Thursday, October 17, 2013

धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो

धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो 

अभी खबर आयी है की भारत का स्थान दुनिया भर में  भुखमरी में सबसे नीचे है।  देश के लोगों के भूखे मरने के मामले में पकिस्तान भी हमसे आगे निकल गया है।  यानी पकिस्तान में कम लोग भूख से मरते हैं और भारत के ज्यादा लोग भूख से मरते हैं। 

आज़ादी के बाद भारत का क्या धर्म होना चाहिए था। क्या ये कि किसी जगह पर राम मन्दिर बनेगा या बाबरी मस्जिद ?

या कि भारत के लोगों का पहला धर्म यह होना चाहिए था आजादी के बाद इस भूभाग में सबको कम से कम खाने को तो मिले।  

इसे ठीक से समझिये। 

हम एक समाज हैं।  हम इसलिए ही सुख से हैं और जिंदा हैं क्योंकि हम समाज में हैं।  अकेले हमें जंगल में छोड़ दिया जाय तो ना तो आप अपने लिए स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था कर पायेंगे न आरामदेह आवास की ना कपडे की ना शिक्षा की।  

इसलिए हमारा पहला धर्म यही है कि यह समाज बना रहे।और  समाज के बचे रहने की पहली शर्त यह है कि इसमें किसी को यह महसूस नहीं होना चाहिए कि उसके साथ किसी कारण अन्याय हो रहा है। लेकिन अगर हम समाज के लोगों को इसलिए सताएं क्योंकि वो किसी ख़ास मजहब के हैं और संख्या में कम हैं।  गर हम समझते हैं कि हम किसी ख़ास जाति के लोगों की इसलिए हत्याएं कर सकते हैं क्योंकि यह जाति तो राजनैतिक तौर पर कमज़ोर है और अदालतें तो हमारे मजबूत राजनैतिक हैसियत के कारण हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकती।  तो फिर जब हम समाज के लोगों से अन्याय करते हैं तो उससे समाज में असंतोष पैदा होता है। 

अभी दो खबरें हमारे सामने हैं।  मुज़फ्फर नगर में दंगा और बिहार में अट्ठावन दलितों के हत्यारों को उच्च न्यायालय द्वारा छोड़ दिया जाना। 

इन दोनों घटनाओं में से किसमें धर्म है?  इन दोनों घटनाओं में से किस से इस भारत भूभाग का लाभ होगा। 

अगर भारत की अदालतें समाज के कमज़ोर लोगों की हत्याओं पर न्याय नहीं देंगी।  अगर हमारे साथ रहने वाले किसी ख़ास अल्पसंख्या के नागरिकों की बस्तियां जलाई जाती हैं।  तो यह हमारे राष्ट्रीय धर्म से मेल खाता है क्या ? 

क्या धर्म का अर्थ अपने से अलग विश्वास के व्यक्ति को जिंदा ही ना रहने देने का नाम है ? 

धर्म के बिना मनुष्य जानवर से भी गया बीता है।  इसलिए अपना धर्म पहचानिए , एक नागरिक के नाते आपका क्या धर्म है , एक व्यक्ति की नाते आपका क्या धर्म है ? 

अधर्म को धर्म मत कहिये वरना आप मिट जायेंगे। 

असत्य मिट जाता है सत्य बचा रहता है। 

धर्म को पहचानिए धर्म का पालन कीजिये।
 
अधर्म से मूंह मोड़िये। 


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