अपनी हाई स्कूल में पढने वाली बेटी के साथ इतिहास पर बातचीत
अच्छा बताओ तुम्हें इतिहास में मुख्यतः क्या पढ़ाया जाता है ?
राजाओं की वीरता के किस्से .
इतिहास में राजों के वीरता के किस्से ही क्यों पढाये जाते हैं ?
हमारे इतिहास में उस समय के किसानों के बारे में या कारीगरों , मजदूरों या औरतों की हालत के बारे में क्यों नहीं पढ़ाया जाता ?
अगर तुम वेदों के समय से इतिहास को देखना शुरू करोगी , तो तुम देखोगी कि वेदों में भी राजाओं की स्तुतियाँ हैं , यज्ञों का वर्णन है , बारिश , आग , हवा को देवता और राजा मान कर उनकी तारीफें हैं
पूरा इतिहास बोध हमारे राजाओं की वीरता और मर्दानगी के वर्णन में डूबा हुआ है
लेकिन वेद यह नहीं बताते कि उस समय मनुष्यों को कैसे दास बनाया जाता था ?
वेद यह भी नहीं बताते कि उस समय धनी लोग कितनी पत्नियां रखते थे ?
वेद किसानों और दस्तकारों की आर्थिक हालत के बारे में भी नहीं बताते ?
उसके बाद का इतिहास भी राजाओं की वीरता की कहानियों का ही वर्णन करते हैं .
आम जनता की हालत के बारे में इतिहास मौन रहता है .
सारे धर्मों के धर्म ग्रन्थों को भी इतिहास की पुस्तक के रूप में देखो
सभी धर्मों के धर्मग्रंथ पुरोहितों और राजाओं के वर्णनों से भरे हुए हैं
ऐसा क्यों हुआ ? इसके बारे में हमें ज़रूर जानना चाहिए .
असल में पूरे मानव जाति की सभ्यता का विकास अन्याय पूर्ण व्यवस्था के विकास का इतिहास है
ध्यान से देखो जैसे जैसे सभ्यता का विकास हुआ
वैसे वैसे मेहनत करने वाले दुखी बनते चले गए
जैसे जैसे सभ्यताका विकास हुआ आराम से बैठने वाले मज़े की हालत में हो गए
पहले तो प्राकृतिक संसाधन सभी मनुष्यों के थे
लेकिन सभ्यता के विकास के साथ ज़मीनों पर मनुष्य की मल्कियत हो गयी
इसके बाद मेहनत करने वाले लोग तो मजदूर बन गए और ज़मीन का मालिक बिना मेहनत किये ही मज़े में जीने लगा
मेहनत करने वाले लोग गुलाम बनाए गए
और गुलाम बनाने वाले मज़े करने वाले बन गए
औरतों को मनुष्य के बराबरी के स्थान से नीचे गिरा कर पुरुष की संपत्ति के वारिस पैदा करने वाली मशीन और
खेती में काम करने वाली दासी बना दिया गया
इसी के साथ साथ जो इतिहास लिखा गया
वह पुरुषों की वीरता , पुरुषों के एश्वर्य , और पुरुषों की लड़ाइयों के बारे में वर्णन करने वाला इतिहास था
सारा धर्म भी इसी तरह के वर्णनों से भरा हुआ है
इसी लिए सारे धर्म गरीब विरोधी . मेहनतकश विरोधी और औरतों के विरोधी हैं
करीब बीस पच्चीस साल पहले तक आम लोग इतिहास के अध्ययन से बाहर थे
उसके बाद रोमिला थापर , इरफ़ान हबीब , बिपिन चन्द्रा जैसे इतिहासकारों का युग शुरू हुआ
इन इतिहासकारों नें इतिहास को एक नए नज़रिए से देखने की शुरुआत करी
इन्होनें इतिहास के अलग अलग समय में किसानी का इतिहास , औरतों की हालत का इतिहास , दस्तकारी का इतिहास, अन्याय का इतिहास के बारे में शोध करने और लिखने की शुरुआत करी .
अगर तुम आज की राजनीति की भी हालत देखोगी तो तुम्हें इतिहास की गलत दिशा की झलक समझ में आ सकती है
जैसे आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा किस बारे में बात करते हैं ?
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा बात करते हैं हमारी सेना की वीरता की
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा कभी भी समाज में फैले अन्याय की बात नहीं करेंगे
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा कभी भी दलितों के साथ होने वाले अन्याय की चर्चा नहीं करेंगे
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा कभी भी आदिवासियों के साथ होने वाले अन्याय की चर्चा नहीं करेंगे
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा आपके सामने एक नकली दुश्मन खड़ा करेगी
जैसे कहीं वह मुसलमानों को ,कहीं आदिवासियों को , कहीं ईसाईयों को दुश्मन के रूप में खड़ा करेगी
और फिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा सेना और पुलिस को आपके एकमात्र रक्षक के रूप में पेश करेगी
ऐसा करके फिर से वही पुराना इतिहास वाला खेल खेला जाता है
असली अन्याय से ध्यान हटा कर नकली वीरता , पौरुष , और गर्व को आपके जीवन का मुद्दा बना दिया जाना
आप को बहुत चालाकी से राम और कृष्ण की वीरता की पूजा करने में बैठा दिया गया है
और आप अपने आस पास होने वाले अन्याय से ध्यान हटा कर एक नकली गर्व में भरे हुए जीवन काट कर मर जाते हैं
इसलिए इतिहास को नई समझ के साथ देखने की ज़रूरत है .
