Monday, March 20, 2017

यह दौर बीत जाएगा

यह ऐसा समय है जब समाज इंसानियत और तर्क की बात करने वाले हार रहे हैं और पूंजीवादी युद्धवादी राष्ट्रवादी तेज़ी से सारी दुनिया में अपने पैर पसारते जा रहे हैं,
ये ऐसा समय भी है जब सारी दुनिया को एक मानने वाले बेईज्ज़त किये जा रहे हैं और अपने मुल्क को महान बनाने के नारे लगाने वाले लोग सत्ता के सर पर बैठ गए हैं,
ये वो दौर है जब इंसानियत की बात, सहनशीलता और तर्कशीलता भयानक षड्यंत्र से जुड़े शब्द माने जा रहे हैं,
दूसरों का ख्याल किये बिना अपना ऐश ओ आराम बढ़ाते जाने को विकास मान लिया गया है,
ऐसे समय में कौन सी राजनीति लोकप्रिय होगी आप खुद सोचिये ?
एक इंसान आपसे कहता है कि तुम्हारा धर्म सबसे अच्छा है
तुम्हारी जाति सबसे ऊंची है
ऐय्याशी से जीना और किसी बात की परवाह ना करना सबसे अच्छा जीवन है
आओ अपने प्रतिद्वंदी धर्म वाले को मार दें,
आओ पड़ोसी मुल्क को मज़ा चखा दें,
दूसरी तरफ दूसरा इंसान आपसे कहता है कि सिर्फ आपका धर्म सबसे अच्छा नहीं है
बल्कि दुनिया के सभी धर्म एक जैसे हैं
और सभी धर्म पुराने और अधूरे हैं
इंसान को नई जानकारियों और खोजों से खुद के दिमाग को तरोताजा बनाने में लगे रहना चाहिए ,
वह आपसे यह भी कहता है कि जाति एक अन्याय है
और आपकी ऊंची हैसियत असल में इक ज़ुल्म है
जिसे आपको तुरंत छोड़ना पड़ेगा,
वह इंसान यह भी कहता है कि आपकी ज़रुरत के लिए तो प्रकृति के पास है,
लेकिन किसी की भी ऐयाशी के लिए प्रकृति के पास संसाधन नहीं है,
प्रकृति ने सब कुछ सबके लिए बराबर दिया है,
और अगर आप दुसरे से ज्यादा के मालिक बनने की कोशिश करेंगे तो आप दुसरे के हिस्से का छीन लेंगे,
और इससे युद्ध होगा,
इसलिए सादगी से रहिये,
तो आप पहले वाले इंसान को वोट देंगे या दुसरे वाले इंसान को ?
ज़ाहिर है आप पहले वाले इंसान को वोट देंगे,
लेकिन वह इंसान आपको नकली धर्म दे रहा है,
वह आपकी पृथ्वी को नष्ट कर देगा,
वह दुनिया को युद्ध की तरफ ले जाएगा,
लेकिन आप उसे ही पसंद कर रहे हैं,
क्योंकि वह आपको खुश कर रहा है,
जबकि दूसरा इंसान आपकी अय्याशियाँ कम कर के आपको दूसरों के लिए जीना सिखा रहा है,
दूसरा इंसान पूरी दुनिया की बात बता रहा है,
लेकिन आप दुसरे इंसान को वोट कतई नहीं देंगे,
इरोम शर्मिला इसीलिये हारी,
सोनी सोरी, मेधा पाटेकर, दयामनी बारला इसीलिये हारी,
आंबेडकर साहब इसीलिये हारे,
राम मनोहर लोहिया हारे,
सुकरात को ज़हर पीना पड़ा,
जीसस को सूली गांधी को गोली इसीलिये मिली,
जबकि हत्यारे, दंगाई, बलात्कारी लाखों वोटों से जीते,
आप अपना आजका सुख चाहते हैं,
आपको समाज को आगे ले जाने वाले विचारों को आगे बढाने की फ़िक्र नहीं है,
आप दुनिया के भूखों औए पर्यावरण के लिए अपनी अय्याशी में कटौती के लिए तैयार नहीं हैं,
यही वजह है सभी अच्छी विचारधाराओं की हार की,
और मक्कारों और लुटेरों की जीत की,
ए दुनिया को बेहतर बनाने वाले मेरे साथियों,
ज़रा भी मायूस ना होना,
तुम हारे नहीं हो,
न कभी हारोगे,
तुम में से होकर दुनिया की बेहतरी की उम्मीद बहती है,
इसे बहने देना,
यह उम्मीद तुम में से गुज़र कर नयी नस्लों तक का सफर करेगी,
ये दुनिया गर बचेगी,
तो उसे बचाने की कोशिश करने वालों में तुम शुमार होगे,
इसी में सबर है कि हम इसे बिगाड़ने वालों में शामिल नहीं हैं

No comments:

Post a Comment