Monday, April 29, 2013
मेरा भगवान
मेरा भगवान जूतों से पीटा जाता हैं
और उसकी पत्नी जो देवी है
उसे टट्टी खिलाई जाती है
और गाँव के बाहर पेड़ से बाँध कर उसके बाल काटते हैं बड़ी जाति के पुरुष
क्योंकि वो मानते हैं कि वो असल में एक डायन है
एक दूसरी देवी की बेटी की योनी में पत्थर भरता है तुम्हारा एक देवता
मेरे भगवान की पैंट फटी हुई है
मेरे भगवान के पाँव गंदे हैं
मेरे भगवान से पसीने की तेज गंध आती है
मेरा भगवान रथ पर नहीं
टूटी हुई साइकिल पर सवार है
मेरे भगवान के पिछवाड़े में
ईंट भट्टे का मालिक डंडा घुसेड़ देता है
क्योंकि मेरा भगवान पूरी मजदूरी
मांग रहा था
मेरी देवी के साथ
पूरा थाना
महीना भर
बलात्कार करता है
अब मेरी यह देवी
अपना पेट पालने के लिये चाय की दूकान पर बर्तन मांजती है
आप मुझे नास्तिक समझ रहे थे ?
नहीं जनाब
मेरा भगवान बस आपके
सोने के जेवरों से सजे हुए
लेट कर अपनी पत्नी से पैर दबवाते हुए
भगवान से अलग तरह का है
आपको मेरी इस भाषा से बेचैनी क्यों हो रही है
बस मेरी भाषा थोड़ी वास्तविक सी ही तो है .
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लक्ष्मीनारायण बनाम दरिद्रनारायण के द्वंद्वयुद्ध में स्थान-स्थान पर प्रतिदिन अवतरित होते सत्यनारायण का साक्षात्कार करने के लिये इस बोधगम्य कविता का पूर्ण पाठ करने का कष्ट करें.
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