Monday, March 19, 2012

इलहाबाद

      कल इलहाबाद गया था !लोगों के हकों के लिए आवाज़ उठाने वाले लोगों पर खूब हमले हो रहे हैं ! इन हमलों का सामना करने के लिए रणनीती बनाने के लिए एक बात चीत में शामिल हुआ !इस बातचीत में उत्तर प्रदेश के मानवाधिकार कार्यकर्ता , पत्रकार , वकील , छात्र आये थे !सीमा आज़ाद पर भी चर्चा हुई ! यहाँ भी छत्तीसगढ़ जैसा ही खौफ का माहौल बनाया जा रहा है ! आजमगढ़ से एक भाई बता रहे थे उन्होनों जब पुलिस द्वारा मुस्लिम युवकों को इरादतन फर्जी केसों में फंसाने की साजिशों को बेनकाब किया तो उन को भी जेल में डाल दिया ! इलज़ाम लगाया गया की इन्होने पुलिस चौकी को आग लगाईं है !जबकि उस नाम की कोई पुलिस चौकी पूरे हिन्दुस्तान में है ही नहीं !खैर उन्हें बाद में छोड़ना पड़ा ! साथी राजीव ने जब मानवाधिकार आयोग को एक मामले में शिकायत भेजी तो उनके पास दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल से हाज़िर होने का फोन आया ! कहा गया की आपने फलां मामले में शिकायत कैसे की ? राजीव भाई ने पूछा आपको कैसे पता चला की मैंने शिकायत की है ? तो उन्हें बता दिया गया की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से पता चला है !यानी मानवाधिकार आयोग, दिल्ली के स्पेशल सेल को शिकायत करने वालों की चुगली करता हैं ! करें भी क्यों न ? दोनों ही होम मिनिस्ट्री के अंदर आते हैं ! वल्दियत तो एक ही है !
       तो अब कर लो मानवाधिकार संरक्षण !
      कल की बैठक में लखनऊ से शोएब साहब भी आये थे ! शोएब साहब लखनऊ में वरिष्ठ वकील हैं ! पुराने समाजवादी हैं ! आपातकाल के दौरान जेल भी गए ! दो साल पहले पुलिस ने कुछ मुस्लिम लड़कों को फर्जी मामलों में फंसाया ! बार कौंसिल ने तय किया की इन मुसलमान लड़कों का केस कोई नहीं लडेगा ! लेकिन शोएब साहब ने कहा की अपनी बात कहने का हक तो सबको मिलना चाहिए !इस पर वकीलों के एक हुजूम ने शोएब साहब पर वहशी हमला बोल दिया ! कचहरी में शोएब साहब का जुलूस निकाला गया ! उनसे कहा गया कि बोल  हिन्दुस्तान जिंदाबाद ! शोएब साहब हिन्दुस्तान की आजादी और लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेल जा चुके हैं उन पर इस तरह का हमला ठीक वैसा ही है जैसा हमें सोनी सोरी की हिमायत की वजह से नक्सली कहा जा रहा है !
  अंशु मालवीय ने आदिवासियों पर एक जानदार कविता पढी जिसे बाद में आप सबके साथ सांझा करूंगा !शाम को शहीद चन्द्र शेखर आज़ाद के स्मारक पर गए ! वहाँ एक अलग तरह का अनुभव हो रहा था ! वहाँ बने संग्रहालय में आज़ाद की पिस्तौल रखी है! साथी बता रहे थे कि कुछ समय पहले सरकार ने उसे हटा दिया ! कारण बताया गया कि इस पिस्तौल को देख कर नवयुवकों में हिंसा के रस्स्ते पर चलने की प्रेरणा होती है ! मुझे सरकारी मूर्खता पर हंसी आयी ! अरे वो पिस्तौल तो हम सबके सीने में है ! जैसे आज़ाद हमारे सीने में है ! और हम सब उन सारे शहीदों के सपनों की दुनिया बनाने के लिए लड़ते ही रहेंगे ! शहादत की परम्परा कभी रुकती थोड़ी है !
     जून में अगली बैठक लखनऊ में होगी !

       
           

     

1 comment:

  1. अरे वो पिस्तौल तो हम सबके सीने में है ! जैसे आज़ाद हमारे सीने में है !

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