Tuesday, February 11, 2014

कवाल का शाह्नावाज़


मुज़फ्फर नगर में एक कवाल गाँव है . ये वो गाँव है जहां से मुज़फ्फर नगर दंगा शुरू हुआ था . आपको अखबारों और टीवी पर बताया गया था कि कवाल में एक मुसलमान लड़के शाहनवाज़ ने एक हिंदू लड़की के साथ छेड़खानी करी जिसके बाद उसके भाई मुसलमान लड़के को समझाने गए तो हिंदू लड़कों की हत्या कर दी गयी .

लेकिन सच्ची बात कुछ और ही है

शाहनवाज़ चौबीस साल का एक खूबसूरत नौजवान था . शाहनावाज़ कुल आठ भाई थे . ये सारे भाई चेन्नई के सेन्ट्रल रेलवे स्टेशन के पास पेरियामेट में रह कर लेडीज़ सूटों की फेरी लगाते थे . सारे भाई कई महीने बाद अपने गाँव आये थे .

अपनी हत्या के एक दिन पहले यानी छब्बीस अगस्त को शाहनवाज़ ने अपने सातों भाइयों को मुज़फ्फर नागर से चेन्नई जाने वाली ट्रेनमें बैठा दिया और खुद एक दो दिन के बाद चेन्नई आने के लिए कहा .

सत्ताईस अगस्त की दोपहर करीब बारह बजे शाहनवाज़ किसी काम से बाज़ार की तरफ गया वहाँ उसकी मोटर साईकिल की टक्कर गौरव की साईकिल से हो गयी . दोनों में कहा सुनी हुई . शाह्नावाज़ अपने घर आ गया .

करीब दो बजे शाहनवाज़ नमाज़ पढ़ने मस्जिद जाने के लिए निकला . सड़क पर गौरव तीन मोटर साइकिलों पर अपने पिता और मामाओं और मामा के बेटे सचिन के साथ खड़ा था .
इन लोगों ने शाहनवाज़ पर गुप्ती चाकू और पंच से हमला कर दिया . शाहनवाज़ सड़क पर चिल्लाते हुए गिर गया .

हत्यारे दो मोटर साइकिलों पर नगली गाँव की तरफ भाग खडे हुए . लेकिन सचिन और गौरव मलिकपुर की तरफ भागे . भीड़ ने सचिन और गौरव को पकड़ लिया और पीट पीट कर मार डाला .भीड़ को यह नहीं पता था कि हमलावर हिंदू थे या मुसलमान . लेकिन गाँव में घुस कर गाँव के लड़के को मारने पर क्रोधित होकर भीड़ ने कातिलों को मार डाला .

यह घटना दोपहर करीब ढाई बजे की है . कुछ ही देर में एसपी और कलेक्टर वहाँ पहुँच गए .

इसके बाद गाँव के पूर्व प्रधान विक्रम सैनी की अगुआई में पुलिस की मौजूदगी में मुसलमानों की दुकानों के शटर तोड़ डाले गए . फज़ल , मुन्ना , अफज़ल और अन्य लोगों की दुकानें लूट ली गयी . सरफराज़ की कार जला दी गयी . और लोगों को घरों में घुस कर पीटा गया .

इन हमलावरों का नेता विक्रम सैनी जो कवाल का पूर्व प्रधान है अब जेल में है इस पर रासुका लगा दिया गया है .

एसपी मंजिल सैनी का ट्रांसफर भी इसी वजह से किया गया था . क्योंकि उसने अपनी मौजूदगी में मुसलमानों पर हमले हुए थे . जबकि भाजपा ने झूठा प्रचार किया कि मुसलमानों को गिरफ्तार करने के कारण एस पी और कलेक्टर को आज़म खान ने हटवा दिया था .

एस पी का ट्रांसफर उसी रात को हो गया था जबकि निर्दोष मुसलमान जिनका कि नाम एफ आई आर में नहीं था को अगले दिन छोड़ा गया . इस लिए मुसलमानों को छोड़ने के कारण एस पी के ट्रांसफर की बात भी फर्ज़ी है .

पुलिस ने आनन् फानन में थोक में मुसलमानों को हवालात में ठूंस दिया .लेकिन शाहनवाज़ के एक भी हत्यारे को नहीं पकड़ा .

