सरकार जनता की रक्षा के लिये बनाई जाती है . लेकिन अगर सरकार जनता को मारना शुरू कर दे तो जनता अपनी जान बचाने के लिये किसके पास जाए ?
छत्तीसगढ़ में सरकार ने आदिवासियों की ज़मीने अमीर कंपनियों को देने के लिये निर्दोष आदिवासियों को बंदूक के दम पर उजाड़ना शुरू किया .
इस दौरान सरकारी फौजों ने निर्दोष आदिवासियों का क़त्ल किया , आदिवासियों के घर जला दिये .
बड़ी संख्या में आदिवासी लड़कियों के साथ बलात्कार किये .
इस तरह के हज़ारों मामलों में से कुछ मामलों को हमने कोर्ट में उठाया .
हमारे द्वारा उठाया गया एक भी मामला आज तक झूठा नहीं पाया गया है .
सरकार ने इन मामलों में जो कुछ भी बोला है वो सब झूठ साबित हो चुका है .
अगर हमारे द्वारा उठाये गये सारे मामलों की जांच हो जाए तो रमन सिंह जेल में पहुँच जाएगा .
लेकिन भारत में आदिवासी राजनैतिक तौर पर मज़बूत नहीं हैं .इनकी संख्या बिखरी हुई है .
आदिवासियों का नेतृत्व खुद को मिले हुए राजनैतिक पद को सरकार की कृपा मानता है इसलिये आदिवासियों पर होने वाले अत्याचारों के मामले में चुप रहता है .
दंतेवाड़ा में होने वाले ज़ुल्मों के मामले में राष्ट्रपति बनने की कोशिश करने वाले पी ए संगमा ने कभी भी सलवा जुडूम या सोनी सोरी के मामले पर एक शब्द नहीं बोला .
मैं सैंकडों आदिवासी नेताओं को जानता हूं जो इस पूरे आदिवासी विनाश को चुपचाप देख रहे हैं
मैं अपनी बात को साबित करने के लिये तीन मामले सामने रख रहा हूं
पहला मामला माटवाडा का है . इस मामले में पुलिस ने सलवा जुडूम कैम्प में रहने वाले तीन आदिवासियों की चाकू से आँखें निकाल ली थीं और बाद में पत्थर से उनके सिर कुचल कर उन्हें मार डाला था .
इस मामले को हम हाई कोर्ट में ले गये . इस मामले की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने की . मानवाधिकार आयोग ने हमारे आरोपों को सही माना . इस मामले में तीन पुलिस वाले अब जेल में हैं .
दूसरा मामला सिंगारम का है . इस मामले में पुलिस ने उन्नीस आदिवासी लड़के लड़कियों को घरों से खींच कर बाहर निकाला और फिर उन्हें गोली मार दी . लड़कियों के साथ बलात्कार कर के उन्हें चाकू घोंप कर मारा गया था .
इस मामले को भी हम हाई कोर्ट में ले कर गये . मामला अभी भी कोर्ट में लटका हुआ है .
अभी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले की जांच करी और माना है की ये एक फर्जी मुठभेड़ थी और पुलिस ने जान बूझ कर गलत जांच करी थी .
तीसरा मामला सोनी सोरी का है . इस मामले में सरकार के सारे झूठ खुल चुके हैं . सोनी सोरी नामक आदिवासी शिक्षिका को पुलिस अफसर ने थाने में निवस्त्र किया , उसे बिजली के झटके दिये गये और फिर उसके जननांगों में पत्थर के टुकड़े भर दिये गये .
डाक्टरों ने इस महिला के जननांगों से पत्थर के टुकड़े निकाल कर सर्वोच्च न्यायालय को भेज दिये . इसके साथ आज मैं इस लेख के साथ छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के अस्पताल की रिपोर्ट भी लगा रहा हूं . छत्तीसगढ़ के अस्पताल की इस रिपोर्ट से भी सोनी सोरी के आरोप की सच्चाई साबित हो रही है . इस रिपोर्ट में लिखा गया है की सोनी के पैर के दोनों तलुए पर काले निशान हैं . ये निशान बिजली के झटके देने से खाल जलने से बने हैं .
आज तक छत्तीसगढ़ सरकार एक ही जिद पर अड़ी हुई थी की छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में सोनी के आरोपों का कोई सबूत नहीं मिला है .रमन सिंह और उनके सिपहसालार इस रिपोर्ट को देख लें कृपया .भाई ये आपके अपने ही प्रदेश के अस्पताल का सबूत है जो मैंने अदालत में आपके द्वारा जमा कागजों में से निकाला है . इस सबूत से अब पूरी तरह साबित हो गया है की सोनी सोरी सच बोल रही है और सरकार शुरू से ही झूठ बोल रही है .
इस देश का कोई आदिवासी नेता तो सामने आओ . अपने लोगों पर मेहरबानी करो . कुछ तो बोलो . सारी दुनिया में आदिवासियों को ऐसे ही मार डाला गया है . भारत में आदिवासी खुद को बचाना चाह रहे हैं . इन्हें बचा लीजिए . आपकी बड़ी मेहरबानी होगी .
भारत सरकार और राज्य की भाजपा सरकार दोनों इन्हें मारने पर आमादा हैं .आप सोचिये तो सही की ये आदिवासी खुद को बचाने के लिये कहाँ जाएँ ?
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