अच्छा बताओ तुम्हें इतिहास में मुख्यतः क्या पढ़ाया जाता है ?
राजाओं की वीरता के किस्से .
इतिहास में राजों के वीरता के किस्से ही क्यों पढाये जाते हैं ?
हमारे इतिहास में उस समय के किसानों के बारे में या कारीगरों , मजदूरों या औरतों की हालत के बारे में क्यों नहीं पढ़ाया जाता ?
अगर तुम वेदों के समय से इतिहास को देखना शुरू करोगी , तो तुम देखोगी कि वेदों में भी राजाओं की स्तुतियाँ हैं , यज्ञों का वर्णन है , बारिश , आग , हवा को देवता और राजा मान कर उनकी तारीफें हैं
पूरा इतिहास बोध हमारे राजाओं की वीरता और मर्दानगी के वर्णन में डूबा हुआ है
लेकिन वेद यह नहीं बताते कि उस समय मनुष्यों को कैसे दास बनाया जाता था ?
वेद यह भी नहीं बताते कि उस समय धनी लोग कितनी पत्नियां रखते थे ?
वेद किसानों और दस्तकारों की आर्थिक हालत के बारे में भी नहीं बताते ?
उसके बाद का इतिहास भी राजाओं की वीरता की कहानियों का ही वर्णन करते हैं .
आम जनता की हालत के बारे में इतिहास मौन रहता है .
सारे धर्मों के धर्म ग्रन्थों को भी इतिहास की पुस्तक के रूप में देखो
सभी धर्मों के धर्मग्रंथ पुरोहितों और राजाओं के वर्णनों से भरे हुए हैं
ऐसा क्यों हुआ ? इसके बारे में हमें ज़रूर जानना चाहिए .
असल में पूरे मानव जाति की सभ्यता का विकास अन्याय पूर्ण व्यवस्था के विकास का इतिहास है
ध्यान से देखो जैसे जैसे सभ्यता का विकास हुआ
वैसे वैसे मेहनत करने वाले दुखी बनते चले गए
जैसे जैसे सभ्यताका विकास हुआ आराम से बैठने वाले मज़े की हालत में हो गए
पहले तो प्राकृतिक संसाधन सभी मनुष्यों के थे
लेकिन सभ्यता के विकास के साथ ज़मीनों पर मनुष्य की मल्कियत हो गयी
इसके बाद मेहनत करने वाले लोग तो मजदूर बन गए और ज़मीन का मालिक बिना मेहनत किये ही मज़े में जीने लगा
मेहनत करने वाले लोग गुलाम बनाए गए
और गुलाम बनाने वाले मज़े करने वाले बन गए
औरतों को मनुष्य के बराबरी के स्थान से नीचे गिरा कर पुरुष की संपत्ति के वारिस पैदा करने वाली मशीन और
खेती में काम करने वाली दासी बना दिया गया
इसी के साथ साथ जो इतिहास लिखा गया
वह पुरुषों की वीरता , पुरुषों के एश्वर्य , और पुरुषों की लड़ाइयों के बारे में वर्णन करने वाला इतिहास था
सारा धर्म भी इसी तरह के वर्णनों से भरा हुआ है
इसी लिए सारे धर्म गरीब विरोधी . मेहनतकश विरोधी और औरतों के विरोधी हैं
करीब बीस पच्चीस साल पहले तक आम लोग इतिहास के अध्ययन से बाहर थे
उसके बाद रोमिला थापर , इरफ़ान हबीब , बिपिन चन्द्रा जैसे इतिहासकारों का युग शुरू हुआ
इन इतिहासकारों नें इतिहास को एक नए नज़रिए से देखने की शुरुआत करी
इन्होनें इतिहास के अलग अलग समय में किसानी का इतिहास , औरतों की हालत का इतिहास , दस्तकारी का इतिहास, अन्याय का इतिहास के बारे में शोध करने और लिखने की शुरुआत करी .
अगर तुम आज की राजनीति की भी हालत देखोगी तो तुम्हें इतिहास की गलत दिशा की झलक समझ में आ सकती है
जैसे आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा किस बारे में बात करते हैं ?
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा बात करते हैं हमारी सेना की वीरता की
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा कभी भी समाज में फैले अन्याय की बात नहीं करेंगे
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा कभी भी दलितों के साथ होने वाले अन्याय की चर्चा नहीं करेंगे
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा कभी भी आदिवासियों के साथ होने वाले अन्याय की चर्चा नहीं करेंगे
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा आपके सामने एक नकली दुश्मन खड़ा करेगी
जैसे कहीं वह मुसलमानों को ,कहीं आदिवासियों को , कहीं ईसाईयों को दुश्मन के रूप में खड़ा करेगी
और फिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा सेना और पुलिस को आपके एकमात्र रक्षक के रूप में पेश करेगी
ऐसा करके फिर से वही पुराना इतिहास वाला खेल खेला जाता है
असली अन्याय से ध्यान हटा कर नकली वीरता , पौरुष , और गर्व को आपके जीवन का मुद्दा बना दिया जाना
आप को बहुत चालाकी से राम और कृष्ण की वीरता की पूजा करने में बैठा दिया गया है
और आप अपने आस पास होने वाले अन्याय से ध्यान हटा कर एक नकली गर्व में भरे हुए जीवन काट कर मर जाते हैं
इसलिए इतिहास को नई समझ के साथ देखने की ज़रूरत है .
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