आप हमें गरिया रहे हैं कि सिपाहियों के मरने पर अब मानवाधिकार वाले क्यों चुप हैं .
ये अब क्यों नहीं बोलते ?
लेकिन भाई अब आप बोलिए .
जब गरीब की ज़मीन छीन कर अमीर को दी गयी तब आप चुप रहे .
क्या ये हिंसा नहीं थी ?
लेकिन आप इस हिंसक कार्यवाही के समय चुप रहे .
लेकिन तब हम बोले थे .
लेकिन हमें विकास विरोधी कह कर आपने हम पर डंडे चलवाए थे .
जब गरीब की ज़मीन छीनने के लिए सरकारी हथियारबंद सिपाहियों का इस्तेमाल निहत्थी औरतों और बूढों के खिलाफ किया गया तब आप चुप रहे .
क्या वो हिंसा नहीं थी .
हम तब भी उस हिंसा के खिलाफ बोले लेकिन आपने हमें नक्सली कह कर दुत्कार दिया .
और हमें जेलों में सड़ने के लिए डाल दिया .
जब सिपाहियों द्वारा लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया और निर्दोष लोगों को पीटा गया आप चुप रहे .
क्या वो हिंसा नहीं थी .
पर हम तब भी बोले .
लेकिन आपने हमें विदेशी एजेंट कह कर हमारा मजाक उड़ाया .
आपने अपनी पूरी ताकत लगा कर हमें पीड़ित जनता के बीच से हटा दिया .
लोगों के लिए न्याय पाने के सभी रास्तों को जान बूझ कर बंद कर दिया .
अब जब हिंसा होती है तो आप चिल्ला कर हम से कहते हैं कि अब बोलो .
लेकिन हम तो अब तक बोल ही रहे थे .
अब आपकी बारी है अब आप बोलिए .
बोलिए और सोचिये कि आपकी चुप्पी और आपका लालच कितनी हिंसा को जन्म दे सकता है .
ये सिपाही भी गरीब के बच्चे हैं .
इन्हें गरीबों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है . किसके फायदे के लिए .
टाटा , अम्बानी और जिंदल के लिए ज़मीने हडपने के लिए ना ?
और आप इसलिए चुप हैं क्योंकि आपके बच्चों को इन्ही अमीरों की कंपनियों में नौकरी करनी है .
इसलिए अब आप बोलिए .
कि इस हिंसा का ज़िम्मेदार कौन है ?
हमें गाली देने से क्या होगा ?
आपका स्वकेंद्रित विकास , आपका लुटेरा अर्थशास्त्र , हथियारों के दम पर चलती हुई आपकी राजनीति
सिर्फ हिंसा को ही जन्म देगी .
इसमें से शांति अहिंसा और सौंदर्य निकल ही नहीं सकता .
ये अब क्यों नहीं बोलते ?
लेकिन भाई अब आप बोलिए .
जब गरीब की ज़मीन छीन कर अमीर को दी गयी तब आप चुप रहे .
क्या ये हिंसा नहीं थी ?
लेकिन आप इस हिंसक कार्यवाही के समय चुप रहे .
लेकिन तब हम बोले थे .
लेकिन हमें विकास विरोधी कह कर आपने हम पर डंडे चलवाए थे .
जब गरीब की ज़मीन छीनने के लिए सरकारी हथियारबंद सिपाहियों का इस्तेमाल निहत्थी औरतों और बूढों के खिलाफ किया गया तब आप चुप रहे .
क्या वो हिंसा नहीं थी .
हम तब भी उस हिंसा के खिलाफ बोले लेकिन आपने हमें नक्सली कह कर दुत्कार दिया .
और हमें जेलों में सड़ने के लिए डाल दिया .
जब सिपाहियों द्वारा लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया और निर्दोष लोगों को पीटा गया आप चुप रहे .
क्या वो हिंसा नहीं थी .
पर हम तब भी बोले .
लेकिन आपने हमें विदेशी एजेंट कह कर हमारा मजाक उड़ाया .
आपने अपनी पूरी ताकत लगा कर हमें पीड़ित जनता के बीच से हटा दिया .
लोगों के लिए न्याय पाने के सभी रास्तों को जान बूझ कर बंद कर दिया .
अब जब हिंसा होती है तो आप चिल्ला कर हम से कहते हैं कि अब बोलो .
लेकिन हम तो अब तक बोल ही रहे थे .
अब आपकी बारी है अब आप बोलिए .
बोलिए और सोचिये कि आपकी चुप्पी और आपका लालच कितनी हिंसा को जन्म दे सकता है .
ये सिपाही भी गरीब के बच्चे हैं .
इन्हें गरीबों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है . किसके फायदे के लिए .
टाटा , अम्बानी और जिंदल के लिए ज़मीने हडपने के लिए ना ?
और आप इसलिए चुप हैं क्योंकि आपके बच्चों को इन्ही अमीरों की कंपनियों में नौकरी करनी है .
इसलिए अब आप बोलिए .
कि इस हिंसा का ज़िम्मेदार कौन है ?
हमें गाली देने से क्या होगा ?
आपका स्वकेंद्रित विकास , आपका लुटेरा अर्थशास्त्र , हथियारों के दम पर चलती हुई आपकी राजनीति
सिर्फ हिंसा को ही जन्म देगी .
इसमें से शांति अहिंसा और सौंदर्य निकल ही नहीं सकता .
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