होशंगाबाद जिले की सिवनीमालवा तहसील में एक आदिवासी युवती के साथ कई दिन तक सामूहिक बलात्कार और बाद में पुलिस में शिकायत वापस न लेने पर जबरन उसे जहर पिलाकर हत्या करने की कोशिश की संगीन घटना इस देश की पुलिस और न्याय व्यवस्था पर एक कलंक है. इससे अपराधियों और अत्याचारियों के हौसले कितने बढे हुए हैं, और वे कितने बेख़ौफ़ हैं, इसका पता चलता है. मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के सुशासन के दावों की पोल भी इससे खुल जाती है. समाजवादी जन परिषद और किसान आदिवासी संगठन ने एक बयान जारी करके इस वहशियाना घटना और प्रशासन की निष्क्रियता तथा मिलीभगत की कड़ी निंदा की है. उन्होंने समाज और मीडिया से भी पूछा है कि क्या दिल्ली और मुंबई के बलात्कार ही उनको उद्वेलित करते हैं, यहाँ के गांव की दलित-आदिवासी महिलाओं पर होने वाले अत्याचार उनके लिये कोई मायने नहीं रखते?
समाजवादी जन परिषद के प्रांतीय महामंत्री एवं होशंगाबाद जिला पंचायत सदस्य श्री फागराम, केसला के पूर्व सरपंच श्री सम्मर सिंह इवने तथा ग्राम घोटा बर्री के पांच श्री सद्दू ने 30 सितम्बर को सिवनीमालवा जाकर पीड़ित युवती के परिजनों से मुलाकात की और पूरी जानकारी ली.
होशंगाबाद जिले के शिवपुर थाने के अंतर्गत ग्राम चापड़ाग्रहण में जगदीश प्रसाद धुर्वे और अमराईबाई की शादीशुदा बेटी सावन के मौके पर अपने मायके आई थी. 13 अगस्त को गांव के कुछ दबंग लोग उसे उठाकर ले गए. पांच दिन तक अलग-अलग जगह ले जाकर कई लोगों ने उसके साथ बलात्कार किया. माता-पिता ने शिवपुर थाने में लड़की के लापता होने की शिकायत की. एक दिन तो पुलिस ने टाल दिया. दूसरे दिन रिपोर्ट लिखी, लेकिन उसे खोजने की कोई खास कोशिश नहीं की. पांच दिन बाद बलात्कारियों ने उसे घर के पास छोड़ दिया, तब जाकर फिर यह आदिवासी परिवार थाने गया और 18 अगस्त को बलात्कार की रिपोर्ट लिखवाई.
पुलिस ने गांव के चार लोगों को गिरफ्तार किया – राजकुमार जाट उर्फ ‘धरमू’, तातु अशोक, मुकेश उर्फ ‘मुगली’ जाट और शिवनारायण जाट. लेकिन ये लोग दस दिन में जमानत पर बाहर आ गए. अब वे रिपोर्ट वापस लेने और बयान बदलने का दबाव डालने लगे. दो लाख रुपये और पांच एकड़ जमीन देने का लालच भी दिया, लेकिन पीड़ित परिवार ने मना कर दिया. तब 28 सितम्बर को फिर चार पांच लोग घर में आये. माँ-बाप तो बाहर काम पर गए थे, युवती घर में अकेली थी. फिर उन्होंने बयान बदलने के लिए कहा. युवती ने मना कर दिया. तब उन लोगों ने उसको पकड़ा, जबरन लिटाया, उसके ऊपर चढ गए और जबरदस्ती उसके मुंह को खोलकर उसमे जहरीली कीटनाशक दवाई डाल दी. माँ-बाप लौट कर आये तो अपनी बेटी को बेहोश हालत में देखा. उसे डॉक्टर के पास ले जाने लगे तो गांव में मौजूद कोई ऑटोरिक्शा तैयार नहीं हुआ. किसी तरह दो प्राइवेट डॉक्टर के पास ले जाने के बाद सिवनीमालवा अस्पताल ले कर आये. होश में आने पर उसने बताया तो फिर थाने में रपट लिखाई. पुलिस ने फिर गिरफतार किया, लेकिन एक अपराधी शिवनारायण जाट फरार हो गया.
