परन्तु हम मानते हैं कि अगर हमें इस लूट को जायज़ मानने वाली राजनीति को समाप्त करना है . अगर हमें मजदूर किसान की मेहनत को लूट कर अमीर बन बैठी इस आर्थिक रचना को बदलना है . तो हमें एक राष्ट्रव्यापी आन्दोलन चलाना होगा . लाखों नौजवान आज इस लुटेरी व्यवस्था को बदलने के आंदोलन में जुड़ने के लिये आतुर हैं . परन्तु हाथ में बन्दूक लेकर आप कोई व्यापक राजनैतिक आन्दोलन खड़ा नहीं कर पायेंगे .
हम जानते हैं कि आपके बंदूक छोड़ते ही लुटेरे पूँजीपति उनकी सेवक पुलिस और सरकार आदिवासियों और किसानों पर उनकी ज़मीने छीनने के लिये टूट पड़ेंगे .हम जानते हैं कि हमारे सामने उन लाखों किसानों और आदिवासियों को इन पूंजीपति और सरकारी हमलों से बचाना एक चुनौती होगा . लेकिन अब यह हमले इतने व्यापक हो गये हैं कि इन्हें रोकने के लिये व्यापक राजनैतिक आन्दोलन ही खड़ा करना पड़ेगा . लेकिन आप हाथ में बन्दूक लेकर अब राजनैतिक आन्दोलन खड़ा नहीं कर पायेंगे .
अगर नक्सली भाई इस सुझाव पर विचार करने को तैयार हों तो हम जंगल में बात करने के लिये आने के लिये तैयार हैं . हम सरकार से और भारतीय समाज से भी बात करेंगे . आपकी पार्टी पर लगी बंदिश को हटाया जाना हमारी पहली शर्त बनेगी . हमें लगता है कि इसके बाद इस देश सारे प्रगतिशील जनवादी लोग मिलकर नई राजनैतिक, आर्थिक और सामजिक व्यवस्था बनाने के लिये मिलकर काम कर सकेंगे .
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