूं .
पिछले साल हिन्दुस्तान टाइम्स ने जांच करी और खबर छाप दी थी कि सरकार कहती है कि ये लोग फरार हैं लेकिन यह लोग तो वेतन ले रहे हैं .
तब से सरकार इस झंझट से बाहर निकलने में लगी हुई है .
अब सरकार ने लड़कियों को पीट पीट कर उनसे अदालत में उनसे झूठा बयान दिलवाया है .
हम खुश होते हैं कि जनता के दबाव के बाद दिल्ली में हुए बलात्कार के खिलाफ सरकार कार्यवाही करती है .
लेकिन अगर देश के करोड़ों लोगों को इस न्याय से जान बूझ कर वंचित किया गया तो इसका क्या परिणाम हो सकता है ?
क्या सभी लड़कियाँ बराबर नहीं हैं ?
पीड़ितों का वीडियो - https://www.youtube.com/watch?v=rygJzzutBOg
हिन्दू अखबार में प्रकाशित खबर - http://www.thehindu.com/news/states/other-states/six-years-after-gangrape-sukma-women-give-up-on-justice/article4249802.ece
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट -http://www.hindustantimes.com/India-news/Chhattisgarh/Absconding-but-on-duty/Article1-679110.aspx
टाइम्स ऑफ इंडिया में इस घटना की रिपोर्ट http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2010-01-04/india/28148029_1_tribal-woman-naxals-spos

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