Monday, November 12, 2012

आओ दिवाली मनाएं !

देश का सबसे बड़ा खुशी का त्यौहार है 
सोचता हूं कि कुछ बधाइयाँ दे दूं 
लेकिन थाने में महीना भर रौंदी जाने के बाद 
जेल में डाल दी गयी आरती मांझी को
दिवाली की मुबारकबाद देने का साहस नहीं कर पा रहा हूं 
है कोई जो मेरी मुबारकबाद जेल में उस तक पहुंचा दे ?
दूसरी जेल में पड़ी सोनी सोरी को भी देनी है दिवाली की मुबारकबाद 
पर किस मुंह से उसका सामना करूँगा ? 
वो आयी थी दिल्ली तक
बस्तर से खुद को बचा लेने की गुहार के साथ !
दिल्ली से खींच कर ले गये उसे
सरकारी भेडिये
और हम देखते ही रहे बस
आखिर हम सभ्य और लोकतांत्रिक जो हैं
और सभ्य लोग और कर भी क्या सकते हैं ?

बधाई हो
ज़मीन छिनने के बाद जंगल में अपनी जान बचाने के लिये
छिपे हुए लाखों आदिवासियों को भी भेजनी है दिवाली की बधाईयाँ
और कुछ सभ्य लोग मुझे यह भी बताने की कृपा करें कि
जेल में वर्षों से सिसकती हजारों आदिवासी बच्चियों और युवकों को किन शब्दों में देनी है दिवाली की बधाई ?

मारुती कारखाने से काम से निकाल दिये गये हज़ारों मजदूरों और उनके भूखे बच्चों को दिवाली की मुबारकबाद के लिये खाली हाथ ही जाऊँगा
उनकी बीबियों और उनके खाली पेट , खाली कनस्तर और सूनी आँखों को
क्या कह कर बधाई दी जाय ?

इरोम को भी देनी थी दिवाली की बधाई
पर साहस नहीं जुटा पा रहा हूं

बस्तर में सारकेगुडा में मारे गये आदिवासी बच्चों की माओं को
कोई जाकर दिवाली की बधाई देने जाना चाहेगा ?

मैं तो कहता हूं छिपा दो इन सब बातों को
जैसे यह सब हैं ही नहीं देश के भीतर
भारत का मतलब ये करोड़ों
आदिवासी
मजदूर
किसान नहीं हैं

भारत का मतलब है
झंडा
सेना
अमिताभ बच्चन
पटाखों की लड़ियाँ
शाइनिंग इंडिया

सारे सुखों पर ह्क़ है हमारा
हम मनाएंगे जश्न
इन सब से हमें क्या ?

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