साढ़े चार बजे गौरव के पिता ने एफआईआर करवाई उसमे किसी लड़की के साथ छेड़खानी का कोई ज़िक्र नहीं था .उसमे भी साईकिल और मोटर साईकिल की टक्कर के कारण झगडे की बात ही कही गयी .

दैनिक भास्कर और एन डी टी वी को अपने इंटरव्यू में गौरव की बहन ने स्वीकार भी किया कि उसे कभी शाहनवाज़ ने परेशान नहीं किया था . वह किसी शाहनवाज़ को नहीं जानती . उसने शाहनवाज़ को कभी देखा तक नहीं .

लेकिन भाजपा नेताओं ने ज़बरदस्ती प्रचार किया कि यह झगड़ा गौरव की बहन के साथ छेड़खानी के कारण हुआ .

शाहनवाज़ के दो भाइयों का नाम भी एफ आई आर में लिखवा दिया गया . जबकि सच यह है कि ये सातों भाई चेन्नई जाने वाली देहरादून एक्सप्रेस में बैठे हुए थे . यह ट्रेन हर सोमवार को मुज़फ्फर नगर से चलती है और छब्बीस अगस्त को सोमवार ही था . ,मेरे पास इन सातों भाइयों के ट्रेन की टिकिट मौजूद है .

इन सातों भाइयों को रस्ते में खबर मिली कि गाँव में आपके भाई शाहनवाज़ को जाटों ने मार दिया है . ये भाई बल्लारशाह स्टेशन पर उतरे और वापिस आने वाली ट्रेन में बैठ गए . मेरे पास इनकी वापिसी के भी सातों टिकिट मौजूद हैं .


अगले दिन सचिन और गौरव का अंतिम संस्कार करने के बाद . पीएसी की मौजूदगी में कवाल गाँव की मुस्लिम बस्ती पर जाटों ने कहर बरपा किया . घरों के दरवाजे तोड़ डाले गए . सामान लूट लिया , मस्जिद का सारा सामान , पंखे इन्वर्टर , लूट कर ले गए . पथराव किया . पीएसी ने मुसलमानों की तरफ पूरे समय बंदूक ताने रखीं ताकि वे अपने सामान की रक्षा न कर सकें .

गौरव के पिता ने एफ आई आर में जिन मुसलमानों के नाम लिखवाए उन्हें बेक़सूर होते हुए भी डर के मारे घर वालों ने पुलिस को सौंप दिया .

जांच अधिकारी सम्पूर्ण तिवारी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि यह सच है कि पहले शाहनवाज़ की हत्या करी गयी और फिर भीड़ ने सचिन और गौरव को मार डाला .

शाहनवाज़ की हत्या की जो एफ आई आर हुई उस पर पुलिस ने आज तक कोई कार्यवाही नहीं करी .
जैसे की शहनावाज की हत्या ही ना हुई हो .

जबकि सच तो यह है कि इन हत्यारों ने निर्दोष शाहनवाज़ को गाँव में आ कर हमला कर के मारा . और उस दौरान भीड़ के हाथ पड कर इनमे से दो हत्यारे मारे गए .

लेकिन आज तक शाहनवाज़ के हत्यारे खुले आम मंचों पर सम्मानित किये जा रहे हैं .

शाहनवाज़ के पिता मुलायम सिंह यादव से भी मिल कर आये लेकिन उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं करी

क्या इस देश में अलग अलग समुदाय के लिए अलग अलग कानून हम स्वीकार कर सकते हैं .

याद रखिये अगर आप देश के एक भी नागरिक के साथ भेदभाव स्वीकार करते हैं तो फिर आप सभी के लिए भेदभाव को एक नीति के रूप में स्वीकार कर रहे हैं .

हम इस मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर जायेंगे .

शाहनवाज़ निर्दोष था . उस के चरित्र पर लगाए हुए फर्ज़ी इलज़ाम का पर्दाफाश किया जाएगा . जेलों में बंद बेकसूरों को ज़मानत दिलवाई जायेगी और शाहनवाज़ के कसूरवारों की गिरफ्तारी की कार्यवाही के लिए सुप्रीम कोर्ट जाया जाएगा .



1 comment:

  1. tu jo kahe ga wo tere uper hi padega main kahta hoo tei ma meri ma ab bik ma main gali

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