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Thursday, March 13, 2014

शांति अहिंसा और सौंदर्य

आप हमें गरिया रहे हैं कि सिपाहियों के मरने पर अब मानवाधिकार वाले क्यों चुप हैं . 

ये अब क्यों नहीं बोलते ?

लेकिन भाई अब आप बोलिए . 

जब गरीब की ज़मीन छीन कर अमीर को दी गयी तब आप चुप रहे . 

क्या ये हिंसा नहीं थी ? 

लेकिन आप इस हिंसक कार्यवाही के समय चुप रहे .

लेकिन तब हम बोले थे .

लेकिन हमें विकास विरोधी कह कर आपने हम पर डंडे चलवाए थे .

जब गरीब की ज़मीन छीनने के लिए सरकारी हथियारबंद सिपाहियों का इस्तेमाल निहत्थी औरतों और बूढों के खिलाफ किया गया तब आप चुप रहे .

क्या वो हिंसा नहीं थी .

हम तब भी उस हिंसा के खिलाफ बोले लेकिन आपने हमें नक्सली कह कर दुत्कार दिया .

और हमें जेलों में सड़ने के लिए डाल दिया .

जब सिपाहियों द्वारा लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया और निर्दोष लोगों को पीटा गया आप चुप रहे .

क्या वो हिंसा नहीं थी .

पर हम तब भी बोले .

लेकिन आपने हमें विदेशी एजेंट कह कर हमारा मजाक उड़ाया .

आपने अपनी पूरी ताकत लगा कर हमें पीड़ित जनता के बीच से हटा दिया .

लोगों के लिए न्याय पाने के सभी रास्तों को जान बूझ कर बंद कर दिया .

अब जब हिंसा होती है तो आप चिल्ला कर हम से कहते हैं कि अब बोलो .

लेकिन हम तो अब तक बोल ही रहे थे .

अब आपकी बारी है अब आप बोलिए .

बोलिए और सोचिये कि आपकी चुप्पी और आपका लालच कितनी हिंसा को जन्म दे सकता है .

ये सिपाही भी गरीब के बच्चे हैं .

इन्हें गरीबों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है . किसके फायदे के लिए .

टाटा , अम्बानी और जिंदल के लिए ज़मीने हडपने के लिए ना ?

और आप इसलिए चुप हैं क्योंकि आपके बच्चों को इन्ही अमीरों की कंपनियों में नौकरी करनी है .

इसलिए अब आप बोलिए .

कि इस हिंसा का ज़िम्मेदार कौन है ?

हमें गाली देने से क्या होगा ?

आपका स्वकेंद्रित विकास , आपका लुटेरा अर्थशास्त्र , हथियारों के दम पर चलती हुई आपकी राजनीति

सिर्फ हिंसा को ही जन्म देगी .

इसमें से शांति अहिंसा और सौंदर्य निकल ही नहीं सकता .

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