बधाई हो सीता हार गई
मैंने कुछ दिन पहले सीता नाम की एक आदिवासी लड़की के बारे में लिखा था .
सीता और उसकी तीन और सहेलियों के साथ विशेष पुलिस अधिकारियों ने सामूहिक बलात्कार किया था .
इन लड़कियों ने पुलिस में फ़रियाद की . पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी .
ये कोर्ट की शरण में गई .
कोर्ट ने लिख दिया कि बलात्कारी नहीं मिल रहे वो तो फरार हो गये हैं .
कोर्ट ने इस मामले की फाइलों को बंद कर के रखने का आदेश दे दिया .
लेकिन मैं बराबर इस बारे में लिखता रहा .
इस से सरकार की बदनामी हो रही थी
.मीडिया भी इन महिलाओं के बारे में लिख रही थी .
आज बलात्कारी पुलिस वाले इन में से तीन लड़कियों को अपनी जीप में जबरदस्ती बैठा कर दंतेवाड़ा कोर्ट में ले गये .
और इनके बयान कराये गये कि उनके साथ बलात्कार नहीं हुआ था .
कोर्ट ने यह नहीं पूछा कि बलात्कार पीड़ित लड़कियों को कोर्ट से जो भी कहना है वे अपने वकील के माध्यम से कहेंगी .
कोर्ट ने यह भी नहीं पूछा कि बलात्कार के आरोपी पुलिस वाले ही बलात्कार पीड़ित महिलाओं को लेकर कोर्ट के सामने कैसे पेश कर सकते हैं ?
बलात्कारी शायद बच जायेंगे .
लेकिन इस से नक्सलवादी लोगों के सामने सच साबित हो जायेंगे .
नक्सली इन आदिवासियों से कह्ते हैं कि ये सरकार ,पुलिस और अदालत आदिवासी के लिये नहीं है .
सरकार और कोर्ट ने आज नक्सलियों को सही साबित कर दिया .
बधाई हो बलात्कारी पुलिस बच गई .
सरकार की इज्जत बच गई .
न्याय व्यवस्था मर गई तो क्या हुआ ?
लोकतन्त्र मर गया तो क्या हुआ ?
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