Saturday, March 24, 2012

पाश


         अवतार सिंह “पाश” क्रांतिकारी शायर थे ! उन्हें २३ मार्च १९८८ को धर्मान्ध आतंकवादियों ने गोली मार कर शहीद कर दिया था ! पाश जालन्धर जिले के तलवंडी सलेम नाम के गाँव में रहते थे ! मुझे उनकी शहादत दिवस के समागम में पंजाब के दोस्तों ने बुलाया था ! लोक मोर्चा पंजाब और आपरेशन ग्रीन हंट विरोधी मोर्चा ने बुलाया  मैं पत्नी वीणा और बच्चों अलीशा और हरिप्रिया के साथ इस कार्यक्रम में गया ! मैं पाश के एक छात्र बख्शीश सिंह के घर पर ठहरा ! बख्शीश ने मुझे वो जगह दिखाई पाश जहां गाँव के बच्चों के लिये एक छोटा सा स्कूल चलाते थे ! बख्शीश ने बताया की पाश ने स्कूल की दीवारों पर कुछ वाक्य लिखे थे ! जिसमे से एक वाक्य बख्शीश को आज भी याद है वो था “ मज़हब ही है सिखाता आपस में बैर रखना “ ! अब इस स्कूल वाली जगह पर एक हार्डवेयर वाला अपना सामान रखता है !
         बख्शीश ने हमें वो जगह दिखाई  जहां आतंकवादियों से बच कर पाश रात भर लालटेन जला कर कविताएँ लिखते थे ! ये एक दीवार के ऊपर एक तीन फीट का गड्ढा सा था ! पाश बांस की सीढ़ी लगा कर वहाँ चढ़ जाते थे और फिर सीढ़ी गिरा देते थे ! सुबह रस्सा पकड़ कर नीचे उतर आते थे ! अब इस जगह को भर दिया गया है और इसे भी उसी हार्डवेयर वाले ने अपना गोदाम बना दिया है !
        पाश ने खालिस्तान आन्दोलन के साम्प्रदायिक और गैर जनवादी होने के खिलाफ लिखा और बोला ! इसलिये खालिस्तानियों ने पाश की मौत का फरमान जारी कर दिया !पाश को उनके परिवार जन १९८६ में अमेरिका ले गये ! पाश १९८८ में अपने गाँव आये हुए थे गांव में मौजूद मुखबिरों ने पाश के बारे में आतंकवादियों को खबर दे दी ! पाश अपने दोस्त हंसराज के साथ नहाने के लिये खेत पर ट्यूब वेल पर गये ! अचानक आतंकवादियों ने घेर कर २३ मार्च १९८८ को पाश और हंसराज को गोलियों से भून दिया !
       गाँव वालों ने पाश की याद में एक खुले रंग मंच का निर्माण किया है ! पाश को याद करने और उनके सन्देश को फिर से याद करने के लिये हज़ारों लोग इस साल २३ मार्च को उनके गाँव में इकट्ठा हुए थे ! नौजवानों ने पाश की कविताये , गीत और नाटक खेले !  
     इसके पिछली रात भर भगत सिंह के पुश्तैनी गाँव खटकड़ कलां  में  एक कार्यक्रम हुआ जिसमे क्रांतिकारी गीत नाटक और चर्चा हुई !
      बच्चों ने भगत सिंह , पाश , जाति पांति,  अमीरी गरीबी, अन्याय और बदलाव की ज़रूरत के बारे में खूब सवाल किये ! पाश और भगत सिंह की किताबें खरीदीं ! दिल्ली लौटते समय बच्चे  खूब जोश में थे और सारे रास्ते भगत सिंह और पाश के बारे में बातें करते हुए घर पहुंचे !

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