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Thursday, November 12, 2015

आदिवासियों के पास अपना जीवन और सम्मान बचाने का कोई रास्ता नहीं छोड़ा है

सुहाना दिन था सुबह के ग्यारह बजे थे .
दिल्ली के कनाट प्लेस में लडकियां घूम रही थीं . महिलायें शॉपिंग कर रही थीं . लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे .
तभी सिपाहियों से भरी हुई एक ट्रक वहाँ पर आयी . उसमें से भारतीय अर्धसैनिक बल के सिपाही बाहर निकले .
सिपाही लड़कियों और औरतों पर टूट पड़े . चालीस औरतों के कपड़े फाड़ कर उन्हें निवस्त्र कर दिया . चारों तरफ भगदड़ मच गयी .
भारतीय सिपाही महिलाओं को पकड़ कर बलात्कार करने लगे . चौदह साल की एक स्कूली छात्रा सिपाहियों को देख कर एक बिजली के खम्बे के पीछे छिप गयी
कुछ सिपाहियों ने उस लड़की को देख लिया . सिपाहियों ने स्कूली छात्रा को बाहर निकाला और उसके कपड़े फाड़ दिए . सिपाहीयों नें बारी बारी से उस लड़की के साथ बलात्कार किया .
एक महिला नें सिपाहियों के सामने हाथ जोड़े और खुद के साथ बलात्कार ना करने के लिए प्रार्थना करी . उस महिला नें कहा कि मेरा छोटा बच्चा है . मुझे छोड़ दो . इस पर सिपाहियों ने उस महिला के स्तनों को निचोड़ कर दूध निकाला और तस्दीक करी कि यह सच बोल रही है कि नहीं .
इस घटना के दस दिन बीत जाने के बाद भी सरकार ने इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया . कुछ महिला संगठनों नें इस घटना के बारे में जांच करी .
महिला संगठनों के शोर मचाने के बाद सरकार नें अज्ञात सिपाहियों के नाम एक रिपोर्ट दर्ज़ कर ली .
आज दस दिन बीत जाने के बाद भी एक भी सिपाही को गिरफ्तार नहीं किया गया है .
ऊपर का विवरण पढ़ कर आप घबरा गए . लेकिन सच में ऐसा ही हुआ है . फर्क सिर्फ इतना है कि यह घटना दिल्ली के कनाट प्लेस में नहीं हुई बल्कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर के पेद्दा गेलूर गाँव में हुई है .
बाकी का विवरण पूरी तरह वही है . हाँ वह महिलायें शॉपिंग नहीं कर रही थीं . वह खेतों में काम कर रही थीं . लड़की स्कूली छात्रा नहीं थी बल्कि वह गाय चारा रही थी . और वह बिजली के खम्बे के पीछे नहीं एक महुआ के पेड़ के पीछे छिपी थी .
क्या कनाट प्लेस में हुआ बलात्कार गंभीर है और छत्तीसगढ़ में हुआ बलात्कार समान्य बात है ?
अगर दिल्ली में होने वाली कोई घटना असहनीय है तो छत्तीसगढ़ में वही घटना होने पर हम चुप क्यों हो जाते हैं ?
भारत का संविधान कहता है . भारत के नागरिकों के बीच धर्म , जाति , लिंग , आर्थिक स्थिति , जन्म के स्थान के आधार पर कोई भेद भाव नहीं किया जायेगा .
लेकिन दिल पर हाथ रख कर कहिये कि अगर दिल्ली में सचमुच सिपाहियों द्वारा दिल्ली की पढ़ी लिखी महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की ऐसी घटना हो जाए तो क्या सुप्रीम कोर्ट ऐसे ही चुपचाप बैठा रहेगा ?
फिर छत्तीसगढ़ की घटना पर कोर्ट चुप क्यों है ?
अगर आप पर कोई हमला करे तो आप पुलिस के पास जाते हैं . लेकिन अगर पुलिस ही आप पर हमला कर दे तो आप कहाँ जायेंगे ?
आप कहेंगे कोर्ट जायेंगे . कोर्ट भी नहीं सुनेगा तो कहाँ जायेंगे ?
सरकार को अमीर कंपनियों के लिए आदिवासियों की ज़मीनें चाहियें .
इस लिए आदिवासियों के जीवन और सम्मान पर सरकार की पुलिस रोज़ हमला कर रही है .
छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार नें आदिवासियों के पास अपना जीवन और सम्मान बचाने का कोई रास्ता नहीं छोड़ा है .
ऐसे में आदिवासी क्या करे आप ही बताइये ?
अगर आपने इन प्रश्नों से मुंह चुराया तो इस समाज को मरने से कोई नहीं बचा सकता .
आज ही इसके बारे में कुछ फैसला करना पड़ेगा .

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