Monday, December 5, 2016

नंदिनी


नन्दिनी सुन्दर से मैं सन 2005 में पहली बार मिला था ,
नन्दिनी सुंदर दन्तेवाड़ा में हमारे आश्रम में आती रहती थीं,
मैं और मेरी पत्नी और हमारे आदिवासी साथी आश्रम बना कर काम कर रहे थे ,
सरकार ने सलवा जुडुम अभियान चलाया था ,
सरकार ने साढ़े छ्ह सौ गांव जला दिये थे ,
सैकड़ों आदिवासी महिलाओं से सरकारी फौजों ने बलात्कार किये थे ,
हज़ारों निर्दोष आदिवासी मार डाले गये थे ,
हज़ारों बेगुनाह आदिवासी स्त्री पुरुषों को जेलों में ठूंस दिया गया था,
नन्दिनी ने पहले बस्तर के आदिवासियों पर शोध करी थी ,
आदिवासियों पर इस सरकारी हमले के खिलाफ नन्दिनी ने आवाज़ उठाई ,
सुप्रीम कोर्ट में सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया ,
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के कदम को संविधान विरोधी बताया ,
सलवा जुडुम को बन्द करना पड़ा ,
अभी केस चल ही रहा था ,
पुलिस ने फिर से तीन गांवों को जला दिया ,
सुप्रीम कोर्ट ने जांच कराई ,
सीबीआई ने कहा आग पुलिस ने लगाई ,
उस समय वहां का पुलिस अधीक्षक कल्लूरी था ,
खुद को फंसता देख कल्लूरी ने चाल खेली ,
एक गांव में एक हत्या हुई ,
पुलिस नें उस मामले में नन्दिनी और उनके साथी कार्यकर्ताओं के नाम पर रिपोर्ट लिख कर मारे गये व्यक्ति की पत्नी का दस्तखत करवा लिया ,
कल्लूरी इस तरह के कामों में बहुत बदनाम है ,
कल्लूरी ने ही सोनी सोरी के चेहरे पर कैमिकल अटैक करवाया था ,
एक बार पहले भी पुलिस ने नन्दिनी को फंसाने की कोशिश करी थी ,
पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा ने पत्रकारों को बुला कर एक फोटो दिखाया था,
उस फोटो में नन्दिनी को नक्सली ड्रेस में नक्सली समूह के साथ दिखाया था,
नन्दिनी ने एसपी राहुल शर्मा को कानूनी चुनौती दी थी,
एसपी राहुल शर्मा ने नन्दिनी से लिखित माफी मांगी थी ,
एक बार पुलिस थाने में नन्दिनी का कैमरा छीन लिया गया था,
जो कई महीने बाद वापिस मिला था ,
पुलिस आवाज़ उठाने वालों पर कैसे हमला करती है यह आप समझ सकते हैं,
सोचिये बस्तर के आदिवासियों को यह पुलिस कैसे फर्जी मामलों में फंसाती होगी ?

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