Tuesday, August 6, 2013

सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी को तुरंत रिहा किया जाय


लिंगा कोड़ोपी एक आदिवासी पत्रकार है। वह अभी छत्तीसगढ़ की जेल में कैद है। लिंगा कोड़ोपी को पुलिस अधिकारीयों ने पहले पुलिस का मुखबिर बनने के लिए थाने के शौचालय चालीस दिन तक कैद कर के रखा। लेकिन लिंगा कोड़ोपी की बुआ सोनी सोरी ने अदालत की मदद से लिंगा कोड़ोपी को पुलिस के चंगुल से आज़ाद करवा लिया।
इसके बाद पुलिस अधिकारी और सरकार इन दोनों आदिवासियों से बुरी तरह चिढ गई।
पुलिस ने बदला लेने के लिए लिंगा कोड़ोपी के भाई का अपहरण कर लिया।
लिंगा कोड़ोपी ने अदालत में शिकायत कर के अपने भाई को आज़ाद करवा लिया।
इससे पुलिस लिंगा कोड़ोपी से और भी ज़्यादा चिढ़ गयी।
पुलिस ने लिंगा कोड़ोपी की हत्या करने के लिए एक रात लिंगा कोड़ोपी के गाँव पर हमला किया। लेकिन लिंगा कोड़ोपी गाँव के बाहर एक खंडहर में सोया हुआ था क्योंकि लिंगा कोड़ोपी को मालूम था की पुलिस ऐसा कर सकती है।
लिंगा कोड़ोपी नहीं मिला तो पुलिस चिढ़ कर लिंगा कोड़ोपी के बूढ़े पिता को पकड़ कर ले गयी।
जान बचाने के लिए लिंगा कोड़ोपी दिल्ली आ गया और यहाँ उसने पत्रकारिता की पढ़ाई करी।
तभी पुलिस ने छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में तीन गाँव में आदिवासियों के घरों में आग लगा दी , पुलिस ने इन तीन गाँव के पांच महिलाओं से बलात्कार किया और तीन आदिवासियों की हत्या कर दी।
लिंगा कोड़ोपी अपना वीडियो कैमरा लेकर वहाँ गया और उसने जले हुए मकानों के निवासियों और बलात्कार पीड़ित महिलाओं का बयान रिकार्ड कर लिया और उसकी सीडी बना ली।
लिंगा कोड़ोपी द्वारा पुलिस अत्याचारों की सीडी बनाने से पुलिस और सरकार बुरी तरह डर गई।
लिंगा कोड़ोपी का मूंह बंद रखने और उसकी मदद करने वाली उसकी बुआ सोनी सोरी को पुलिस ने पकड़ कर जेल में कैद कर दिया।
पुलिस ने इन आदिवासियों को सबक सिखाने के इरादे से लिंगा कोड़ोपी की बुआ जो की पेशे से शिक्षिका है को थाने में ले जाकर उनके गुप्तांगों में पत्थर के टुकड़े भर दिए। और उन्हें बिजली के झटके दिए।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर डाक्टरों ने जांच के बाद सोनी सोरी के शरीर से पत्थर के टुकड़े निकाल कर अपनी रिपोर्ट के साथ सर्वोच्च न्यायालय को भेज दिए।
तब से लेकर आज डेढ़ साल बीतने के बाद भी सोनी सोरी और लिंगा कोड़ोपी दोनों अभी भी छत्तीसगढ़ की जेल में कैद हैं।
पुलिस ने लिंगा कोड़ोपी को दो फर्जी मामलों में फंसाया था। इनमे से एक मामले में अदालत ने लिंगा कोड़ोपी को निर्दोष घोषित कर दिया है। लेकिन लिंगा कोड़ोपी के खिलाफ दूसरा एक और फर्जी मुकदमा अभी भी जारी है।
लिंगा कोड़ोपी की बुआ सोनी सोरी को पुलिस ने आठ फर्जी मामलों में फंसाया था.
लेकिन अदालत ने उसमे से पांच मामलों में सोनी सोरी को बरी कर दिया है एक मुकदमा खारिज हो चूका है और एक मामले में सोनी सोरी को अदालत ने ज़मानत दे दी है।
अब सोनी सोरी और लिंगा कोड़ोपी मात्र एक ही मामले में छत्तीसगढ़ के जगदलपुर की जेल में कैद हैं।
इसी दौरान सोनी सोरी के पति अनिल फुटाने की मृत्यु हो गई है . उन्हें भी फर्जी मामले मे फंसा कर जेल मे डाल दिया गया था . अदालत ने सोनी के पति को तीन साल के बाद निर्दोष घोषित किया . परन्तु सोनी सोरी के पति को जेल मे इतनी यातनाएं दी गई कि उनके जेल से निकलने के कुछ ही दिन के बाद ही उनकी मृत्यु हो गई .
यह मामला आदिवासियों पर होने वाले बड़े पैमाने पर सरकारी अत्याचारों में से मात्र एक मामला है।
ऐसे अत्याचारों के हज़ारों मामले अभी भी दबे पड़े हैं।
ये आदिवासी भी हमारे देशवासी हैं। लेकिन इन पर इसलिए ज़ुल्म किया जा रहा है क्योंकि सरकार इन आदिवासियों को इनके गाँव से भगाना चाहती है।
सरकार में बैठे नेता और पुलिस अधिकारी बड़ी कम्पनियों से रिश्वत खाकर इन आदिवासियों की ज़मीने छीनना चाहते हैं।
इसलिए सरकार चाहती है की आदिवासी अपने गाँव खाली कर दें।
इसलिए आदिवासियों पर इस तरह के सरकारी अत्याचार लगातार किये जा रहे हैं।
हम अगर अपने देशवासियों का ख्याल रखते हैं तो हमें इस तरह के अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए ।
आइये हम भी इस अन्याय का विरोध करें।

हम मांग करते हैं कि 
सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी को तुरंत रिहा किया जाय 
सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी पर लगाए गये सभी फर्जी मुकदमे वापिस लिये जाएँ 
दोषी पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा शुरू किया जाय  

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