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Saturday, August 2, 2014

इस पर सवाल उठाइये

आप जो सोचते हैं क्या वो वाकई में आप सोचते हैं 
या आपकी परम्परा सोचती है 

आप मुस्लिम परिवार में पैदा हुए तो आप मुस्लिम की तरह सोचते हैं 
आप ईसाई परिवार में पैदा होते हैं तो ईसाई की तरह 
हिंदू परिवार में पैदा होते हैं तो हिंदू की तरह ही सोचते हैं 
तो आप नहीं सोच रहे दरअसल आप सोच की परम्परा का बस एक पुर्जा ही हैं 

आप अगर दस हज़ार साल पहले पैदा हुए होते तो आप आज जैसे नहीं सोच सकते थे 
मतलब आप सोचने की परम्परा की अगली कड़ी मात्र हैं 

विचार धारा पीढ़ी दर पीढ़ी सफर करती हुई आप तक आई है 
अब ये विचारधारा आप में से गुज़र कर अगली पीढ़ी में पहुँच जायेगी 

आपके माध्यम से 
अब तक की विज्ञान की सारी तरक्की 
लोकतान्त्रिक विचारधारा का सारा विकास 
सभी अच्छी बातें अगली पीढ़ी तक पहुँच ही जायेंगी 

लेकिन अगर आपका जनम धार्मिक कट्टरता से भरे 
अलोकतांत्रिक ,अंधविश्वासी , जाहिल  माहौल में हुआ है 
तो आपकी अगली पीढ़ी तक वही सब कट्टरता और ज़हालत पहुँचेगी 

इसलिए आप मानव इतिहास के विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं 

अब सवाल यह है कि क्या मनुष्य हजारों साल के ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुंचा रहा है 

या मुनाफे के लिए मनुष्यों को सारे परम्परागत ज्ञान से काट कर 
सिर्फ पूंजीपति की चाकरी के मतलब की जानकारियाँ ही नए बच्चों के दिमागों में डाली जा रही हैं 

क्या हमारी शिक्षा 
मनुष्यता के हजारों साल के संगृहीत ज्ञान को आगे बढ़ाने वाली है या 
यह शिक्षा हजारों साल के उस ज्ञान को महत्वहीन मानने वाली है 

यह शिक्षा मुनाफाखोर पूंजीपतियों के लिए हमारे बच्चों को तैयार करने के लिए बनाई गयी है 

प्रतियोगिता इस शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है 

क्या यह शिक्षा यह सिखा रही है कि मनुष्य के लिए समाज ज़रूरी है 

या यह शिक्षा हमारे बच्चों के दिमाग में यह डाल रही है कि असल में समाज तुम्हारा प्रतियोगी है 

क्या यह शिक्षा हमारे बच्चों को समाज को दुश्मन की तरह देखने के लिए प्रेरित नहीं कर रही है 

यह शिक्षा बताती है कि तुम्हारा लक्ष्य दुनिया का ज़्यादा से ज़्यादा सामान अपने घर में जमा कर लेना है 

यही तुम्हारे विकसित और सुखी होने का एक मात्र रास्ता है 

अब हमारे बच्चे 
आदिवासियों के जंगल , गाँव वालों की ज़मीनों की लूट 
इसके लिए आदिवासियों की हत्याएं 
औरतों से बलात्कार 
को अपने विकास के लिए अनिवार्य मानने लगते है 

अब आपके व्यक्तित्व के भीतर का सबसे बुरा हिस्सा 
इस मुनाफे की व्यवस्था ने सबसे महत्वपूर्ण बना दिया है 

इस पर सवाल उठाइये 

आपका सही सोचना मनुष्यता के विकास का एक महत्वपूर्ण क्षण है  

 


 

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