पूरे मामले में कई सवाल खड़े होते हैं---
1. जब आदिवासी माँ-बाप अपनी लड़की के गायब होने की शिकायत लिखाने गए थे तो पुलिस ने तत्परता से कारवाई क्यों नहीं की? एक दिन तो रिपोर्ट ही नहीं लिखी. उसके बाद भी तत्परता से खोजबीन करके उसे अत्याचारियों के चंगुल से क्यों नहीं छुडाया? पांच दिन तक उसके साथ सामूहिक बलात्कार क्यों होता रहा? क्या किसी बड़े आदमी की बेटी गायब होती तो भी पुलिस इसी तरह सुस्त और लापरवाह बनी रहती?
2. गिरफ्तार होने के दस दिन के अंदर सारे अपराधी जमानत पर कैसे जेल से छूट गए? सरकारी वकील ने जमानत का विरोध क्यों नहीं किया? क्या पुलिस ने कमजोर केस बनाया? क्या जज भी अपना कर्त्तव्य भूल गया? देश में बलात्कार के खिलाफ इतना बवाल हुआ है, संसद ने कड़ा कानून बनाया है, सर्वोच्च न्यायालय ने कड़े निर्देश दिए हैं, उनका क्या हुआ? क्या देश के कानून होशंगाबाद जिले में नहीं लागू होते हैं? क्या ये कानून गरीब आदिवासियों और दलितों के लिए नहीं हैं?
3. बलात्कार पीड़ित आदिवासी युवती को जबरन जहर पिलाने की घटना उस दिन हुई, जिस दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसी जिले में ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ पर आये थे. बाबई, पिपरिया और बनखेड़ी में उनकी सभाएं हो रही थी. क्या इन अपराधियों को कोई खौफ नहीं है? वे बार- बार निडर होकर अत्याचार कर रहे हैं. क्या उनके तार सत्तादल से जुड़े हैं? गौरतलब है कि सिवनीमालवा के भाजपा विधायक सरताज सिंह प्रदेश में वन मंत्री हैं. जिस गांव की यह घटना है, उसके बगल में ही हरदा जिला शुरू हो जाता है. इस जिले के भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री कमल पटेल है, जिसके ऊपर हत्या और अन्य केस चल रहे हैं और जो भी जाट है. कमल पटेल पर ही समाजवादी जन परिषद की नेता शमीम मोदी पर मुंबई में प्राणघातक हमला करवाने का आरोप लगा है.
4. इस संगीन मामले में अभी तक भाजपा ही नहीं, विपक्षी दल कांग्रेस का भी कोई बयान नहीं आया है. स्थानीय विधायक एवं वन मंत्री ना तो पीड़ित युवती को मिलने और देखने आये और ना कोई बयान दिया.
5. मीडिया में भी यह घटना तभी आई, जब दूसरा अत्याचार (जहर पिलाने का) हुआ. इसके पहले एक महीने से अधिक समय तक मीडिया ने भी इसे महत्व देने की जरूरत नहीं समझी. क्यों?
6. होशंगाबाद और हरदा जिले के मैदानी इलाके में आदिवासियों और दलितों की हालत बहुत खराब है. वे ज्यादातर गरीब भूमिहीन हैं, बड़े किसानों के यहाँ मजदूरी करते हैं, कई बार वे बंधुआ मजदूर होते हैं. न जाने ऐसे कितने अत्याचार उन पर होते रहते हैं, जिनमे वे रिपोर्ट भी नहीं कर पाते हैं या दबाव और पैसे से उनका मुंह बंद कर दिया जाता है. देश के आजाद होने के और कितने दशक बाद यह हालत चलती रहेगी?
समाजवादी जन परिषद, किसान आदिवासी संगठन और श्रमिक आदिवासी संगठन ने मध्य प्रदेश सरकार से इस मामले में अपराधियों व दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग करते हुए इन सवालों का जवाब माँगा है. उन्होंने मांग की है कि प्रदेश सरकार इस घटना के लिए आदिवासी समुदाय से माफ़ी मांगे. सरकार पीड़ित युवती का पूरा इलाज कराये और 5 लाख रुपये पीड़ित परिवार को दे.
फागराम मंगल सिंह राजें द्र गडवाल
जिला पंचायत सदस्य, होशंगाबाद श्रमिक आदिवासी संगठन, बेतूल प्रदेश अध्यक्ष, सजप
No comments:
Post a Comment