आप का जनम हिंदू घर में हुआ
तो आप हिंदू हित की बात करेंगे
आपका जनम मुस्लिम घर में हो गया
तो आप मुसलमानों के मुद्दों पर बोलेंगे
आप ऊंची जात वाले घर में पैदा हुए तो आप
दलितों के मुद्दों पर अविचलित रहेंगे
अगर आपका जनम दलित परिवार में हुआ तो आप
दलित समस्याओं पर बोलेंगे
आपका जनम किसी बड़े शहर में हुआ तो आप दंतेवाड़ा के आदिवासियों की ज़मीनें छीने जाने को विकास के लिए ज़रूरी बताएँगे
और अगर आपका जनम दंतेवाड़ा के आदिवासी के घर में हुआ तो आप नक्सलवादी कहलायेंगे .
किसी खास जगह पैदा होने की वजह से आप एक खास तरीके से सोचते हैं
आपका चिंतन स्थान सापेक्ष है
स्थान बदलते ही आपके विचार बदल जायेंगे
लेकिन सत्य तो स्थान बदलने से नहीं बदलता
सत्य हिंदू या मुसलमान ,सवर्ण या दलित के, घर में या भारत या पाकिस्तान में भी नहीं बदलता
अब देखिये आपके विचार अपने जनम के स्थान के कारण बने हैं या उन विचारों में हर स्थान में सही सिद्ध होने का गुण है .
कभी अपने ही मन में अपना स्थान बदल कर फिर सोचिये .
कल्पना में खुद को अपने विरोधी के स्थान पर रख कर सोचने की कोशिश कीजिये .
क्या आप हर जगह के सत्य को देख पा रहे हैं ?
क्या अब भी आपको लगता है आप सही थे ?
देखिये आपका कट्टर नजरिया अब हल्का होने लगा है .
यही मुक्ति है .
यही आपके जानवरपन से मनुष्त्व की यात्रा की शुरुआत है .
अब आप जीवन का आनंद लेने के लिए तैयार हैं .
तो आप हिंदू हित की बात करेंगे
आपका जनम मुस्लिम घर में हो गया
तो आप मुसलमानों के मुद्दों पर बोलेंगे
आप ऊंची जात वाले घर में पैदा हुए तो आप
दलितों के मुद्दों पर अविचलित रहेंगे
अगर आपका जनम दलित परिवार में हुआ तो आप
दलित समस्याओं पर बोलेंगे
आपका जनम किसी बड़े शहर में हुआ तो आप दंतेवाड़ा के आदिवासियों की ज़मीनें छीने जाने को विकास के लिए ज़रूरी बताएँगे
और अगर आपका जनम दंतेवाड़ा के आदिवासी के घर में हुआ तो आप नक्सलवादी कहलायेंगे .
किसी खास जगह पैदा होने की वजह से आप एक खास तरीके से सोचते हैं
आपका चिंतन स्थान सापेक्ष है
स्थान बदलते ही आपके विचार बदल जायेंगे
लेकिन सत्य तो स्थान बदलने से नहीं बदलता
सत्य हिंदू या मुसलमान ,सवर्ण या दलित के, घर में या भारत या पाकिस्तान में भी नहीं बदलता
अब देखिये आपके विचार अपने जनम के स्थान के कारण बने हैं या उन विचारों में हर स्थान में सही सिद्ध होने का गुण है .
कभी अपने ही मन में अपना स्थान बदल कर फिर सोचिये .
कल्पना में खुद को अपने विरोधी के स्थान पर रख कर सोचने की कोशिश कीजिये .
क्या आप हर जगह के सत्य को देख पा रहे हैं ?
क्या अब भी आपको लगता है आप सही थे ?
देखिये आपका कट्टर नजरिया अब हल्का होने लगा है .
यही मुक्ति है .
यही आपके जानवरपन से मनुष्त्व की यात्रा की शुरुआत है .
अब आप जीवन का आनंद लेने के लिए तैयार हैं .
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