Wednesday, October 31, 2012
एड्वार्दो गेलेनो ( उरुग्वे ) की कविता के अंश का भावार्थ
आदिवासी
भाषा नहीं बोलते
उनकी बोलियां होती हैं
आदिवासियों का धर्म नहीं होता
बस अंधविश्वास होते हैं
आदिवासी कला की रचना नहीं करते
हस्तशिल्प बनाते हैं
आदिवासी
संस्कृतियों की नहीं
दंत कथाओं की रचना करते हैं
आदिवासी मनुष्य नहीं
मानव संसाधन होते हैं
आदिवासियों के नाम नहीं होते
उनकी बस संख्या होती है
वे कभी इतिहास में दर्ज नहीं होते बल्कि
पुलिस की गोली से मारे जाने पर
स्थानीय अखबार में उनका ज़िक्र होता है
एक आदिवासी की कीमत बस एक कारतूस के बराबर होती है
- एड्वार्दो गेलेनो ( उरुग्वे ) की कविता के अंश का भावार्थ
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आदिवासियों का दर्द समझा है लेखक ने ..
ReplyDeleteन जाने समाज की मुख्य धारा में वो कब शामिल होंगे !!