हिन्दू होना पाप नहीं है . ना राष्ट्रवादी होना बुरा है . बल्कि बुरा यह है कि आप हिन्दू होने के कारण गैर हिंदुओं को अपने से नीच गन्दा और अछूत मानते हो . इस तरह से असल में आप समाज के प्रति अपने कर्तव्य के पालन से चालाकी से बच जाते हो क्योंकि लोकतांत्रिक समाज का सदस्य होने के बाद तो आप और टट्टी साफ़ करने वाला अपढ़ आदमी , या गरीब फटे कपडे पहने मुसलमान सब बराबर इज्ज़त अधिकार वाले हो जाने चाहिये थे .
लेकिन आप को सबके बराबर में खड़ी कर देने वाली आपकी इस नई लोकतांत्रिक बराबरी वाली हैसियत से बचने के लिये आप चालाकी से अपनी हिन्दू वाली पहचान को ढाल बना कर ओढ़ लेते हो . फिर आप कहने लगते हो कि अरे हम इन गद्दार मुसलमानों के बराबर कैसे हो सकते हैं ? हम हिन्दू तो पैदाइशी देशभक्त हैं . या हम इन गंदे छोटी ज़ात वालों के बराबर कैसे हो सकते हैं ? देखो हिन्दू होने के नाते तो मैं इतनी ऊंची जाति का हूं . और इस तरह मैं तो पैदाइशी महान और सम्मानित हूं .
इसलिये लोकतन्त्र में आपकी ये नागरिक होने की नई हैसियत के अलावा आपकी कोई भी अलग पहचान असल में लोकतन्त्र के विरुद्ध है . इसलिये आपकी इस परम्परागत पहचान को अब ये लोकतन्त्र रोज़ चुनौती दे रहा है .
ये सारी बातें सभी उन विशेधिकार प्राप्त सम्प्रदायों के ऊपर लागू होती हैं जो अलग अलग जगहों पर अपनी संख्या के आधार पर विशेष स्तिथी में हैं जैसे कहीं पकिस्तान में मुसलमान, काफी जगह में सुन्नी, कई जगह कैथोलिक तो श्री लंका में सिंघली.
लोकतन्त्र आपसे आपके परम्परागत विशेषधिकार छीन लेगा तैयार रहिये .
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